‘एक स्टेशन, एक उत्पाद‘ योजना के अंतर्गत पूर्वोत्तर रेलवे के कुल 21 स्टेशनों पर लगाए गए स्टॉल
गोरखपुर ब्यूरो: रेल मंत्रालय स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने और इस कार्य में लगे शिल्पकारों, बुनकरों, कारीगरों, कुम्हारों आदि को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए ‘एक स्टेशन एक उत्पाद’ योजना चला रहा है। इसके तहत व्यक्ति अपने उत्पाद को रेलवे स्टेशनों पर बेच सकता है। देश के विभिन्न स्टेशनों पर इस योजना के लागू होने से रेलयात्रियों को स्टेशन पर ही उस क्षेत्र के स्थानीय उत्पाद उपलब्ध हो रहे हैं, जिसको लेकर रेलयात्रियों एवं शिल्पकारों, बुनकरों, कारीगरों, कुम्हारों आदि में काफी उत्साह देखा जा रहा है।
पूर्वोत्तर रेलवे के 21 स्टेशनों पर भी स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए ‘एक स्टेशन, एक उत्पाद‘ योजना चलायी जा रही है। स्थानीय कारीगरों, शिल्पकारों, कुम्हारों, बुनकरों, एवं अन्य लघु उद्यमियों को बेहतर जीविकोपार्जन एवं स्तरोन्नयन हेतु रेलवे स्टेशनों के प्लेटफार्म पर स्थानीय उत्पादों के प्रदर्शन एवं बिक्री हेतु स्थान निर्धारित कर स्टॉल उपलब्ध कराया गया है।
‘एक स्टेशन, एक उत्पाद‘ योजना के अन्तर्गत पूर्वोत्तर रेलवे के कुल 21 स्टेशनों पर स्टॉल लगाये गये हैं। लखनऊ मंडल के 9 स्टेशनों- गोरखपुर, लखनऊ जं., बादशाहनगर, गोण्डा, लखीमपुर, सिद्धार्थ नगर, नौतनवा, आनन्दनगर एवं सीतापुर स्टेशनों पर स्टाल लगाये गये हैं। गोरखपुर जं. स्टेशन पर विश्व प्रसिद्ध हस्तशिल्प टेराकोटा तथा केला फाइबर के उत्पादों का स्टॉल लगाया गया है।
लखनऊ जं. स्टेशन पर लखनऊ का प्रसिद्ध चिकन जरी जरदोजी वस्त्र तथा लखनऊ नगर के ही बादशाहनगर स्टेशन पर चिकन जरी जरदोजी वस्त्र के साथ-साथ कृषि हर्बल उत्पादों का स्टॉल लगाया गया है। गोण्डा जं. स्टेशन पर कृषि उत्पाद के अंतर्गत दाल तथा श्री अन्न मक्का से बने उत्पाद, लखीमपुर स्टेशन पर जनजातीय शिल्प तथा गुड़ के उत्पाद, सिद्धार्थनगर स्टेशन पर अपने अनुपम स्वाद एवं सुगन्ध के लिए मशहूर कृषि उत्पाद काला नमक चावल, नौतनवा स्टेशन पर वहॉ का प्रसिद्ध सिरका के उत्पाद, आनन्दनगर स्टेशन पर नक्काशीदार लकड़ी के फर्नीचर, काला नमक चावल तथा विश्वप्रसिद्ध टेराकोटा एवं सीतापुर स्टेशन पर हैण्डलूम उत्पाद दरी का स्टॉल लगाया गया है।
इज्जतनगर मंडल के 5 स्टेशनों- बरेली सिटी, हल्द्वानी, कासगंज, काशीपुर एवं काठगोदाम स्टेशनों पर स्टाल लगाये गये है, जिसमें से बरेली सिटी स्टेशन पर जैम, जेली, अचार और सॉस जैसे स्थानीय उत्पादों का स्टॉल लगाया गया हैं, जो रेल यात्रियों को बरबश ही अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। हल्द्वानी स्टेशन पर जूट के बैग, आइपैन तथा स्थानीय मनोरम दृष्य बिक्री हेतु रखा गया है। कासगंज स्टेशन पर यहॉ का मशहूर पेठा, नमकीन, गजक तथा मिठाई के पैक्ड उत्पाद, काशीपुर रेलवे स्टेशन पर खादी और ग्रामोद्योग उत्पाद तथा काठगोदाम स्टेशन पर मशहूर स्थानीय हथकरघा एवं जूट बैग का स्टॉल लगाया गया है।
वाराणसी मंडल के 7 स्टेशनों- बनारस, वाराणसी सिटी, बलिया, मऊ, छपरा कचहरी, छपरा, थावे स्टेशनों पर स्टाल लगाये गये है, जिसमें से बनारस स्टेशन पर आजमगढ़ की मशहूर ब्लैक पॉटरी तथा लकड़ी के खिलौनों का स्टॉल लगाया गया है। वाराणसी सिटी रेलवे स्टेशन पर पापड़ तथा अचार, बलिया स्टेशन पर जूट के उत्पाद, मऊ स्टेशन पर हैण्डलूम द्वारा निर्मित साड़ियों का स्टॉल लगाया गया है। छपरा कचहरी स्टेशन पर वहॉ का प्रसिद्ध विभिन्न प्रकार के सत्तू का स्टॉल, छपरा स्टेशन पर बॉस के उत्पाद तथा थावे रेलवे स्टेशन पर वहॉ का प्रसिद्ध पडुकिया मिठाई का स्टॉल लगाया गया है।
पूर्वोत्तर रेलवे के इन स्टेशनों पर लगे स्थानीय प्रसिद्ध उत्पादों के स्टॉल रेल यात्रियों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। रेलवे के इस प्रयास से स्थानीय उत्पाद के व्यवसायियों के विकास का मार्ग प्रशस्त हो रहा है और यात्रा करने वाले यात्रियों को भी स्थानीय उत्पाद सुविधापूर्वक आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं। रेलवे प्रशासन के इस प्रयास से स्थानीय उत्पाद के व्यापारियों एवं उद्यमियों को अपनें उत्पादों को बेचने हेतु एक व्यापक मंच मिला हैं, जिससे इन उद्यमियों के जीवन-यापन के स्तर में काफी सुधार हुआ है। इन स्थानीय उत्पादों का देश के विभिन्न क्षेत्रों के रेल यात्रियों के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार हुआ, जिसके फलस्वरूप इन उत्पादों की मांग व्यापक स्तर पर बढ़ी है।
रेलवे स्टेशनों पर स्थानीय उत्पादों के स्टॉल का उद्देश्य रेलवे के माध्यम से स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना है। रेलवे के इस प्रयास से स्थानीय उत्पाद, हस्तशिल्प व हथकरघा से जुड़े उद्यमों के लिए बेहतर अवसर मिलने से उनका विकास हो रहा है। इससे रेल यात्रियों को वहॉ के स्थानीय उत्पादों की जानकारी होने के साथ ही साथ उन्हें वहां के स्थानीय उत्पाद उपलब्ध भी हो रहा है। पूर्वोत्तर रेलवे पर ‘एक स्टेशन, एक उत्पाद‘ योजना के कार्यान्वयन हेतु पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रारम्भ में गोरखपुर एवं बनारस स्टेशन का चयन किया गया था। अब इसका विस्तार पूर्वोत्तर रेलवे के 21 स्टेशनों पर किया गया है।