शत-प्रतिशत विद्युतीकरण के कुछ विचारणीय पहलू
भारतीय रेल के शत-प्रतिशत विद्युतीकरण का डंका पिछले कुछ वर्षों से खूब जोर-शोर से बजाया जा रहा है। जीरो कार्बन उत्सर्जन का ढ़ोल पीटा जा रहा है। इसके लिए कुछ तथाकथित विशेषज्ञों को मंत्री का सलाहकार नियुक्त किया गया है। जो जिस काम के लिए नियुक्त किए गए हैं, वह करने या उस पर फोकस करने अथवा उस तक सीमित रहने के बजाय न केवल अपना एजेंडा चला रहे हैं, बल्कि बनी-बनाई व्यवस्था को चौपट कर रहे हैं।
इसके परिणामस्वरूप पांच हजार से अधिक डीजल इंजन सर्विस से हटाकर रेलवे साइडिंग्स में खड़े कर दिए गए हैं। तथापि रेल सेवा से जुड़े कुछ जानकारों का मानना है कि सरकार का यह कदम भविष्य में कुछ मामलों को लेकर आत्मघाती साबित हो सकता है। उन्होंने इससे जुड़े कुछ पहलुओं पर सरकार और रेलमंत्री का ध्यान आकर्षित किया है –
शत-प्रतिशत विद्युतीकरण में कुछ चिंतनीय बिंदु–
1. टीआरडी पर होने वाले व्यय में फिक्स्ड कॉस्ट और रनिंग कॉस्ट दोनो बहुत अधिक हैं, दोनों की शत-प्रतिशत रिकवरी सम्भव नहीं है, क्योंकि विद्युतीकरण से आय में कोई वृद्धि नही होती। जो बचत बताई जाती है वह भी अविवादित नही है।
2. विद्युत के उत्पादन में कोयला जलाना अनिवार्य है, इसलिए जीरो पॉल्यूशन का तर्क गलत है।
3. विद्युत का डिस्ट्रीब्यूशन लॉस बहुत अधिक है। अतः ऊर्जा का अत्यधिक अपव्यय हो जाता है।
4. रेल के पास जो डीजल इंजन पहले से उपलब्ध हैं, वे अकारण ही बेकार हो रहे हैं।
5. टीआरडी की व्यवस्था को बनाए रखने के लिए ट्रैफिक ब्लाक चाहिए, यानि मालगाड़ियों और यात्री गाड़ियों को रोक देना है, किसी भी तरह की असामान्य घटना में भी टीआरडी को ऐसा ब्लाक देना पड़ता है।
6. ओएचई को बाधित करके रेल को पूरी तरह रोक देना बहुत आसान है, यानि पूरी व्यवस्था बहुत ही अप्रत्याशित चपेट में होती है।
इसके अलावा, विश्व भर में कोई भी रेल सिस्टम ऐसा नहीं है जहां शत-प्रतिशत विद्युतीकरण के चलते भी डीजल इंजनों को रेल सर्विस से बाहर कर दिया गया हो। पड़ोसी देशों से युद्ध की स्थिति में सबसे पहला निशाना सप्लाई चेन को बाधित करने पर ही होता है। तब रेल का ओएचई ही सबसे पहले दुश्मन देश के निशाने पर होता है।
ऐसे में अपनी सप्लाई चेन अबाधित बनाए रखने के लिए डीजल इंजन ही सबसे अधिक काम का साबित होता है। शत-प्रतिशत विद्युतीकरण और जीरो कार्बन उत्सर्जन की दिशा में ढ़ोल पीटने वाले तथाकथित विशेषज्ञों को इस विषय को भी ध्यान में रखकर भविष्य की रेल योजना पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
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