रेल में तेल का खेल: गहरे तक लगी है दीमक!
आरपीएफ की रिपोर्ट में सीपीडब्ल्यूआई दादर द्वारा डीजल बेचे जाने का स्पष्ट उल्लेख है, परंतु उससे पूछताछ और गिरफ्तारी पर आज तक चुप्पी है। आखिर यह गिरफ्तारी न करने के लिए आरपीएफ पर किसका दबाव है?
ऐसे मामले विजिलेंस पर बड़ा धब्बा हैं। किस मुँह से विजिलेंस अवेयरनेस वीक में ये लोग अपनी पीठ थपथपाते हैं? ऐसे सभी फील्ड सुपरवाइजरों की चल-अचल संपत्ति की भी गहन जांच आवश्यक है!
मुंबई का मानसून सीजन खत्म हुआ। रेलवे ट्रैक पर पानी रेलवे कालोनियों में पानी गाड़ियों की रफ्तार पर ब्रेक लगा रहा। लेकिन जैसे ही ये सीजन समाप्त होता है, वैसे ही सर्दियों की तैयारी में रेलवे ट्रैक की मरम्मत, ग्रीसिंग, नट-बोल्ट, रबर पैंडिंग इत्यादि बदलने की शुरुआत हो जाती है।
बस यहीं से आरंभ होती है भ्रष्टाचार की ट्रैक। हाल ही में रेलवे सुरक्षा बल द्वारा बड़ी मात्रा में पकड़ी गई पश्चिम रेलवे, मुंबई मंडल में डीजल की चोरी ने इस भ्रष्टाचार की पोल खोल दी। कैसे ये ट्रैक के रखवाले न केवल रेल को धोखा दे रहे हैं, अपितु जनता द्वारा गाढ़ी कमाई से चुकाए गए टैक्स को लूट रहे हैं।
जनता महंगे टिकट पर यात्रा कर रही है, तो रेल का सीपीडब्ल्यूआई उन पम्पों का डीजल, जिनसे ट्रैक का पानी निकलना था, उसको बचाकर फर्जीवाड़ा कर तेल बेच रहा था। इसके निकम्मे भ्रष्ट अधिकारी अपनी आंखें मूंदकर इनकी ठेके पर लगी गाड़ियों में घूम रहे हैं। जो कुछ खास अधिकारी अपना कर्तव्य भी निभा रहे हैं, अभी भी इसको ईमानदार बता रहे हैं। बड़ों का आशीर्वाद हो तो रेल में कुछ भी करो! कौन है यहां जो विजिलेंस केस होने पर भी उसी जगह प्रमोशन मिल जाता है? मगर सीपीडब्ल्यूआई दादर जैसे बहतों को उसी जगह मिला है, क्योंकि वे अधिकारियों और यूनियनों के कमाऊ पूत हैं!
एफआईआर में साफ लिखा है कि तेल किसने बेचा? किसको बेचा? कितने में बेचा? कब बेचा? फिर आरपीएफ अधिकारी उक्त सीपीडब्ल्यूआई को गिरफ्तार करने और यहां तक कि पूछताछ करने से डर क्यों रहे हैं? चर्चगेट से बोरीवली तक का तेल खा गया। करोड़ों रुपये किस ने ठेकेदार को दे रखे हैं, बड़ी-बड़ी डींगे मारने वाले इंजीनियरिंग विभाग का, विजिलेंस विभाग आज तक क्या कर रहा था? क्या एसडीजीएम के पद पर इसीलिए इंजीनियरिंग अधिकारियों को बैठाया जाता है कि डीआरएम में चोरी करके आने पर उनके विरुद्ध कोई विजिलेंस केस तो बने ही नहीं, बल्कि वे अपने विभाग के उक्त कमाऊ पूतों का भरपूर संरक्षण करने में भी समर्थ हो सकें!
सूत्र ये भी बताते हैं कि यह संगठित अपराध कर रहे हैं और भी बहुत से इनका अनुसरण कर रहे हैं। यह खेल बहुत बड़ा है, लेकिन आरपीएफ की कार्यवाही एफआईआर के अनुसार क्यों नहीं हो रही? ये बड़ा प्रश्न है! अधिकारियों से उम्मीद है कि केस की तह तक ऐक्शन होगा।
उमेश गुप्ता जैसे और भी बेनकाब होंगे। इनकी हिम्मत देखें, हाल में दादर का ही एक अन्य सीपीडब्ल्यूआई गैंगमैनों से छुट्टी पर रहकर फर्जी ड्यूटी के बदले पैसे लेता था। विजिलेंस वाले हो रहे थे। मीडिया द्वारा इस मामले को उजागर किए जाने पर उसका ट्रांसफर किया गया। वास्तव में रेल के इन भस्मासुरों के खिलाफ एक मुहिम चलाने की आवश्यकता है। ऐसे मामले विजिलेंस पर बड़ा धब्बा हैं। किस मुँह से विजिलेंस अवेयरनेस वीक में ये लोग अपनी पीठ थपथपाते हैं? ऐसे सभी फील्ड सुपरवाइजरों की चल-अचल संपत्ति की भी गहन जांच आवश्यक है।
उपरोक्त विषय में लेख इस प्रकार है कि दिनांक 18/10/2022 को निरीक्षक अपराध आसूचना शाखा की टीम द्वारा गुप्त सूत्रों से सूचना और प्राप्त जानकारी के अनुसार अपराध शाखा की टीम द्वारा जोगेश्वरी एटी में बिजली खंबा नंबर JOS/1043 के पास राममंदिर स्टेशन के ब्रिज के नीचे NGS 1, NGS 2 के मध्य दो JCB के लोडर के नीचे 4 नंग डीजल से भरे लोहे के ड्रम जिनमें रेलवे का डीजल भरा हुआ को मौजूद पाया।
बाद उक्त JCB के मालिक नाम: मोहम्मद इस्माइल शेख S/o उस्मान मोहम्मद शेख उम्र 45 वर्ष धंधा: JCB ऑपरेटर रहवासी- 624/2/2 न्यू वेलफेयर सोसाइटी मीका मस्जिद के पास गिलबर्ट हिल रोड अंधेरी वेस्ट को मौके पर बुलाया गया व उससे पूछताछ की गई, जिसमें उसके द्वारा बताया गया कि वह पिछले 20/22 वर्षों से रेलवे में विभिन्न कॉन्ट्रैक्टर के अधीन JCB ऑपरेटर के रूप में कार्यरत होना बताया व उक्त वर्णित 4 नंग लोहे के ड्रम के सम्बन्ध में पूछताछ पर उसके द्वारा बताया गया कि उक्त रेलवे के डीजल से भरे ड्रम संतोष पाण्डेय जो कि रेलवे का कॉन्ट्रैक्टर है उसके द्वारा उसे बेचा गया है।
उसके द्वारा बताया गया कि संतोष गुप्ता के कॉन्ट्रैक्ट के अधीन वह 2018 से कार्यरत है तथा उसके द्वारा संतोष के लिए किया गया काम का 74580/- रुपये का बिल का पेमें बाकी था व संतोष के द्वारा मोहम्मद इस्माइल को पेमेंट के बदले 800 लीटर डीजल 94.76 प्रति लीटर के हिसाब से कुल 75808/-रुपये की कीमत का डीजल बेच दिया। बाद रेलवे कॉन्ट्रैक्टर संतोष पांडे को संपर्क कर बुलाया गया व उससे पूछताछ की गई। उसके द्वारा पंचों के समक्ष उसका नाम संतोष पुत्र माताफेर पांडे उम्र 46 वर्ष धंधा रेलवे कॉन्ट्रेक्टर रहवासी B/202 लेकव्यू कल्याणशील रोड डोबिवाली पूर्व थाने महाराष्ट्र बताया।
आगे पूछताछ में उसके द्वारा बताया गया कि रेलवे में उसके कई कॉन्ट्रैक्ट जारी हैं व् उसी के द्वारा मोहम्मद इस्माइल को 800 लीटर डीजल बेचा है तथा उक्त डीजल के संबंध में पूछताछ पर उसके द्वारा बताया गया कि उसके 72 पम्प का रेलवे में कॉन्ट्रैक्ट है जिसमें उसके पम्प चर्चगेट से बोरीवली के बीच कार्यरत हैं व उक्त पम्प बारिश के पानी को निकालने हेतु रेलवे प्रशासन द्वारा कॉन्ट्रैक्ट दिया गया है।
उसने उक्त पम्प को चलाने हेतु DDR/CPWI/PWAY उमेश गुप्ता से दादर स्टोर से डीजल मार्केट रेट से 50% भाव से कम भाव में अपने आर्थिक लाभ हेतु लेना बताया व डीजल का भुगतान संतोष पांडे द्वारा DDR/CPWI/PWAY उमेश गुप्ता को नकद में देना बताया।
बाद इस्माइल से कुल 800 लीटर डीजल की पूछताछ में इस्माइल द्वारा बताया गया कि उसके द्वारा 100 लीटर डीजल उसकी JCB में डालकर खर्च कर लिया है व उक्त 4 लोहे के ड्रम में लगभग 700 लीटर डीजल शेष बचा है।
बाद आप साहब के द्वारा उक्त रेलवे के डीजल को अपने कब्जे व चोरी कर बेचने के संबंध में मोहम्मद इस्माइल शेख और संतोष पाण्डेय से रेल प्रशासन द्वारा जारी पावती या अधिकारपत्रक के संबंध में पूछताछ पर उनके द्वारा बताया गया कि उनके पास किसी भी प्रकार की रेल प्रशासन द्वारा जारी पावती या अधिकार पत्र नहीं है और न ही भविष्य में प्रस्तुत कर सकता है।
उक्त मामला रेल संपति विधिविरुद्ध कब्जा अधिनियम (आरपी/यूपी एक्ट) की धारा 3 के तहत प्रथम दृष्ट्या कानूनन जुर्म पाया गया व उक्त दोनों बाहरी व्यक्तियों से उनके पास मौजूद मोबाइल फोन को चेक किया गया जिनमें डीजल की खरीद फरोक्त व पैसे की लेनदेन संबंधित चैट पाई गई व इस्माइल से एक नंग रेडमी कंपनी का फोन व संतोष से वीवो कम्पनी का मोबाइल फोन, 4 नंग रेलवे के डीजल से भरे हुए रेलवे के ड्रम जिनका नंबरिंग किया गया।
प्रत्येक ड्रम से एक लीटर डीजल बतौर सैंपल के रूप में प्लास्टिक की बोतल में लिया गया व उक्त वर्णित ड्रम व प्लास्टिक की बोतल के ऊपर सभी के हस्ताक्षर युक्त स्लिप चिपकाई गई व उक्त वर्णित मोबाइलों को अलग अलग हस्ताक्षरयुक्त सफेद लिफाफे में रखकर सील बंदकर जरिए जप्ति पंचनामा जब्त कर कब्जे आरपीएफ लिया गया।
जप्ती पंचनामा कार्यवाही के पश्चात अंधेरी पोस्ट को दिनांक 19/10/2022 को सुपुर्द किया गया।
मामले की जांच को आगे बढ़ाते हुए वर्तमान निरीक्षक/अंधेरी गायत्री पटेल द्वारा दोनों बाहरी व्यक्तियों के बयान दर्ज किये गये, जिसमें आरोपी नं. 1 ने रेलवे सम्पत्ति को अवैध रूप से कब्जे में रखने व बाहरी व्यक्ति नं. 2 ने रेलवे का तेल चोरी करने करने का गुनाह कुबूल किया।
उक्त दोनों के विरुद्ध अंधेरी आरपीएफ पोस्ट पर CR.09/2022 U/S 03 RP(UP) Act dt. 19.10.2022 कीमत 65,800/- के तहत मामला दर्ज कर दोनों को रिमांड पत्र के तहत मा. न्यायालय के समक्ष पेश किया गया। जिस पर मा. न्यायालय द्वारा आरोपी नं. 1 मो. इस्माईल शेख को न्यायिक हिरासत व आरोपी नं. 2 को 1 दिन आरपीएफ की हिरासत में रखने का आदेश पारित किया। आरोपी नं.2 से मामले के संबंध में पूछताछ जारी है।
सीपीडब्ल्यूआई की गिरफ्तारी पर चुप्पी
आरपीएफ की उपरोक्त रिपोर्ट में सीपीडब्ल्यूआई दादर का स्पष्ट उल्लेख किया गया है, परंतु उससे पूछताछ और गिरफ्तारी पर आज तक चुप्पी है। आखिर यह गिरफ्तारी न करने के लिए आरपीएफ पर किसका दबाव है? आरपीएफ अधिकारियों सहित रेल प्रशासन को इसे स्पष्ट करना चाहिए!
रेल में डीजल की चोरी केवल ट्रैक से पानी निकालने वाले पम्पों में ही नहीं होती है, बल्कि इस तरह की चोरी ट्रैक मशीनों से भी होती है। यह दीमक बहुत गहरे तक लगी हुई है, जिसकी तरफ सामान्यतः किसी का ध्यान नहीं जाता, या फिर ध्यान दिया ही नहीं जाता है। इन दीपकों की तह तक जाकर जांच होनी चाहिए। यह एक दिन का मामला नहीं है, इसमें देखा जाए तो करोड़ों की चोरी छिपी हुई है। आरपीएफ को अगर इसका अधिकार मिला है, तो उसे बिना किसी दबाव में आए, कानून के अनुरूप कार्यवाही सुनिश्चित करनी चाहिए, अगर वह स्वयं इस तरह की चोरियों में शामिल नहीं तो! अन्यथा व्यवस्था और रेल का ईश्वर ही मालिक है!
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