“स्मार्ट” बनने की राह पर बुलंदशहर का दीघी गांव!
रेल मंत्रालय में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के पद पर रहे प्रेमपाल शर्मा ने भी उनके प्रश्नों का जवाब दिया और आश्वासन दिया कि आप लोग शुरुआत करें, इसमें बिना कोई देर किए आपकी पूरी मदद की जाएगी!
23 मई 2022 को बुलंदशहर के इस गांव दीघी में एक अभिनव शुरुआत हुई है। लगभग 10 वर्षों से देश के अनेक गांवों में बच्चों को वहां की भौगोलिक स्थिति के अनुसार काम-धंधे की शुरुआत कराने, उन्हें नए स्किल्स से अपने पैरों पर खड़े होने के लिए स्टार्टअप बनाने की शुरुआत करने वाले ताराचंद ढ़ौंडियाल ने अपनी टीम के साथ पहले गांव दीघी और फिर गंगागढ़ के स्कूल में बच्चों के साथ दिनभर की वर्कशॉप की।
इस कार्य में दीघी के पूर्व प्रधान अनुस कुमार और साबिर अली का विशेष सहयोग रहा। यह वर्कशॉप कांति शर्मा के नए घर “किताब घर” में हुई, जो शिक्षा पुस्तकालय के नए केंद्र के रूप में अभी-अभी बनाया गया है।
ताराचंद जी ने उपस्थित विद्यार्थियों, महिलाओं और छात्राओं से पूछा कि गांव में आप कौन-कौन सा काम कर सकते हो? उससे पैसे कैसे कमाए जाएं? शुरुआत कैसे करें? और अकेले न कर पाएं तो कुछ दोस्तों के साथ मिलकर कोई काम कर सकते हैं, अपने पैरों पर खड़े हों।
उनका कहना था कि इस क्षेत्र में आम बहुत में होता है, इसलिए आम की बहुत सारी चीजें जैसे पना, अचार, आम रस इत्यादि बनाकर दिल्ली और दूसरे शहरों तक भेजा जा सकता है। दूध भी इस क्षेत्र में बहुतायत में होता है, इसलिए पनीर के अलावा चीज, मक्खन आदि अच्छी क्वालिटी का बनाकर शहरों को भेजा जाए।
वैसे ही गेहूं-चावल की बहुत सारी चीजें बनती हैं, जैसे दलिया, मैदा, सूजी आदि। क्षेत्र में आलू की भी बहुत अच्छी पैदावार होती है, इसलिए चिप्स आदि यहीं बनाकर शहरों तक भेजा जाए। महिलाएं सिलाई केंद्र में मदद चाहती हैं। इसलिए सिलाई और दूसरे हस्तशिल्प की स्थापना यहां की जाएगी।
इसमें सबसे महत्वपूर्ण पक्ष रहा महिला समूह की भागीदारी। वे तरह-तरह के कामों में लगी हैं लेकिन उनके सामने दिक्कतें आ रही हैं। कैसे आगे बढ़ें? पैसा कहां से आएगा? जिले के किस अधिकारी से मिलें?
इन सभी प्रश्नों का जवाब ताराचंद जी के अलावा रेल मंत्रालय में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के पद पर रहे प्रेमपाल शर्मा ने भी उनके प्रश्नों का जवाब दिया और आश्वासन दिया कि आप लोग शुरुआत करें। इसमें बिना कोई देर किए आपकी पूरी मदद की जाएगी।
इस क्षेत्र में गांव दीघी में दो पुस्तकालय विधिवत पिछले 15 वर्षों से काम कर रहे हैं, जिनसे शिक्षा में बहुत सुधार हुआ है। दोनों प्राइमरी स्कूल, जो लगभग वीरान होते जा रहे थे, वहां अब प्रत्येक में 100 से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं। अब इन स्कूलों को प्रशासन की तरफ से आदर्श स्कूल माना जा रहा है।
उम्मीद है ताराचंद जी की संस्था “सीड फंड” के सहयोग से यह गांव “स्मार्ट गांव” बन जाएगा। इससे प्रेरणा लेकर आसपास के दूसरे गांव, जैसे पहासू, अटेरना, बनेले, करोरा, गंगागढ़ में भी ऐसी ही शुरुआत करने की योजना है।