भविष्य में वैकेंसी एडजस्ट करने के बहाने आरक्षित वर्ग को दी जा रही हैं पदोन्नतियां
साजिशपूर्ण तरीके से रेलवे बोर्ड एवं सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की की जा रही है अवहेलना
रेलवे बोर्ड द्वारा जारी किए गए आदेशों को वर्ग विशेष के अधिकारी कर रहे हैं दरकिनार
आरक्षित वर्ग को अनुचित लाभ देने हेतु रेल प्रशासन ने बनाया यूनियनों को अपना हस्तक
प्रशासन के साथ साजिशपूर्ण सहयोग से नाराज कर्मियों ने यूनियनों से नाता तोड़ने का मन बनाया
अहमदाबाद : रेल प्रशासन में एक वर्ग विशेष के कुछ अधिकारियों द्वारा सामान्य वर्ग को दरकिनार करने और उनकी वैकेंसी की जगह आरक्षित वर्ग को पदोन्नति में आरक्षण देने का नया ट्रेंड निकाल लिया गया है. भविष्य में आरक्षित वर्ग की वैकेंसी में एडजस्ट करने के बहाने सामान्य वर्ग की वैकेंसी में आरक्षित वर्ग को पदोन्नतियां दी जा रही हैं और इस प्रकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा पदोन्नति में आरक्षण के मामले में यथास्थिति बनाए रखने के लिए दिए गए आदेश और रेलवे बोर्ड द्वारा आरबीई 113/1997 एवं 117/2016 के जरिए जारी किए गए दिशा-निर्देशों को भी दरकिनार किया जा रहा है. ऐसे में रेल प्रशासन द्वारा कैट, अहमदाबाद के आदेशानुसार पोस्ट बेस्ड रोस्टर तैयार किए बिना कर्मचारियों की सही स्थिति न होने के कारण सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उचित अनुपालन सुनिश्चित नहीं किया जा रहा है.
इस संबंध में समता आंदोलन समिति, पश्चिम प्रकोष्ठ के अध्यक्ष विकास कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि वर्तमान में अहमदाबाद मंडल, पश्चिम रेलवे में यह जितनी भी पदोन्नति सूचियां निकाली गई हैं, वह सभी ट्रेड यूनियनों की मेहरबानी है. इससे हमारे द्वारा लड़े जाने वाले अदालत की अवमानना के मामले का प्रभाव कम करने का षड्यंत्र किया जा रहा है, जो साफ तौर पर ये प्रदर्शित करता है कि प्रशासन को सामान्य एवं अन्य पिछड़ा वर्ग से कोई लेना देना नहीं है. उनका कहना है कि हमारे न्यायोचित हितों पर ट्रेड यूनियनों का कुठाराघात है, जो हमारे प्रति इनका मोह भंग करने के लिए पर्याप्त है.
उन्होंने अपने सभी समतावादी मित्रों से अपील की है कि वे अपने निजी स्वार्थों को छोड़कर अपनी शक्ति का अहसास ट्रेड यूनियनों को करवाते हुए ट्रेड यूनियनों के अपने पदों से इस्तीफा दें. साथ ही उन्होंने सभी सामान्य/अन्य पिछड़ा वर्ग के कर्मचारियों से निवेदन भी किया है कि वे बी-2 फॉर्म भरकर अपने द्वारा यूनियनों को दिए गए चंदे को वापस लेने की शुरुआत करें, क्योंकि अपने ही भविष्य के खिलवाड़ हेतु हम अब इन ट्रेड यूनियनों को चंदा नहीं देंगे. उन्होंने सामान्य एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के सभी कर्मचारियों से अपील की है कि वे इस बात को गंभीरता से लेते हुए इस लड़ाई को लड़ने में सहयोग करें. उन्होंने कहा कि समिति द्वारा सभी सामान्य /अन्य पिछड़ा वर्ग को बी-2 फॉर्म उपलब्ध कराए जाएंगे.
उन्होंने कहा कि अहमदाबाद मंडल में 19 जून 2017 को निकाली गई डिप्टी सीटीआई, पीबी-2, ग्रेड पे 4200 (लेवल-6) की इस लिस्ट में पुनः सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना की गई है, जिसमें क्रम संख्या 28 के आगे के सभी कर्मचारी जूनियर होने के बावजूद उन्हें सीनियर से पहले पदोन्नत किया गया है. इसे जुलाई माह की सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में अदालत के सामने अवमानना हेतु प्रस्तुत किया जाएगा. उन्होंने कहा कि ऐसी सभी पदोन्नति सूचियां वाणिज्य विभाग के एक चीफ ओएस के षड्यंत्र का दुष्परिणाम हैं. उनका कहना है कि अहमदाबाद मंडल के पोस्ट बेस्ड रोस्टर में कई विसंगतियां और कमियां हैं, जिसके कारण रिक्तियों की सही स्थिति केटेगरी के अनुसार उपलब्ध नहीं है. इसके लिए समता आंदोलन समिति द्वारा एक पत्र मंडल कार्यालय को दिया गया है, जिसमें इन कमियों का उल्लेख भी है. संबंधित अधिकारियों से निवेदन है कि इसका संज्ञान लें.
उल्लेखनीय है कि 19 जून 2017 को अहमदाबाद मंडल, पश्चिम रेलवे द्वारा टिकट जांच कर्मचारीयों के प्रमोशन की सूची प्रकाशित की गई है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना कर 17 मुख्य टिकट निरीक्षकों एवं 71 उप मुख्य टिकट निरीक्षकों को पदोन्नति दी गई है. इसमें नियमों को ताक पर रखा गया है और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी करते हुए उसकी अवमानना की गई है. इस संदर्भ में समता आंदोलन समिति, पश्चिम रेलवे प्रकोष्ठ के महासचिव गजेंद्र सोती ने 20 जून 2017 को महाप्रबंधक, पश्चिम रेलवे को एक पत्र लिखकर 36012/45/2005-स्थापना(आरक्षण)/2010 एवं 36028/17/2001-स्थापना(आरक्षण), दि.31.01.2005 का हवाला देते हुए कहा है कि कैट, अहमदाबाद के आदेशानुसार अहमदाबाद मंडल की स्थापना के बाद से मंडल के सभी विभागों की कैडर संख्या, कर्मचारियों की स्थिति, कैडर में कर्मचारियों की कमी या अधिकता, यदि कोई हो, तो उसके लिए दि. 01.04.2003 से हर विभाग का पोस्ट बेस्ड रोस्टर निम्नलिखित शर्तों के अनुसार तैयार किया जाना चाहिए.
1. रेलवे बोर्ड के पत्र संख्या आरबीई 113/1997 में दिए गए दिशा-निर्देशों को दृढ़ता के साथ लागू किया जाए, अर्थात सिर्फ उन्हीं एससी/एसटी कर्मचारियों को सामान्य वर्ग के कर्मचारियों के स्थान पर पदोन्नत किया जा सकता है, जो कि सीधी भर्ती में मेरिट के आधार पर सामान्य वर्ग में चयनित हुए हों. परंतु रेलवे बोर्ड के इस पत्र की अनदेखी करते हुए पदोन्नति आदेश निकाले गए हैं, जिसके कारण पोस्ट बेस्ड रोस्टर पूरी तरह अनियमित एवं दोषपूर्ण है.
2. सभी पोस्ट बेस्ड रोस्टर को मुख्य कार्मिक अधिकारी, पश्चिम रेलवे द्वारा सत्यापित, अनुमोदित, प्रमाणित एवं संशोधित किया जाना चाहिए, परंतु जनसूचना अधिकार अधनियम 2005 के अंतर्गत खुद विभाग द्वारा ही दी गई जानकारी के अनुसार ऐसा नहीं किया जा रहा है.
महाप्रबंधक, पश्चिम रेलवे को भेजे गए उपरोक्त पत्र में कहा गया है कि उपरोक्त दोनों तथ्यों के बाद समता आंदोलन समिति उनके संज्ञान में कुछ अन्य विशिष्ट तथ्य भी लाना चाहती है, जो कि निम्नवत हैं-
अ. पोस्ट बेस्ड रोस्टर के निर्धारण हेतु अब तक सिर्फ 36012/45/2005-स्थापना(आरक्षण)/2010 को ही अमल में लाया गया है, परंतु रेलवे बोर्ड के अति-महत्वपूर्ण ऑफिस मेमोरेंडम संख्या 36028/17/2001-स्थापना (आरक्षण), दि. 31.01.2005, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि नॉन-सेलेक्शन प्रक्रिया में स्वयं की वरीयता लागू नहीं होगी, का अनुपालन नहीं किया जा रहा है.
ब. एक अन्य महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि पश्चिम रेलवे के अहमदाबाद मंडल, वड़ोदरा मंडल और राजकोट मंडल में 31.03.2003 के बाद से वाणिज्य विभाग में टिकट जांच कर्मचारियों का जहां कहीं भी अपग्रेडेशन हुआ है, वह नॉन-सेलेक्शन प्रक्रिया द्वारा किया गया है. जबकि इसके लिए ओएम सं. 36028/17/2001-स्थापना(आरक्षण), दि. 31.01.2005 में दिए गए दिशा-निर्देशों का अनुपालन किया जाना चाहिए था, जिसके अनुसार किसी भी आरक्षित कर्मचारी को अनारक्षित नहीं माना जा सकता है और किसी भी कैडर या पोस्ट में आरक्षित कर्मचारियों की संख्या निर्धारित प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती है.
पत्र में कहा गया है कि जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत अहमदाबाद मंडल द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर पता चला है कि अहमदाबाद मंडल में केवल सर्कुलर संख्या 36012/45/2005-स्थापना(आरक्षण)/2010 को ही अमल में लाया गया है, जिस पर समता आंदोलन समिति की अवमानना नोटिस के बाद अदालत द्वारा रोक लगा दी गई थी. इसी के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा दि. 29.09.2016 को दी गई अंतरिम राहत के तहत रेलवे बोर्ड द्वारा पत्र संख्या आरबीई 117/2016, दि. 30.09.2016 को जारी किया गया है.
पत्र में कहा गया है कि उपरोक्त तमाम तथ्यों को प्रशासन के संज्ञान में लाए जाने का समता आंदोलन समिति का औचित्य सिर्फ यह है कि समान परिस्थितियों वाले सभी कर्मचारियों के साथ समान व्यवहार किया जाए. ऐसा नहीं होना चाहिए कि सामान्य वर्ग के प्रत्येक कर्मचारी को अपना न्यायोचित हक पाने के लिए अदालत की शरण में जाने हेतु मजबूर किया जाए. परंतु उपरोक्त तमाम तथ्यों को देखने से यह स्पष्ट होता है कि एक वर्ग विशेष के कुछ कर्मचारियों एवं अधिकारियों द्वारा अपने वर्ग विशेष के कर्मचारियों/अधिकारियों को गलत तरीके से अनुचित लाभ पहुंचाने हेतु उपरोक्त सर्कुलर पर आधे-अधूरे रूप से अमल में किया जा रहा है. यह सामान्य एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के कर्मचारियों के अधिकारों पर कुठाराघात किए जाने का साजिशपूर्ण षड्यंत्र है. इसके लिए दोषी कर्मचारियों एवं अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए.
पत्र में महाप्रबंधक, पश्चिम रेलवे से यह भी अनुरोध किया गया है कि वे उपरोक्त तमाम तथ्यों को व्यक्तिगत रूप से अपने संज्ञान में लेकर और सामान्य एवं अन्य पिछड़ा वर्ग की मानसिक वेदनाओं को समझते हुए सभी विभागों के पोस्ट बेस्ड रोस्टर को संशोधित एवं प्रमाणिक करवाएं, ताकि बिना अदालत के अतिरिक्त हस्तक्षेप के ही सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सही तरीके से अनुपालन सुनिश्चित कराया जा सके. उक्त पत्र की प्रतियां सीपीओ/प.रे. सहित डीआरएम अहमदाबाद, वड़ोदरा, राजकोट, रतलाम, भावनगर एवं मुंबई सेंट्रल को भी भेजी गई हैं.
पश्चिम रेलवे, अहमदाबाद मंडल में उड़ती हैं बेखौप नियमों की धज्जियां
कई कर्मचारियों का कहना है कि पश्चिम रेलवे, अहमदाबाद मंडल के कार्मिक विभाग में लंबे समय से एक ही जगह बैठा हुआ ओएस/कामर्शियल सामान्य वर्ग के कर्मचारियों के प्रति पूरी तरह पुर्वाग्रह से ग्रसित है. उन्होंने बताया कि आईआई/वी पद के लिए प्रकाशित विज्ञिप्ति के अनुसार अहमदाबाद मंडल से एक भी आवेदन पत्र मुख्यालय को अग्रेषित नहीं किया गया. यह विज्ञिप्ति गत वर्ष दि. 08.03.2016 को निकाली गई थी तथा इसकी अंतिम तिथि 25.04.2016 थी. परंतु कार्मिक विभाग द्वारा अन्वेषण निरीक्षक पद के लिए अहमदाबाद मंडल से एक भी कर्मचारी का प्रार्थना पत्र अग्रेषित नहीं किया गया. इस तरह से संबंधित रेलकर्मियों के भारतीय संविधान प्रदत्त मूल अधिकारों का हनन हुआ है. इसमें चीफ ओएस/कमर्शियल ने साजिशपूर्ण तरीके से अपना कुत्सित दिमाग लगाकर सभी संबंधित रेलकर्मियों का एक अवसर छीन लिया है.
महाप्रबंधक को गुमराह कर रहा अहमदाबाद मंडल का कार्मिक विभाग
कर्मचारियों का कहना है कि महाप्रबंधक, पश्चिम रेलवे को एक आवेदन किया गया था कि अहमदाबाद मंडल के टिकट जांच कर्मचारियों की वरीयता में दि. 01.04.2003 से पोस्ट बेस्ड रोस्टर बनाकर उनकी वरीयता सूची में सुधार किया जाए. परंतु आवेदक एवं महाप्रबंधक को अहमदाबाद मंडल के कार्मिक विभाग ने जबाब दिया कि वर्ष 2013 से कोई अनियमिताएं नहीं हुई हैं. यहां विडंबना यह है कि जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत जानकारी वर्ष 2003 से मांगी गई थी, मगर उसके जबाब में यह जानकारी मंडल के कार्मिक विभाग द्वारा वर्ष 2013 से दी गई है.
अहमदाबाद मंडल के कार्मिक विभाग की कार्य-कुशलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि शिकायत वर्ष 2003 से और उसका समाधान 2013 से बताया गया है. इसका मतलब यह है कि जोनल मुख्यालय पर अहमदाबाद मंडल के कुछ मूढ़ प्रवृत्ति के अधिकारियों या कर्मचारियों का दबाव है अथवा ऐसा कोई वरदहस्त काम कर रहा है. वरना इस प्रकार के दिग्भ्रमित करने वाले आंकड़े देने वाले मंडल कार्मिक विभाग के संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध मुख्यालय को गुमराह करने के लिए विभागीय जांच हो सकती है. प्रशासन को गुमराह करने के अपराध में बड़ी शास्ति (मेजर पेनाल्टी) बनती है, परंतु महाप्रबंधक/प.रे. द्वारा इस मामले में मंडल के संबंधित कार्मिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुद्ध अब तक ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की गई है.