लाइट जोड़ने में एक मिनट की देरी: डीआरएम ने दिखाया अपना रुतबा
सीनियर सेक्शन इंजीनियर को किया निलंबित
कर्मचारियों ने किया जोरदार विरोध प्रदर्शन
डीआरएम आए जमीन पर, निलंबन तत्काल वापस लिया
पश्चिम मध्य रेलवे का कोटा मंडल हमेशा सुर्खियों में रहता है। कोटा के पानी में कुछ तो खास बात है कि यहां जो भी डीआरएम आता है, सबसे पहले तो वह यह मान लेता है कि अब उससे बड़ा कोई नहीं है, फिर निरंकुश होकर अपनी मनमानी करने पर उतारू हो जाता है, फिर उसे अपने आगे सब छोटे-बौने दिखाई देने लगते हैं। वर्तमान डीआरएम, कोटा मंडल पंकज शर्मा का भी ऐसा ही कुछ हाल है। कम से कम उनकी गतिविधियों से तो अब तक यही संदेश जा रहा है!
मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) कोटा मंडल, पंकज शर्मा के बंगले की लाइट का कनेक्शन जोड़ने में सीनियर सेक्शन इंजीनियर (एसएसई/इलेक्ट्रिकल) को तय समय से एक मिनट ज्यादा का समय लग गया। इस पर उन्होंने एसएसई के निलंबन का आदेश जारी कर दिया। इस आदेश की भनक लगते ही बिजली विभाग के कर्मचारियों का गुस्सा फूट पड़ा।
डीआरएम के इस आदेश अथवा मनमानी का कर्मचारियों ने जोरदार विरोध किया। कर्मचारियों ने सोम-मंगल, 28-29 जून को मंडल कार्यालय में डीआरएम के खिलाफ जोरदार विरोध-प्रदर्शन और नारेबाजी किया। उन्होंने डीआरएम को साफ चेतावनी भी दी कि यदि बिना ठोस कारण के सबॉर्डिनेट सुपरवाइजरों/इंजीनियरों/निरीक्षकों को निलंबित करना और चार्जशीट देना बंद नहीं किया, तो आंदोलन तेज किया जाएगा और उन्हें उनकी हैसियत बताई जाएगी।
इस संबंध में सैकड़ों कर्मचारियों द्वारा सैकड़ों हस्ताक्षरों के साथ एक ज्ञापन महाप्रबंधक/पश्चिम मध्य रेलवे, डीआरएम/कोटा और वरिष्ठ मंडल विद्युत अभियंता (सामान्य) को भेजा गया। उक्त ज्ञापन में भी डीआरएम की मनमानी कार्यप्रणाली के साथ कर्मचारियों का अकारण उत्पीड़न करने का उल्लेख किया गया है।
इसके साथ ही कर्मचारियों ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री कार्यालय और रेलवे बोर्ड को इस मामले की जानकारी दी। कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए अधिकारियों ने एसएसई का निलंबन वापस ले लिया।
कर्मचारियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार बारिश के मौसम को देखते हुए रेलवे अधिकारियों की कॉलोनी में बिजली के तारों को दूर रखने के लिए पेड़ों की छंटाई का निर्णय लिया गया था। इस कार्य के लिए शनिवार, 26 जून को कॉलोनी की विद्युत आपूर्ति दो घंटे के लिए बंद की गई थी।
विगत में चूंकि डीआरएम बंगले की विद्युत आपूर्ति का कनेक्शन राज्य सरकार की आपूर्ति से कर दिया गया था, अतः उसे पुनः रेलवे की विद्युत आपूर्ति से जोड़ने में एसएसई को बस एक या दो मिनट का ही ज्यादा समय लगा होगा, पर इतनी सी बात पर ही नाराज होकर डीआरएम ने उसके निलंबन का आदेश सीनियर डीईई/जनरल को दनदना दिया।
कर्मचारियों ने बताया कि काम समाप्त होने के बाद कॉलोनी की बिजली आपूर्ति चालू कर दी गई। डीआरएम के बंगले का भी रेलवे की लाइट से कनेक्शन कर दिया गया। कनेक्शन बदलने में लगे एक मिनट के अधिक समय से पता नहीं डीआरएम को क्यों मिर्ची लगी, जो इतनी सी बात पर इतना बड़ा और अन्यायपूर्ण कदम उठा लिया।
उन्होंने बताया कि कलेक्शन बदलने में (चेंज ओवर) में अमूमन 3 से 4 मिनट का समय लगता है। लेकिन किसी कारण से इस काम में 4 से 5 मिनट का समय लग गया। एक-दो मिनट अधिक समय लगने पर डीआरएम साहब भड़क गए। डीआरएम ने तुरंत बिजली विभाग के सीनियर सेक्शन इंजीनियर बी. के. शर्मा के निलंबन का आदेश दे दिया। डीआरएम का आदेश मिलते ही बिजली विभाग के अधिकारियों ने एसएसई शर्मा को निलंबित कर दिया, जबकि एक-दो मिनट की देरी का जो भी कारण था, उससे वे सब भली-भांति परिचित थे। उन्होंने कहा कि असल में ब्रांच अफसरों की नालायकी और कर्मचारियों का पक्ष रखने में उनके द्वारा की जाने वाली कोताही के कारण भी डीआरएम जैसे अधिकारी निरंकुश होते जाते हैं।
कर्मचारियों का कहना था कि यह पहला मामला नहीं है जब डीआरएम ने किसी सुपरवाइजर या इंजीनियर को निलंबित किया है। इससे पहले डीआरएम ने अकारण बारां और सवाई माधोपुर में भी सबॉर्डिनेट सुपरवाइजरों/इंजीनियरों को निलंबित कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि डीआरएम द्वारा अब तक के अपने मात्र डेढ़ साल के कार्यकाल में डेढ़ सौ से अधिक सुपरवाइजरों निरीक्षकों को इसी तरह मनमानीपूर्ण तरीके से निलंबित किया जा चुका है। इस बार कर्मचारियों की सहनशक्ति समाप्त हो गई तब कर्मचारियों ने एकजुट होकर डीआरएम के खिलाफ मोर्चा निकालकर डीआरएम कार्यालय के समक्ष जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।
इस संदर्भ में “रेल समाचार” ने जब डीआरएम/कोटा पंकज शर्मा को उनके मोबाइल पर कॉल करके उनका पक्ष जानने की कोशिश की तो उन्होंने रेस्पॉन्ड नहीं किया। कहते हैं, आदमी ही आदमी का दुश्मन होता है। यही बात यहां भी लागू होती है, क्योंकि डीआरएम पंकज शर्मा स्वयं इलेक्ट्रिकल कैडर से हैं, तब उन्हें कनेक्शन जोड़ने में एसएसई/विद्युत को आई परेशानी का अंदाजा अवश्य होना चाहिए था, परंतु वह तो कभी स्टाफ से “कनेक्ट” रहे ही नहीं। यही होता है जब आदमी पद के घमंड और रुतबे के नशे में चूर होता है, तब उसे अपना-पराया कुछ समझ में नहीं आता!