November 24, 2020

पूर्वोत्तर रेलवे: पिछले 6-7 महीनों के दौरान संरक्षा सलाहकारों/अधिकारियों ने क्या काम किया?

Permanent-Way (P-Way) of Railways. It can be say "Rail-Line" in a simple language

पूर्वोत्तर रेलवे संरक्षा संगठन में लगभग 25 कर्मचारी पदस्थापित हैं, जिसमें सात संरक्षा सलाहकार, एक प्रमुख मुख्य संरक्षा अधिकारी, दो उप मुख्य संरक्षा अधिकारी, एक वरिष्ठ संरक्षा अधिकारी, एक सहायक परिचालन/सेफ्टी प्रबंधक हैं।

गोरखपुर ब्यूरो : प्राप्त जानकारी के अनुसार जब से लॉकडाउन शुरू हुआ, तब से यानि 23 मार्च के बाद से इन सातों संरक्षा सलाहकारों द्वारा कोई भी निरीक्षण कार्य नहीं किया गया है। बताते हैं कि निरीक्षण कार्य हेतु यदि किसी कर्मचारी ने जाना भी चाहा, तो उसे इन कथित संरक्षा सलाहकारों द्वारा रोक गया था।

कर्मचारियों का कहना है कि संरक्षा विभाग का जो मूल कार्य है, वह पिछले कई महीनों से नहीं किया गया। उनका कहना है कि जीएम की पोस्टिंग के बाद अभी कुछ हलचल हुई है, क्योंकि जीएम पदभार संभालने के तुरंत बाद से खुद ही लगातार निरीक्षण कार्य में जुटे हुए हैं।

तथापि कर्मचारियों का कहना है कि जीएम को इस बारे में प्रमुख मुख्य संरक्षा अधिकारी से विधिवत और विषयवार रिपोर्ट मंगानी चाहिए कि पिछले 6-7 महीनों के दौरान सभी मुख्यालय एवं तीनों मंडलों के संरक्षा सलाहकारों और संरक्षा अधिकारियों ने कितने और कहां-कहां क्या-क्या निरीक्षण कार्य किए हैं।

तथ्यात्मक रूप से कर्मचारियों की बात सही है कि रेलवे विभाग सिर्फ पेंशन देने के लिए नहीं है, मुफ्त का वेतन देने के लिए भी नहीं है। परंतु जो हो रहा है, उसका प्रभाव कहीं न कहीं रेल संरक्षा पर अवश्य पड़ने वाला है।

जब सरकार/ रेल मंत्रालय द्वारा इन संरक्षा कर्मचारियों को पूरा वेतन दिया जा रहा है, लॉकडाउन पीरियड का भी पूरा वेतन भुगतान किया गया है, तब इनसे निर्धारित कार्य क्यों नहीं लिया गया? यह गम्भीर जांच का विषय है, क्योंकि मामला सार्वजनिक संरक्षा (पब्लिक सेफ्टी) का है।

संरक्षा सलाहकारों से ऑफिस में बाबू का काम लिया जाना कहां तक उचित है? उनसे घर का काम करवाने का क्या औचित्य है? इससे सभी कर्मचारियों में काफी रोष भी व्याप्त है।

कर्मचारियों का कहना है कि प्रमुख मुख्य संरक्षा अधिकारी को संरक्षा संबंधी योजनाओं के विषय में कोई जानकारी नहीं होती। इन्हीं का अनुसरण करते हुए बाकी उप मुख्य संरक्षा अधिकारी भी कोई काम नहीं करते हैं।

कर्मचारियों का उत्पीड़न करना अधिकारियों के लिए जैसे एक स्थाई शगल बन गया है। उनका यह भी कहना है कि महाप्रबंधक द्वारा इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए इस पर उचित कार्रवाई करने की जानी चाहिए।

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