October 27, 2020

मंत्रालयों को विनिवेश योग्य पीएसई/पीएसयू की नई लिस्ट तैयार करने का निर्देश

Representative pic: Amitabh Kant, CEO Niti Aayog (Centre), V K Yadav, Chairman & CEO Railway Board (Left) and D J Narain, ADG.(Media & Communications) (Right) during a press conference, at National Media Centre, on September 17, 2020 in New Delhi, India. (Courtesy - Photo by Sanjeev Verma)

सरकारी सार्वजनिक संपत्तियों के निजीकरण पर तेजी से काम कर रहा नीति आयोग

केंद्र सरकार, सरकारी सार्वजनिक संपत्तियों के निजीकरण (प्राइवेटाइजेशन) पर तेजी से काम कर रही है। कुछ और सरकारी कंपनियों को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी हो रही है। नीति आयोग इनकी पूरी नई लिस्ट तैयार कर रहा है। ऐसे पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज (पीएसई) और पब्लिक सेक्टर यूनिट्स (पीएसयू) की पहचान की जा रही है, जहां विनिवेश या उनको बेचने की तनिक भी गुंजाइश हो।

विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार निजीकरण को लेकर संभावित नई लिस्ट पर सोमवार, 26 अक्टूबर को नीति आयोग के अधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक हो चुकी है। इस बैठक में सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों की पहचान की गई है। इनकी पूरी नई लिस्ट तैयार की जा रही है। पहली लिस्ट में 48 सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयों (पीएसयू) में विनिवेश को लेकर नीति आयोग ने अपने सुझाव दिए थे।

मंत्रालयों को विभागीय कंपनियों की लिस्ट बनाने के निर्देश: इकोनॉमिक टाइम्स की एक खबर के अनुसार नीति आयोग ने सभी मंत्रालयों को भी अपने मातहत आने वाले पीएसई की पहचान करने के लिए कहा है, जिनमें सरकार स्ट्रेटेजिक हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया अपना सकती है। इस डील में मालिकाना हक और कंट्रोल दोनों ट्रांसफर किए जाएंगे। इसके साथ ही संबंधित मंत्रालय अपने विभाग के अंतर्गत आने वाली नॉन-स्ट्रेटेजिक कंपनियों की भी पहचान करेंगे, यहां सरकार विनिवेश (डिस्इंवेस्टमेंट) कर सकेगी।

सरकार का प्लान: केंद्र सरकार का प्लान कि नॉन-स्ट्रेटेजिक सेक्टर से पूरी तरह निकला जाए। इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए नीति आयोग को यह जिम्मेदारी दी गई थी। कोरोनावायरस महामारी के चलते सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ा है। इसलिए विनिवेश और हिस्सेदारी बिक्री की प्रक्रिया पर तेजी से काम किया जा रहा है। ऐसे में सरकार नॉन-स्ट्रेटेजिक पब्लिक सेक्टर यूनिट में संपत्तियों का मौद्रीकरण करना चाहती है।

किन सेक्टर्स से बाहर निकलेगी सरकार: हाल ही में केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया था कि वह पब्लिक सेक्टर की कुछ कंपनियों को छोड़कर नॉन-स्ट्रेटेजिक सेक्टर से पूरी तरह बाहर निकल जाएगी। डिफेंस, बैंकिंग, इंश्योरेंस, स्टील, फर्टिलाइजर और पेट्रोलियम स्ट्रेटेजिक सेक्टर के तहत आते हैं। सरकार इनसे बाहर नहीं निकलेगी।

हालांकि प्राइवेट प्लेयर्स की भी इस क्षेत्र में एंट्री होगी, ताकि प्रतिस्पर्धा बढ़ सके और कामकाज की गुणवत्ता में सुधार हो। “आत्मनिर्भर भारत” के तहत भी इसमें निवेश को बढ़ाने की योजना है।

विनिवेश से ₹2.1 लाख करोड़ जुटाने का लक्ष्य: चालू वित्त वर्ष 2020-21 के लिए सरकार ने विनिवेश से ₹2.1 लाख करोड़ जुटाने का लक्ष्य रखा था। स्ट्रेटेजिक सेल के लिए जरिए सरकार ₹1.2 लाख करोड़ जुटाना चाहती है। इसके अलावा पब्लिक सेक्टर बैंकों और फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशंस में विनिवेश के जरिए भी ₹90 हजार करोड़ का फंड इकट्ठा करने की योजना है।

उल्लेखनीय है कि नीति आयोग ने पहले चरण में 48 सरकारी कंपनियों में विनिवेश का सुझाव दिया था। इसमें एयर इंडिया जैसी कंपनियां शामिल हैं। इसके अलावा एनटीपीसी, सीमेंट कॉर्पोरेशन, भारत अर्थ मूवर्स और स्टील अथॉरिटी में भी हिस्सेदारी बेचने का सुझाव दिया गया था।

प्रस्तुति : सुरेश त्रिपाठी

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