July 21, 2020

पूर्व मध्य रेलवे: बिहार चुनाव के मद्देनजर रेलकर्मियों की जान की कोई परवाह नहीं

भारतीय रेल में बिना कर्व अथवा रिवर्स गोलाई के बिना इस तरह का गुणवत्तापूर्ण निर्माण कार्य कब किया जाएगा?

लॉकडाउन और बढ़ते संक्रमण के बावजूद टारगेट के नाम पर सामूहिक कार्य में झोंके जा रहे कर्मचारी

हाजीपुर : आगामी 8 अगस्त 2020 को विडियो कांफ्रेंसिंग के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बहुप्रतीक्षित कोशी ब्रिज का उदघाटन संपन्न होना है। इसके बाद इस रेलवे ब्रिज से ट्रेनों का संचालन प्रारम्भ हो जाएगा। इस तरह सरायगढ़ से निर्मली तक ट्रैक का आमान परिवर्तन का कार्य पूरा हो जाएगा।

लॉकडाउन में भी कमीशन कमाने की गजब की बेचैनी पूर्व मध्य रेलवे निर्माण संगठन के अधिकारियों में देखी जा रही है। राम नाम की लूट है, लूट सके सो लूट, अंतकाल पछताएगा जब प्राण जाएंगे छूट, वाली कहावत यहां पूरी तरह से चरितार्थ हो रही है।

पूर्व मध्य रेलवे में इसी तर्ज पर खूब निर्माण कार्य चल रहे हैं। आखिर बिहार में विधानसभा का चुनाव भी तो है। इसीलिए पुराने टेंडर प्रशासनिक आधार पर कैंसल करके नए टेंडर पुनः हाई रेट पर और वह भी प्रायोजित तौर पर दिए जा रहे हैं। इसके साथ ही एडवांस टेंडर का सिलसिला भी बदस्तूर जारी रखा गया है।

अधिकांश ऐसे मामलों में सीएओ/सी को भी बार-बार गुमराह किया जा रहा है और वे इस चौकड़ी के इस कदाचारपूर्ण तिकड़म को अभी तक समझने में नाकाम रहे हैं, जिससे इस झुंड के कुछ सीई/सी पूरी तरह मदमस्त हो रहे हैं।

लॉकडाउन में भी टारगेट समयावधि देकर अपने फील्ड में नियुक्त कर्मचारियों-अधिकारियों की कोरोना संक्रमण और प्रसार/महामारी समयावधियों में भी ड्यूटी लगाकर उन सभी के जीवन की आहुति दी जा रही है, जो न्यायोचित तो नहीं ही है, पर कर्मचारियों-अधिकारियों की भी अपनी-अपनी मजबूरियां हैं।

लॉकडाउन मतलब सब कुछ बंद, मगर कंस्ट्रक्शन अधिकारियों के लिए लॉकडाउन का मतलब कमाई का बड़ा अवसर है। उन्हें इस बात की न तो कोई चिंता है, और न ही कोई फिक्र कि इसके चलते फील्ड में कार्यरत और अधिक कर्मचारी-अधिकारी कोरोना संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं। फिर भी समूह में मानव श्रम से निष्पादित होने वाले निर्माण कार्यो को अबिलंब बंद किए जाने पर पुनर्विचार करने की जरूरत उन्हें महसूस नहीं होती।

गरीब मजदूर-मातहत कर्मचारी-अधिकारी जो फील्ड ड्यूटी से संबंधित हैं, दोनों के संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार एवं उनके हितों की रक्षा के लिए यह सब कहां तक जायज है, यह देखने-सुनने वाला कोई नहीं है

जब ऑफिस में नियुक्त सभी अपने घरों में बैठकर काम कर रहे हैं और उन सभी को पूरा वेतन भुगतान भी किया जा रहा है, तब फील्ड स्टाफ को ही क्यों मरने के लिए झोंका जा रहा है? यह सवाल फील्ड में कार्यरत हर कर्मचारी और अधिकारी पूछ रहा है।

कोरोना संक्रमण की चपेट में महेन्द्रूघाट, पटना के सीएसटीई/कंस्ट्रक्शन ऑफिस के अधिकांश अधिकारी और कर्मचारी आए हैं। डिप्टी सीएसटीई बी. के. सिंह सहित इस कार्यालय के संपर्क में आने से अन्य विभागों के अधिकारी और कर्मचारी भी संक्रमित हुए हैं। आखिर यह सब लोग टारगेट के नाम पर लॉकडाउन में जबरन ड्यूटी करवाए जाने से ही तो संक्रमित हो रहे हैं।

कर्मचारियों का कहना है कि वास्तविकता तो यही है कि यदि सही से जांच की जाए, तो पूर्व मध्य रेलवे निर्माण संगठन से जुड़े अधिकांश अधिकारी और सुपरवाइजर संक्रमित हो चुके हैं और अब भयावहता की हद पार हो रही है।