तीव्र, सुरक्षित ट्रेन संचालन हेतु सिग्नलिंग क्षेत्र के आधुनिक विकास पर वेब संगोष्ठी का आयोजन

GM/NCR-NR Rajeev Chowdhary addressing webinar on latest developments in the field of railway signalling

नई दिल्ली-हावड़ा और नई दिल्ली-मुंबई ट्रंक रूट पर रोलआउट से पहले पायलट प्रोजेक्ट के रूप में  झाँसी-बीना सहित भारतीय रेल के 4 खंडों में आधुनिक ‘यूरोपीय ट्रेन नियंत्रण प्रणाली लेवल-2’ का किया जाएगा कार्यांवयन

कोविड-19 संबंधित लॉकडाउन के दृष्टिगत भारतीय रेलवे द्वारा प्रशिक्षण, सेमिनार, बैठक, कॉन्फ्रेंस आदि आयोजनों के लिए नियमित रूप से ऑनलाइन प्लेटफार्मों का प्रयोग किया जा रहा है। विभिन्न विभागों द्वारा आयोजित वेब सेमिनार कर्मचारियों के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय हो रहे हैं, क्योंकि ऐसे इंटरएक्टिव सत्रों के माध्यम से उन्हें विषय के विशेषज्ञों से सीखने का अवसर मिलता है।

उत्तर मध्य रेलवे संकेत एवं दूरसंचार विभाग इस तरह के वेब-आधारित सेमिनार के आयोजन में अग्रणी रहा है। इसी क्रम में यूरोपीय ट्रेन नियंत्रण प्रणाली (ईटीसीएस) लेवल-2 पर 9वें वेब सेमिनार का आयोजन किया गया। यूरोपीय ट्रेन नियंत्रण प्रणाली एक संरक्षायुक्त, कुशल और तेज परिवहन वाली आधुनिक सिग्नलिंग प्रणाली है।

महाप्रबंधक उत्तर मध्य रेलवे एवं उत्तर रेलवे राजीव चौधरी की अध्यक्षता में उत्तर मध्य रेलवे के लगभग 100 अधिकारियों ने इस वेबिनार में रेलटेल और यूरोप स्थित इस आधुनिक सिग्नलिंग प्रणाली के विशेषज्ञों के साथ भाग लिया। स्वीडन से इस क्षेत्र के विशेषज्ञ थॉमस जानसन ने ट्रेन कंट्रोल सिस्टम की नवीनतम तकनीक पर और इस आधुनिक सिग्नलिंग के पायलट प्रोजेक्ट के बारे में भी प्रस्तुतिकरण किया।

ज्ञातव्य है कि उत्तर मध्य रेलवे में झांसी मंडल का झांसी-बीना खंड ईटीसीएस लेवल-2 परियोजना के लिए पायलट प्रोजेक्ट हेतु चिन्हित स्वर्णिम चतुर्भुज मार्गों पर स्थित भारतीय रेल के नागपुर-बडनेरा (मध्य रेलवे), रेनिगुट्टा-येरगुट्टा (दक्षिण मध्य रेलवे) और विजयग्राम-पलासा (पूर्व तटीय रेलवे) सहित चार खंडों में से एक है। यह कार्य नई सिग्नलिंग प्रणाली यानी ईटीसीएस एल-2 को नई दिल्ली-हावड़ा और नई दिल्ली-मुंबई ट्रंक मार्गों पर लागू करने के लिए आवश्यक अनुभव प्राप्त करने और आवश्यक सुधारों को शामिल करने में मदद करेगा।

‘यूरोपीय ट्रेन नियंत्रण प्रणाली एल-2’ नामक यह आधुनिक सिग्नलिंग मूल रूप से एक रेडियो आधारित, निरंतर स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली है, जो सिग्नल पासिंग एट डैंजर (स्पेड) एवं ओवर स्पीडिंग की संभावना के उन्मूलन द्वारा ट्रेन कोलीजन की किसी भी संभावना को भी समाप्त करती है।

इस प्रणाली द्वारा केंद्रीकृत नियंत्रण और स्वचालित ट्रेन नियंत्रण प्रणाली के माध्यम से कंजेस्टेड ट्रंक मार्गों पर लाइन क्षमता में सुधार भी होगा। इससे थ्रू-पुट क्षमता भी बढ़गी, अर्थात संबंधित रेलखंड में अधिक ट्रेनें चल सकेंगी।

यूरोपीय ट्रेन नियंत्रण प्रणाली लेवल-2 के साथ ही, आधुनिक एलटीई आधारित (4जी) संचार व्यवस्था भी ट्रेन पर उपलब्ध होगी, जिसके माध्यम से यात्रियों की सुरक्षा के लिए डिब्बों में लगाए गए ऑनबोर्ड सीसीटीवी कैमरे की निगरानी सीधे कंट्रोल रूम से की जा सकेगी।

इस आधुनिक सिग्नलिंग प्रणाली में लोकोमोटिव और ट्रेनसेट, ट्रैकसाइड उपकरण और रेडियो ब्लॉक केंद्र में लगे ऑन-बोर्ड उपकरण शामिल होंगे, जो मोबाइल ट्रेन रेडियो संचार के माध्यम से ट्रेनों से लगातार जुड़े रहेंगे।

रेडियो ब्लॉक केंद्र इस प्रणाली के केंद्र के रूप में काम करता है, जो खंड में 200 किमी की दूरी पर रहेंगे। इसमें वे-साइड स्टेशनों के सभी इंटरलॉकिंग डेटा उपलब्ध होंगे, जो प्रत्येक खंड और स्टेशन की क्षमता पर विचार करते हुए निरंतर संचार के माध्यम से दो ट्रेनों के बीच सुरक्षित दूरी बनाए रखेंगे।

वेबिनार की शुरुआत में प्रमुख मुख्य संकेत एवं दूरसंचार इंजीनियर, उत्तर मध्य रेलवे अरुण कुमार ने महाप्रबंधक राजीव चौधरी का स्वागत किया। उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य सिग्नल इंजीनियर नीरज यादव ने प्रतिभागियों को उत्तर मध्य रेलवे द्वारा आयोजित सेमिनार के संबंध में जानकारी दी। अरुण कुमार सक्सेना, सलाहकार सिग्नल रेलटेल और संदीप माथुर, मंडल रेल प्रबंधक, झांसी ने भी इस वेबिनार में भाग लिया।

प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए महाप्रबंधक राजीव चौधरी ने कहा कि इस तरह के सेमिनार हमारे कर्मचारियों में इस आधुनिक सिग्नलिंग प्रणाली की बेहतर समझ बनाने में मदद करेंगे। उन्होंने रेलवे में किए जा रहे नवीनतम तकनीक के प्रयोग के संबंध में कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि रेल कर्मचारियों की आधुनिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आत्मनिर्भर बनाया जा सके।

श्री चौधरी ने यह भी कहा कि भारतीय परिस्थितियों के अनुसार इस आधुनिक सिग्नलिंग प्रणाली को भारतीय रेल की आवश्यकता के अनुरूप विकसित किया जाए, जिससे इस प्रणाली से रेल संचालन में अपेक्षित लाभ मिल सके।