पूर्वोत्तर रेलवे के भंगेड़ी लेखाधिकारी ने पुनः भांग पीकर लिया निर्णय
सेवानिवृत्त अधिकारी को नहीं किया जा रहा डुएल चार्ज अलाउंस का भुगतान
गोरखपुर ब्यूरो : ऐसा लगता है कि पूर्वोत्तर रेलवे, लेखा विभाग का एक अधिकारी भांग पीकर काम करने का आदी हो चुका है, क्योंकि कुछ दिन पहले इसी अधिकारी ने वर्ष 2008 से एमएसीपी के अंतर्गत देय लाभ को वर्ष 2009 तथा आगे की गोपनीय रिपोर्ट, जो उस समय तक लिखी ही नहीं गई थी, को देखकर भी अमान्य करने का आर्डर जारी कर दिया था. ऐसा प्रतीत होता है कि पूर्वोत्तर रेलवे के प्रमुख वित्त सलाहकार एवं मुख्य लेखाधिकारी का ट्वीटर एकाउंट भी इसी भंगेड़ी अधिकारी द्वारा ऑपरेट किया जा रहा है, क्योंकि इसने ट्वीटर पर ही गलत जानकारी देकर संबंधित अधिकारी, जिसने भुगतान संबंधी विसंगति पर सवाल उठाया था, को दिग्भ्रमित करने की अक्षम्य अपराधिक कोशिश की है.
ऐसा ही एक मामला पुनः ‘रेल समाचार’ के संज्ञान में आया है. यह मामला पूर्वोत्तर रेलवे के लेखा विभाग में हुआ है. पूर्वोत्तर रेल्वेसे ही सेवानिवृत्त ही प्रवर लेखाधिकारी ज्ञान प्रदीप प्रभाकर के डुएल चार्ज भत्ते को उस पत्र के आलोक में अमान्य कर दिया जो प्रभाकर की सेवानिवृत्ति के बाद की तिथि में रेलवे बोर्ड द्वारा जारी किया गया था. ‘रेल समाचार’ द्वारा ट्वीट के माध्यम से इस समस्या के बारे में महाप्रबंधक, पूर्वोत्तर रेलवे को अवगत कराया गया था.
इसके उत्तर में प्रिंसिपल एफएएंडसीएओ, पूर्वोत्तर रेलवे द्वारा ट्वीट के माध्यम से ही सूचित किया गया कि रेलवे बोर्ड के पत्र संख्या एफ(ई)स्पेशल/2016/एफआर/1/1, दि. 11.06.2017 तथा एफ(ई)/स्पेशल/2009/एफआर/1/3(पीटी-2), दि. 16.01.2017 के संदर्भ से प्रभाकर को उक्त भत्ता देय नहीं है. यहां उल्लेखनीय है कि प्रभाकर 31 जुलाई 2016 को ही सेवानिवृत्त हो चुके थे. भांग पीकर भविष्य का अनुमान लगा लेने वाले इस अत्यंत दुष्ट लेखाधिकारी को पहले से यह पता चल गया था कि भविष्य में ऐसा पत्र रेलवे बोर्ड से आने वाला है, अतः प्रभाकर का देय भत्ता रोक कर रखा गया, जिससे पत्र प्राप्त होने पर भत्ता अमान्य कर दिया जाए.
इसके अतिरिक्त 80000 रु. की लिमिट जो आईआरईएम के पैरा 648 के अनुसार निर्धारित की गई है, वह कर्मचारी का वेतन नहीं है, जैसा कि संबंधित दुष्ट लेखाधिकारी ने नियम की गलत व्याख्या करते हुए लिखा है. जबकि रेलवे बोर्ड के उपरोक्त पत्र दि. 16.01.2017, जिसे ट्वीट में भी उद्धृत किया गया था, में 80,000 रु. के बारे में कुछ नहीं लिखा है. देखें, यहां प्रस्तुत है रेलवे बोर्ड का उक्त संबंधित पत्र.
पत्र का मजमून इस प्रकार है-
RlyB’d Ltr. No. F(E)/Spl./2016/FR/1/1, dated 16.01.2017
Sub: Clarification regarding payment of dual charge allowance under 7th CPC.
Some of the Railways have sought clarification regarding grant of rate of Dual Charge Allowance (DCA) on or after 01.01.2016 in view of the revision of pay scales under 7th CPC pay structure.
In this connection, it is clarified that Dual Charge Allowance (DCA) would be admissible only in pre-revised pay scales (6th CPC)/rates of pay/ceiling until further orders, if any, in this regard.
कर्मचारियों और अधिकारियों को इस प्रकार प्रताड़ित करने में संबंधित लेखा अधिकारी को कौन सा सुख और मानसिक शांति मिलती है, यह तो वह ही बता सकता है, परंतु उसके द्वारा किए जाने वाले ऐसे कुकृत्यों से लेखा विभाग की छवि बुरी तरह धूमिल हो रही है. यह कहना है पूर्वोत्तर रेलवे मुख्यालय के तमाम अधिकारियों और कर्मचारियों का. उनका यह भी कहना है कि एक प्रमोटी अधिकारी ही दूसरे प्रमोटी अधिकारी का दुश्मन है, यह बात स्पष्ट रूप से इस मामले में दृष्टिगोचर हो रही है. रेल संगठनों के पदाधिकारियों ने भी उक्त लेखाधिकारी की दुष्ट हरकतों पर अपना विरोध जताया है. कई अधिकारियों का यह भी कहना है कि महाप्रबंधक को अविलंब संबंधित अधिकारी को निलंबित करके सेवानिवृत्त अधिकारी के साथ न्याय करना चाहिए.
बिजय कुमार ने सीएफटीएम/पूर्वोत्तर रेलवे का कार्यभार संभाला
गोरखपुर ब्यूरो : भारतीय रेल यातायात सेवा, 1997 बैच के अधिकारी बिजय कुमार ने पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य मालभाड़ा यातायात प्रबंधक (सीएफटीएम), का पदभार ग्रहण कर लिया. इसके पूर्व वह उत्तर मध्य रेलवे में मुख्य प्रबंधक, सूचना प्रौद्योगिकी के पद पर कार्यरत थे. वर्ष 1972 में आजमगढ़ में पैदा हुए बिजय कुमार ने उत्तर मध्य रेलवे के विभिन्न पदों पर अपने दायित्व का कुशलतापूर्वक निर्वाह किया.
उन्होंने उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक एवं वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक, इलाहाबाद मंडल के पदों पर कुशलतापूर्वक कार्य किया है. बिजय कुमार ने मुख्य प्रबंधक, सूचना प्रौद्योगिकी के पद पर कार्य करते हुए मोबाइल एप्लीकेशन का विकास कराया, जिसमें उत्तर मध्य रेलवे के न्यूज एवं मैगजीन ऐप, रेल कंसेप्शन ऐप, ई-निरीक्षण ऐप आदि का कार्य सफलतापूर्वक किया जा रहा है. उन्हें रेल संचालन का गहन अनुभव प्राप्त है.