प्रिंसिपल सीओएम कांफ्रेंस है या चीफ कंट्रोलर्स/यार्ड मास्टर कांफ्रेंस?
सिर्फ लोडिंग लक्ष्य प्राप्त करने पर विचार करेंगे शीर्ष परिचालन प्रबंधक!
मुंबई : भारतीय रेल के सभी जोनों के प्रमुख मुख्य परिचालन प्रबंधक (प्रिंसिपल सीओएम) 4-5 अक्टूबर को दो दिन के लिए रेलवे की परिचालन संबंधी रणनीति तय करने के लिए गोवा में जुटे हैं. ‘प्रिसिपल सीओएम कांफ्रेंस’ के नाम पर इस मीटिंग का जो एजेंडा 10 सितंबर को रेलवे बोर्ड द्वारा जारी किया गया था, उसको देखने के बाद यह भारतीय रेल के शीर्ष परिचालन प्रबंधकों की कांफ्रेंस के बजाय ‘चीफ कंट्रोलर्स अथवा चीफ यार्ड मास्टर कांफ्रेंस’ ज्यादा कही जा सकती है. उल्लेखनीय है कि इस तथाकथित कांफ्रेंस के लिए सभी जोनों के प्रिंसिपल सीओएम एक दिन पहले ही हवाई मार्गों से 3 अक्टूबर को ही गोवा पहुंच गए थे. इसके अलावा 6-7 अक्टूबर को शनिवार-रविवार की छुट्टी मिल रही है. इस प्रकार गोवा के सुरम्य समुद्र तटों की पूरी मौजमस्ती लेने के हिसाब से इस तथाकथित कांफ्रेंस का कार्यक्रम बहुत सोच-समझकर बनाया गया.
इसके एजेंडा में कहा गया है कि बैठक में सितंबर 2018 तक की फ्रेट लोडिंग परफॉरमेंस की समीक्षा और चालू वित्तवर्ष में 1262 मिलियन टन फ्रेट लोडिंग के लक्ष्य को पाने की रणनीति पर विचार किया जाएगा. परफॉरमेंस इंडिक्स रिव्यु, फ्रेट ऑपरेशंस स्ट्रेटेजी और नए क्षेत्रों में परिचालनिक सुधार एवं अन्य संभावित नए क्षेत्रों की पहचान करके वहां मोबिलिटी बढ़ाने की रणनीति पर विचार किया जाएगा. क्रू-मैनेजमेंट – पर्याप्त क्रू की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए ऐक्शन प्लान बनाया जाएगा. रोलिंग स्टॉक मैनेजमेंट – सीसी रेक – मॉनिटरिंग एंड डिसिप्लिन, मॉनिटरिंग लोको परफॉरमेंस, शार्ट लोड, एम्बेडेड एम्प्टी, रनिंग ऑफ लॉन्ग हॉल ट्रेन्स और ओवरड्यू रनिंग. फ्रेट ऑपरेशंस पर मेंटीनेंस ब्लॉक्स के प्रभाव को न्यूनतम करने की योजना पर विचार, ट्रैफिक फैसिलिटी वर्क्स को वरीयता और थ्रूपुट एन्हांसमेंट की शुरुआत, फ्रेट लोडिंग के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सहयोग की जरूरत तथा फ्वोईस एवं स्फूर्ति ऐप में सुधार की आवश्यकता इत्यादि पर बैठक में विचार किया जाना है.
अब उपरोक्त एजेंडे को देखने के बाद कोई जानकार इसे प्रिंसिपल सीओएम कांफ्रेंस कैसे कह सकता है, जिसमें इस स्तर की समस्त बुनियादी बातों का सर्वथा आभाव प्रत्यक्ष रूप से दृष्टिगोचर हो रहा है? नाम न उजागर करने की शर्त पर ‘रेल समाचार’ से बात करते हुए कई वरिष्ठ ट्रैफिक अधिकारियों का कहना है कि हर साल होने वाली शीर्ष ट्रैफिक अधिकारियों की इस महत्वपूर्ण सालाना बैठक में कैडर की वर्तमान दुर्दशा पर विचार के लिए कोई एजेंडा नहीं रखा गया. इसके अलावा ट्रैफिक कैडर को उसके मुख्य कार्य से पीछे ढ़केला जा रहा है, इस मुद्दे पर भी इस बैठक में कोई विचार नहीं होने जा रहा. उनका कहना है कि बैठक का पूरा एजेंडा किसी चीफ कंट्रोलर या चीफ यार्ड मास्टर कांफ्रेंस जैसा है, इसे प्रिंसिपल सीओएम कांफ्रेंस का एजेंडा कतई नहीं कहा जा सकता है.
रेलवे में विभागवाद का खासतौर पर शिकार हो रहे इन ट्रैफिक अधिकारियों का कहना था कि प्रिंसिपल सीओएम कांफ्रेंस का यह जो एजेंडा है, उस पर दैनंदिन रूप से हमारे चीफ यार्ड मास्टर और चीफ कंट्रोलर पूरी योग्यता के साथ काम करते हैं और यह सभी समस्याएं उनके स्तर पर ही हल की जाती हैं. इन पर विचार करके यह शीर्ष ट्रैफिक अधिकारी नया क्या करने जा रहे हैं? इसके अलावा उनका यह भी कहना था कि भारतीय रेल का एक भी गुड्स यार्ड या लोडिंग पॉइंट ऐसा नहीं है, जहां पहुंचने के लिए व्यापारियों को सही-सलामत रास्ता भी उपलब्ध हो. फ्रेट लोडिंग के लिए व्यापारियों को जो आवश्यक सुविधाएं मिलनी चाहिए, वह उन्हें नहीं मिल पा रही हैं. करोड़ों रुपये का राजस्व देने वाले व्यापारियों को रेलवे द्वारा सम्माननीय ग्राहक मानने के बजाय दोयम दर्जा दिया जाता है, उनका अनावश्यक शोषण किया जाता है. इसे सुधारने के लिए उक्त बैठक में विचार का कोई मुद्दा ही नहीं है.
इन अधिकारियों का यह भी कहना है कि हाल ही में चेयरमैन, रेलवे बोर्ड (सीआरबी) द्वारा जीएम एवं अन्य वरिष्ठ रेल अधिकारियों के व्हाट्सऐप ग्रुप में यह कहा गया कि “कुछ विभाग प्रमुखों, खासतौर पर प्रिंसिपल सीओएम द्वारा अपने लिए लाइट गुड्स स्पेशल ट्रेन चलाई जाती हैं, जिनमें ज्यादातर एक लोको और उनका सैलून (आरए) ही अटैच होता है. यह भी तब किया जाता है, जबकि कोचिंग ट्रेन उपलब्ध होती हैं, जिनमें आरए आसानी से अटैच हो सकता है. यह राष्ट्रीय संसाधनों का दुरुपयोग है, ऐसा नहीं किया जाना चाहिए.” उनका कहना है कि सीआरबी ने सभी प्रिंसिपल सीओएम को सीधे-सीधे दोषी ठहराया है, जबकि सब जानते हैं कि आरए और लाइट गुड्स ट्रेनों का सर्वाधिक दुरुपयोग ट्रैफिक/कमर्शियल अफसरों के बजाय अन्य विभाग प्रमुखों एवं उनके मातहत अधिकारियों द्वारा किया जाता है.
अधिकारियों का कहना है कि इस सबके बावजूद उक्त कांफ्रेंस में यह कोई विचारणीय मुद्दा नहीं है, जबकि ट्रैफिक अधिकारियों को इस कदाचार के लिए सीआरबी द्वारा सीधे नामांकित किया गया है. हालांकि उन्होंने उक्त पोस्ट में सीआरबी द्वारा उठाए गए अन्य मुद्दों को एकदम सटीक बताया है, क्योंकि उक्त प्रकार की चालाकियां और इस माध्यम से राष्ट्रीय संसाधनों का अपव्यय तथा दुरुपयोग बड़े पैमाने पर किया जाने लगा है. उनका कहना है कि कुछ वरिष्ठ अधिकारियों अथवा विभाग प्रमुखों की इन चालबाजियों को इंगित करके सीआरबी ने अधिकारियों की निम्न-स्तरीय होती जा रही सोच की तरफ इशारा करके उन्हें राष्ट्रीय दायित्व का बोध कराया है.