IRSTMU प्रतिनिधि मंडल रिस्क अलाउंस के लिए सीआरबी को ज्ञापन सौंपा

बचाए गए पैसों का 50% मैचिंग सरेंडर कर एसएंडटी कैडर में मर्ज किया जाए

कोटा : इंडियन रेलवे एसएंडटी मेंटेनर्स यूनियन (आईआरएसटीएमयू) के एक प्रतिनिधि मंडल ने राष्ट्रीय महासचिव आलोक चंद्रप्रकाश के नेतृत्व में 1 नवंबर को कोटा में चेयरमैन, रेलवे बोर्ड (सीआरबी) अश्वनी लोहानी से मुलाकात करके उन्हें संकेत एवं दूरसंचार कर्मियों को रिस्क अलाउंस देने का एक ज्ञापन सौंपा. सीआरबी श्री लोहानी यहां एआईआरएफ के अधिवेशन में भाग लेने पहुंचे थे. राष्ट्रीय महासचिव आलोक चंद्रप्रकाश ने इस अवसर पर सीआरबी से बात करते हुए उन्हें संकेत एवं दूरसंचार विभाग की विभिन्न समस्याओं से अवगत कराया.

महासचिव ने सीआरबी को संकेत एवं दूरसंचार विभाग की समस्याएं बताते हुए कहा कि उन्होंने एक प्रतिनिधि मंडल के साथ 5 अक्टूबर को गांधीनगर में उनसे मुलाकात की थी, तब हमारे आकड़ों के मुताबिक जुलाई 2016 से अक्टूबर 2018 तक करीब 30 संकेत एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारी रनओवर या दुर्घटना या पब्लिक द्वारा मार दिए गए थे, जबकि आज 1 नवंबर को एक महीने से भी कम समय में दो और कर्मचारी रनओवर हो चुके हैं. उन्होंने सीआरबी को बताया कि संकेत एवं दूरसंचार विभाग का ज्यादातर काम खतरों से भरा होता है. ज्यादातर संकेत एवं दूरसंचार उपकरण दूरदराज जंगलों में होते हैं और उन तक पहुंचकर जान जोखिम में डालकर संकेत एवं दूरसंचार उपकरणों का अनुरक्षण तथा फेलियर ट्रेनों की पंकचुलिटी को ध्यान में रखते हुए ठीक करना होता है. अतः संकेत एवं दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों को बेसिक का 10% रिस्क अलाउंस देने की वर्षों पुरानी मांग को अविलंब दिए जाने का निवेदन है.

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इस पर सीआरबी श्री लोहानी ने प्रतिनिधि मंडल को आश्वासन दिया कि इस पर बहुत जल्द कोई फैसला लिया जाएगा. महासचिव ने बताया कि फेलियर के दौरान बार-बार मोबाइल फोन पर संकेत एवं दूरसंचार उपकरणों को जल्द से जल्द ठीक करने और शॉटकट अपनाने के लिए अधिकारियों द्वारा अनावश्यक दबाव बनाया जाता है, जो रेलवे तथा यात्रियों की सुरक्षा तथा संरक्षा के साथ खिलवाड़ है. अतः संकेत एवं दूरसंचार कर्मचारियों को ड्युटी के दौरान मोबाइल के उपयोग पर पूर्णतः रोक लगाई जाए. उन्होंने कहा कि इंटरमीडिएट ब्लॉक सेक्शन (आईबीएस) बनाकर संकेत एवं दूरसंचार विभाग ने सेक्शन में ट्रेनों की कैपेसीटी बढ़ा दी है, जिससे ट्रेनों की पंक्चुअलिटी बढ़ गई है और रेलवे के बहुत सारे असेट कम कर दिए हैं.

उन्होंने कहा कि इसके अलावा स्टेशन मास्टर, पॉइंट्स मैन तथा कई अन्य विभागों के कर्मचारियों पर जो खर्च था, उसे भी बचा दिया है, परंतु उस आईबीएस के अनुरक्षण तथा फेलियर को ठीक करने के लिए अलग से एसएंडटी स्टाफ नहीं रखा गया है, न ही उसके लिए अलग से एसएंडटी स्टाफ का कैडर बनाया गया है, जिससे वर्तमान में जो एसएंडटी स्टाफ कर्यरत हैं, उन पर काम का अतिरिक्त दबाव बढ़ गया है तथा ऐसे आईबीएस शहर से दूर जंगली इलकों में बनाया जाता है. अतः सीआरबी से निवेदन किया कि आईबीएस का अनुरक्षण तथा फेलियर अटेंड करने हेतु एसएंडटी विभाग को उसके द्वारा बचाए गए पैसों का 50% मैचिंग सरेंडर कर एसएंडटी के कैडर में मर्ज किया जाए.

इस मौके पर संगठन के राष्ट्रीय उप-प्रमुख महबूब संधी, राष्ट्रीय उप-प्रमुख भुवनेश त्रिपाठी, कार्यकारणी सदस्य कल्पेश परवतिया, प्रवीण गंगवार, काशीराम मीना, राकेश मीना, दिनेश सिंह चौधरी, संजय गोयल, हरी राम मीना, लक्ष्मीनारायण, कृष्णकांत शर्मा, नरेन्द्र गोस्वामी, शिवनंदन, रमेश चंद्र, नरेन्द्र सिंह मीना और लालचंद मीना इत्यादि पदाधिकारी भी उपस्थित थे.