रेल टिकटों की कालाबाजारी एक सामाजिक अपराध है -सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम के कोर्ट के इस निर्णय से रुकेगी रेल टिकटों की कालाजारी
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ऑनलाइन बुक किए गए टिकटों पर भी लागू होगा
सु्प्रीम कोर्ट ने 9 जनवरी 2025 को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसमें रेलवे के टिकटिंग सिस्टम के दुरुपयोग को संबोधित किया गया है, और वास्तविक रेलयात्रियों के लिए रेल टिकटों तक उचित पहुँच को सुनिश्चित किया गया है। उल्लेखनीय है कि केरल एवं मद्रास हाईकोर्ट के निर्णयों को रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का रेलवे ने स्वागत किया है. इस निर्णय में कहा गया है कि वास्तविक यात्रियों के अधिकार के लिए रेल टिकटों की दलाली (बिना अनुमति टिकट बेचना) एक अपराध है। रेलवे ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि रेलवे सुरक्षा बल (#RPF) यह सुनिश्चित करेगा कि सभी वास्तविक यात्रियों को ही टिकट मिले और जो लोग गलत तरीके से टिकट बेचते हैं, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। ज्ञातव्य है कि सुप्रीम कोर्ट ने 9 जनवरी 2025 को यह निर्णय दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टिकटों की कालाबाजारी एक सामाजिक अपराध है और इससे सामान्य लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय से रेलवे टिकटों, विशेषकर तत्काल टिकटों, की कालाबाजारी रुकेगी।
अब कोई भी व्यक्ति रेल टिकटों को जमा करके ज्यादा दामों पर नहीं बेच सकेगा। यह फैसला ऑनलाइन बुक किए गए टिकटों पर भी लागू होगा। रेल मंत्रालय ने केरल और मद्रास हाईकोर्ट के फैसलों को चुनौती दी थी, उसी से जुड़े मामलों पर सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आया है।
रेलवे एक्ट की धारा 143 के तहत दंडनीय अपराध
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह सुनिश्चित होगा कि रेल टिकटों, खासकर तत्काल और आरक्षित जैसे जरूरी टिकटों की जमाखोरी न हो, और उन्हें धोखेबाज, गैर-कानूनी लोग अधिक दाम पर न बेच सकें। रेलवे कानून 1989 की धारा 143 के तहत रेल टिकटों की कालाबाजारी एक गंभीर अपराध है और इसमें कड़ी सजा का प्रावधान है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस फैसले में यह भी स्पष्ट किया है कि रेलवे कानून अब ऑनलाइन बुक किए गए ई-टिकटों की खरीद और बिक्री पर भी लागू होता है। इससे सामान्य यात्रियों को फायदा होगा, क्योंकि अब टिकटिंग सिस्टम का दुरुपयोग करना कठिन हो जाएगा।
यात्रीगण रेल टिकटों की कालाबाजारी करने वालों के विरुद्ध “रेलमदद” पर लिखित शिकायत दर्ज कराएँ और 139 पर कॉल करके ऐसे लोगों को जेल भेजवाएँ, यह उनका नागरिक दायित्व है।