December 13, 2024

संसद में रेलमंत्री का स्पष्टीकरण-प्राइवेट हाथों में नहीं जाएगा भारतीय रेल का नियंत्रण

लोकसभा में रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा रेलवे के निजीकरण पर दिया गया वक्तव्य

नई दिल्ली: रेलवे का अधिकांश कामकाज निजी कंपनियों द्वारा किया जा रहा है। तथापि रेलवे का निजीकरण (#Privatisation) करने जा रही है सरकार, रेल को निजी हाथों में सौंप दिया जाएगा, रेलवे के मान्यताप्राप्त संगठन भी अपने मंचों से यह बात जब-तब कहते रहते हैं, अर्थात काफी लंबे समय से रेलवे के निजीकरण को लेकर चर्चाएँ चलती रही हैं। अब इन चर्चाओं को और हवा मिलेगी, क्योंकि लोकसभा में बुधवार, 11 दिसंबर 2024 को रेलवे (संशोधन) विधेयक 2024 पास हो गया।

हालाँकि इस संशोधन विधेयक में एक जगह “प्राइवेटाइजेशन” शब्द का स्पष्ट उल्लेख किया गया है। इसके संदर्भ का विश्लेषण बाद में किया जाएगा। ताजा संदर्भ यह है कि नए संशोधित विधेयक के बाद रेलवे बोर्ड की कार्यप्रणाली और स्वायत्तता को बढ़ाने के लिए वर्तमान रेल कानूनों में संशोधन होगा। लोकसभा में लंबी बहस के बाद इस विधेयक को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। हालाँकि सरकार ने संसद में आश्वासन दिया है कि यह बिल राष्ट्रीय कैरियर के निजीकरण का संकेत कदापि नहीं है।

लोकसभा में बहस के दौरान, रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने उन सभी दावों को सिरे से खारिज किया जिनमें इस संशोधन से रेलवे के निजीकरण की बात कही गई थी। उन्होंने विपक्ष पर इस मुद्दे को लेकर जनमानस को ‘भ्रमित’ करने का आरोप लगाया और कहा कि संशोधन का उद्देश्य केवल भारतीय रेल में ऑपरेशनल क्षमता का सुधार करना है।

रेलमंत्री ने अपने वक्तव्य में कहा, “संविधान को लेकर विपक्ष का भ्रम फैलाने वाला फेक नरैटिव पहले ही असफल हो चुका है और अब एक और फेक नैरेटिव गढ़ने से भी कुछ नहीं होगा।” उन्होने विपक्ष से जनता को गुमराह न करने की अपील करते हुए कहा, “रेलवे सेक्टर के लक्ष्यों को बेहतर बनाने के लिए एकता बनाए रखने में विपक्ष सरकार के साथ सहयोग करे।”

रेलवे एक्ट में संशोधन का उद्देश्य रेलवे बोर्ड को अधिक स्वायत्तता और ऑपरेशनल फ्लेक्सिबिलिटी प्रदान कर भारतीय रेल के आंतरिक प्रशासन और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाना है।

बिल के प्रमुख प्रावधान:

  1. बढ़ी हुई स्वायत्तता: रेलवे बोर्ड की स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने की क्षमता को मजबूत करना।
  2. परिचालन दक्षता: रेलवे परिचालन की समग्र कार्यक्षमता और उत्तरदायित्व में सुधार के उपाय प्रस्तुत करना।
  3. आधुनिक प्रक्रिया के साथ समन्वय: बेहतर सर्विस डिलीवरी के लिए प्रशासनिक ढ़ाँचे को वैश्विक मानकों के साथ संरेखित करना।

पिछले लगभग एक सप्ताह से लोकसभा में इस बिल को लेकर लगातार उठने वाले सवालों के चलते इस पर होने वाली बहस में देरी हुई। विपक्ष ने चिंता प्रकट की है कि इस संशोधन से रेलवे के निजीकरण का रास्ता साफ हो गया है। विपक्ष का कहना है कि ऐसा होने से आम नागरिकों के लिए रेल सेवाओं की अफॉर्डेबिलिटी और एक्सेसिबिलिटी नहीं रहेगी।

हालाँकि बहस के उत्तर के अंत में रेलमंत्री अश्निनी वैष्णव ने सभी सांसदों से अपील की माननीय सदस्य, गलत जानकारी न फैलाएं, संशोधित विधेयक पर भ्रम पैदा न करें और रचनात्मक चर्चा में भाग लेकर सरकार के साथ सहयोग करें। उन्होंने कहा कि कुछ सदस्यों ने कहा है कि इस नए रेलवे बिल के आने से रेलवे के निजीकरण का अवसर बढ़ जाएगा, लेकिन यह बात पूरी तरह से निराधार है।