वर्ष 2019 तक सभी अनारक्षित रेल फाटकों को समाप्त करने का लक्ष्य तय

तकनीक में बढ़ोत्तरी और उन्नयन भारतीय रेल पर चलने वाली एक सतत प्रक्रिया

गोरखपुर ब्यूरो : हॉल ही में प्रस्तुत बजट में रेलवे ने वर्ष 2019 तक सभी अनारक्षित रेल फाटकों को समाप्त करने का लक्ष्य तय किया है. ऐसे समपार निम्नरूप से समाप्त किए जाते है:-

सीधे बंद करना-

– अनारक्षित समपार, जिन पर नगण्य यातायात (टीयूवी) हो.

– अनारक्षित समपार को निकटवर्ती आरक्षित/अनारक्षित समपार/अधोगामी पुल/उपरिगामी पुल के साथ पथांतर सड़क द्वारा जोड़ना.

– अधोगामी पुल अथवा सीमित ऊंचाई वाले भूमिगत पुल बनाना.

मानवीकरण-

– ऐसे अनारक्षित समपार, जो उपरोक्त उपायों के द्वारा नहीं समाप्त किए जाते हैं, को चरणबद्ध तरीके से मानवित करना.

अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) द्वारा आईआईटी/कानपुर एवं अंतरिक्ष अप्लीकेशन केंद्र, अहमदाबाद के साथ मिलकर अनारक्षित समपारों पर तोड़फोड़ प्रतिरोधी गाड़ी पहुँच आधारित चेतावनी प्रणाली विकसित की जा रही है.

इसके अतिरिक्त भारतीय रेलों के अनारक्षित समपारों पर दुर्घटनाओं को रोकने के लिए निम्न उपाय किए जा रहे हैं-

– मोटर वेहिकल ऐक्ट एवं इंडियन रेलवे ऐक्ट के अंतर्गत निर्धारित सुरक्षा पद्धतियों के पालन हेतु सड़क वाहन उपयोगकर्ताओं में संरक्षा संबंधी जागरूकता फैलाने के लिए प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर प्रचार अभियान.

– सड़क वाहन उपयोगकर्ताओं में समपारों पर संरक्षा के नियम पालन हेतु एसएमएस अभियान.

– ऐसे अनारक्षित समपार, जो संरक्षा की दृष्टि से असंरक्षित चिन्हित किए गए हैं, पर गेट मित्रों/गेट सलाहकारों की तैनाती करना.

भारतीय रेलों पर संरक्षा को उच्चतम वरीयता प्रदान की जा रही है और नियमित आधार पर हर संभव प्रयास किया जाता है, जिसमें तकनीक का भी उन्नयन शामिल है, ताकि दुर्घटना बचाई जा सके और संरक्षा बेहतर हो सके. इसमें स्टेशनों पर पूर्णरूप से ट्रैक सर्किटिंग, एक्सेल काउंटर लगाना, विद्युत/इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली लगाना, समपारों को इंटरलॉक करना, ऑक्जीलरी वार्निंग सिस्टम (एडब्ल्यूएस) लगाना, इंजनों में विजिलेंस कंट्रोल डिवाइस (वीसीडी) लगाना, कलर लाइट एलईडी सिगनल लगाना, ट्रेन प्रोटेक्शन वार्निंग सिस्टम (टीपीडब्ल्यूएस) लगाना, ट्रेन कोलीजन एविडेंस सिस्टम (टीसीएएस) लगाना, फ़ॉग सेफ डिवाइस (एफएसडी) लगाना है.

इसके साथ ही नवीनतम तकनीक पर आधारित पटरियां बिछाना, रेलों की डिजिटल मशीनों द्वारा अल्ट्रासोनिक फ्ला डिटेक्शन करना, ट्रैक रिकॉर्डिंग कार (टीआरसी) एवं ऑसिलेशन मानिटरिंग सिस्टम ओएमएस) द्वारा पटरियों के स्वास्थ्य की नियमित जांच करना, आरईएमएमएलओटी (रेम्मलोट) द्वारा गाड़ियों और इंजनों की रिमोट मानिटरिंग करना, इंजनों में वीडियो वायस रिकॉर्डिंग सिस्टम लगाना एवं इंजनों को ड्राइवर मित्रवत बनाना इत्यादि सम्मिलित है.

भारतीय रेल के एक अति महत्वपूर्ण निर्णय के तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि भविष्य में उसके सवारी डिब्बा कारखाने केवल एलएचबी सवारी यान ही निर्मित करेंगे, जो संरक्षा की दृष्टि से बेहतर और यात्रियों के लिए अधिक आरामदेह हैं. वर्तमान में चल रहे 45,000 आईसीएफ यानों का भी रेट्रोफिटमेंट किया जाएगा और इसमें सेंटर बफर कप्लर लगाया जाएगा.

उल्लेखनीय है कि तकनीक में बढ़ोत्तरी और इसका उन्नयन भारतीय रेल पर एक सतत प्रक्रिया है. उपरोक्त तकनीकों को चरणबद्ध तरीकों से, कोडल लाइफ, संसाधनों की उपलब्धता, रूटों पर यातायात घनत्व आदि के परिप्रेक्ष्य में इंट्रोड्यूस (समाविष्ट) किया जा रहा है.