संसद से अनुमोदित/पारित नियमों को लागू नहीं कर रहा रेल मंत्रालय

The Union Minister for Railways, Shri Suresh Prabhakar Prabhu addressing at the inauguration of the International Conference on "Technology for Ultra High Speed Rolling Stock", jointly organised by the Institute of Rolling Stock Engineers (IRSE) and the Indian Railways Service of Mechanical Engineers Association (IRSMEA) with active support of Indian Railways, in New Delhi on September 02, 2016.

तमाम रिमाइंडर्स के बावजूद रेल मंत्रालय पर नहीं पड़ रहा कोई प्रभाव

सांसदों, मान्यताप्राप्त संगठनों द्वारा लिखे गए पत्रों पर साध रखा है रेलवे बोर्ड ने मौन

दस साल बाद भी लागू नहीं हो पाया है ‘आरपीएफ नियमावली, 1987’ का नियम 276.1

सुरेश त्रिपाठी

रेलमंत्री सुरेश प्रभु की अगुआई में रेल मंत्रालय आजकल बहुत चर्चा में है. बहुत सारे तथाकथित सुधार और विकास की बातें की जा रही हैं. मगर जो सुधार वास्तव में होने चाहिए, उन पर रेलमंत्री सहित उनका रेल मंत्रालय (रेलवे बोर्ड) कोई ध्यान नहीं दे रहा है. यहां तक कि जिन मुद्दों पर रेलवे बोर्ड के साथ हुई बैठकों में पूरी सहमति हो गई थी, उशे दस साल बाद भी लागू करने की चिंता बोर्ड के किसी अधिकारी को नहीं हो रही है. उल्लेखनीय है कि संसद द्वारा पारित नियम ‘रेलवे सुरक्षा बल नियमावली, 1987’, रेलवे सुरक्षा बल और रेलवे सुरक्षा विशेष बल पर लागू हैं. इस नियम को लागू करने के लिए रेलवे बोर्ड के सदस्य कार्मिक और सुरक्षा निदेशालय के साथ ऑल इंडिया आरपीएफ एसोसिएशन की वर्ष 2005 में हुई पीएनएम बैठक में सहमति हो चुकी थी. तथापि आज दस साल बाद भी इस नियम को लागू नहीं किया है.

इस नियमावली के पैरा 276.1 में कहा गया है कि..

“276.1 Ministerial Staff : In view of the strictly confidential and technical nature of work the ministerial staff shall be required to handle, the Force may have a ministerial staff shall be required to handle, the Force may have ministerial cadre of its own, though in the initial stages persons may be taken on deputation also. The ranks of the cadre shall be – (a) Superintendents. (b) Assistants. (c) Stenographers. (d) Senior Clerks. (e) Clerk-cum-Typist.”

उक्त नियम को रेलवे सुरक्षा विशेष बल (आरपीएसएफ) में लागू कर दिया गया है. लेकिन रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) में लागू नहीं किया गया है. अर्थात् जोनल रेलों के मंत्रालयीन स्टाफ से ही काम चलाया जा रहा है. इन स्टाफ को न तो प्रतिनियुक्ति भत्ता दिया जा रहा है, और न ही रेलवे सुरक्षा विशेष बल में कार्यरत मंत्रालयीन स्टाफ की तरह अन्य भत्ते दिए जा रहे हैं. जबकि उपरोक्त नियम में रेलवे मंत्रालयीन स्टाफ को प्रतिनियुक्ति पर माना गया है.

नियम 276 को रेलवे सुरक्षा बल में भी लागू करवाने हेतु निम्न स्तरों पर कार्यवाही प्रारम्भ की गई थी, लेकिन रेल मंत्रालय ने 27 वर्ष पूर्व बने नियमों को अब तक लागू नहीं किया गया है.

1. दि. 19/20 जुलाई 2005 को अखिल भारतीय रेलवे सुरक्षा बल एसोसिएशन (एआईआरपीएफए) की रेलवे बोर्ड के साथ पीएनएम बैठक हुई थी. इस पीएनएम की मद संख्या 28/2004 पर सहमति हुई थी, जिसमें कहा गया था कि आरपीएफ रूल 1987 के पैरा 276 के अनुसार वर्तमान मिनिस्टीरियल स्टाफ को आरपीएफ कर्मियों से तुरंत रिप्लेस किया जाए, लेकिन 10 साल से भी ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद इसका न तो कोई परिणाम नहीं निकला है, और न ही रेल मंत्रालय द्वारा उक्त सहमती पर अमल किया गया है.

2. रेल मंत्रालय के मान्यताप्राप्त श्रमिक संगठन नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमेन (एनएफआईआर) ने अपने पत्र संख्या 11/3, दि. 08.05.2012, दि. 28.08.2013, दि. 03.01.2014 एवं दि. 31.03.2014 को लगातार चार पत्र लिखकर रेल मंत्रालय से उक्त नियम को लागू करने का अनुरोध किया है, तथापि रेल मंत्रालय ने अब तक उसके इन पत्रों पर कोई ध्यान नहीं दिया है.

3. रेल मंत्रालय के एक अन्य मान्यताप्राप्त श्रमिक संगठन ऑल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन (एआईआरएफ) ने भी अपने पत्र संख्या एआईआरएफ/88/(203), दि. 12.06.2012 के तहत रेल मंत्रालय को पत्र लिखकर इस नियम को लागू करवाने का अनुरोध किया था, मगर इस पर भी रेल मंत्रालय ने कोई ध्यान नहीं दिया.

4. लालचंद कटारिया, सांसद जयपुर एवं राज्यमंत्री, ग्रामीण विकास ने पत्र संख्या 2228/12 दि. 08.03.2012, पत्र संख्या जग्रालोसक्षे/205/12, दि. 13.10.2012 एवं पत्र संख्या 64/94/वीआईपी/एमओएस(आरडीएलके)/2013, दि. 11.08.2013 के तहत रेलमंत्री को पत्र लिखकर इस नियम को लागू करने का अनुरोध किया था, मगर रेलमंत्री ने भी अब तक उनके पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं की है.

5. खिलाड़ीलाल बैरवा, सांसद करौली, राजस्थान ने पत्र संख्या एनडीके-99/13, दि. 12.08.2013 के तहत रेलमंत्री को पत्र लिखा था. तथापि रेलमंत्री ने अब तक उक्त नियम को लागू करवानी के लिए कोई कदम नहीं उठाया है.

6. राष्ट्रीय महासचिव, ऑल इंडिया एससी/एसटी रेलवे एम्प्लाइज एसोसिएशन ने भी पत्र संख्या एआईएससीएसटीईए/सीईसी/आरपीएफ/2013, दि. 07.08.2013 के तहत रेलमंत्री को पत्र लिखकर इस नियम को लागू करने का अनुरोध किया है.

7. कल्याण, मुंबई से विशेष रूप से रेलवे पर प्रकाशित पाक्षिक समाचार पत्र ‘परिपूर्ण रेलवे समाचार’ के दि. 01 से 15 सितंबर 2013 के अंक में ‘कोई वाजिब निर्णय न होने से असंतुष्ट है आरपीएफ का मिनिस्टीरियल स्टाफ’ शीर्षक से प्रकाशित खबर पर भी रेल मंत्रालय ने कोई ध्यान नहीं दिया, जबकि इस समाचार पत्र को रेलवे का प्रत्येक अधिकारी और कर्मचारी पढ़ता है.

8. जयपुर से प्रकाशित समाचार पत्र ‘महका भारत’ में दि. 30.11.2012 के अंक में ‘डेप्युटेशन कर दिया, भत्ता देना भूल गया रेलवे’ शीर्षक से खबर प्रकाशित हुई थी. इस पर भी रेल प्रशासन ने कोई संज्ञान नहीं लिया.

उल्लेखनीय है कि उपरोक्त विभिन्न प्रयासों के चलते उक्त नियम को लागू करवाने के लिए रेलवे बोर्ड स्तर से औपचारिक जवाब देने हेतु एक फाइल भी बनाई गई है. इस नियम को लागू करने हेतु बार-बार रेलवे बोर्ड सुरक्षा निदेशालय से सदस्य कार्मिक, रेलवे बोर्ड के बीच लगातार पत्राचार किया जा रहा है और विभिन्न प्रकार की कमेटियों का गठन करके मामले को लगातार उलझाया जा रहा है.

इसी क्रम में रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक अरविंद कुमार की अध्यक्षता में पुनः एक कमेटी का गठन किया गया है, जिसमें एआईआरएफ, एनएफआईआर के महामंत्रियों एवं आईजी/आरपीएफ को सदस्य बनया गया है. इस कमेटी की बैठक भी 30 मार्च 2016 को होकर भी छह महीने का समय बीत चुका है, मगर कोई वाजिब निष्कर्ष नहीं निकला है. बताते हैं कि उक्त बैठक के दौरान कमेटी द्वारा सर्वसम्मति से उक्त नियम के अनुपालन का निर्णय लिया गया था. परंतु कमेटी द्वारा लिए गए निर्णय के संबंध में सुरक्षा निदेशालय द्वारा आज तक कोई आदेश जारी नहीं किया गया है. इसकी फाइल अब तक सुरक्षा निदेशालय के पास ही पेंडिंग है.