IRCTC में व्याप्त भ्रष्टाचार – क्या रेलयात्रियों को कभी शुद्ध-पाक-साफ भोजन मिलना संभव हो पाएगा?

रेल की अतिरिक्त बदनामी का कारण साबित हो रहा है आईआरसीटीसी!

भारतीय रेल का सबसे महत्वपूर्ण घटक ‘रेलयात्री’ हर तरफ से लुट रहा है। उसे रेलवे को खानपान सेवा उपलब्ध कराने वाली रेल की इकाई ‘आईआरसीटीसी’ और उसके सुपरवाइजर ही लूट रहे हैं। इसके साथ ही अवैध वेंडर और सुरक्षा रक्षक भी लूट रहे हैं। रेलवे तो खैर घोषित सुविधा उपलब्ध कराए बिना ही हर तरह से अपने यात्री को उल्लू बना रहा है। कहने को तो मीडिया के माध्यम से रेल में बहुत सारी सुविधाओं का ढ़ोल पीटा जाता है, और अब तो सोशल मीडिया पर भी खूब गुलाबी पिक्चर दर्शाई जाती है, परंतु रेलवे न तो माँग के अनुरूप यात्री को कंफर्म-सीट/बर्थ उपलब्ध करा पा रहा है, न ही शुद्ध-पाक-साफ भोजन दे पा रहा है, और न ही उसके साथ उपभोक्ता (कस्टमर) जैसा व्यवहार हो रहा है। इस सबके बजाय टिकट – कंफर्म, आरक्षित, आरएसी, वेटिंग – बेचने के बाद रेल प्रशासन अपने ‘कस्टमर’ को ‘कष्ट से मरने’ के लिए लावारिस छोड़ देता है। फिर उसकी कोई सुधि नहीं ली जाती। इस व्यवस्था के चलते रेलवे में हर स्तर पर भ्रष्टाचार की अपरिमित और अकल्पनीय संभावनाएँ उपलब्ध हो रही हैं।

खबर है कि सीबीआई ने आईआरसीटीसी में व्याप्त भ्रष्टाचार की जाँच आरंभ की है। इसकी शुरुआत सवाई माधोपुर स्टेशन पर 25 अप्रैल, 2024 को की गई कार्यवाही से हुई है। यहाँ जयपुर की सीबीआई टीम ने ट्रेन नं. 12240, हिसार-मुंबई दूरंतो एक्सप्रेस में छापा मारा और पाया कि उक्त गाड़ी – जो कि यात्री सुविधाओं के मापदण्डों में अति-विशिष्ट श्रेणी में आती है – में खाने की आपूर्ति अवैध रूप से स्टेशन सीमा से बाहर बने एक अवैध किचन से की जा रही थी, जिसके गुणवत्ता मानकों का कोई नियंत्रण आईआरसीटीसी के पास नहीं था।

यह सब तब हो रहा था, जब स्टेशन पर पहले से ही एक फूड प्लाजा एवं रिफ्रेशमेंट रूम मौजूद है, जो कि #IRCTC के सीधे नियंत्रण में हैं और इन इकाईयों की निगरानी के साथ ही अन्य गुणवत्ता संबंधी कार्यों की देखरेख के लिए आईआरसीटीसी ने अपने पर्यवेक्षक दिनेश मीणा की नियुक्ति भी सवाई माधोपुर स्टेशन पर कर रखी है। बताते हैं कि उपरोक्त गड़बड़ी का सूत्रधार भी दिनेश मीणा ही था, जिसे सीबीआई की कार्रवाई के तुरंत बाद आईआरसीटीसी ने किसी उचित दंडात्मक कार्यवाही के बिना बिलासपुर ट्रांसफर कर दिया है। हालाँकि उसने अब तक वहाँ अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराई है, और न ही कराने का इरादा है, यह अलग बात है।

भरोसेमंद सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दिनेश मीणा लगभग 10 सालों से सवाई माधोपुर एवं कोटा स्टेशनों पर ही कार्यरत रहा है, जो कि इसका होमटाउन भी है। सवाई माधोपुर में दिनेश मीणा ने अपनी शक्तियों का अनुचित उपयोग कर यहाँ से गुजरने वाली गाड़ियों में राशन, पानी के साथ पके हुए भोजन इत्यादि की आपूर्ति भी स्वयं अपने द्वारा एवं अपने सगे-संबंधियों-रिश्तेदारों के माध्यम से की जाने लगी। अर्थात् बाड़ ही खेत खाने लगी। अब इस मामले की जाँच सीबीआई जयपुर शाखा द्वारा की जा रही है। हालाँकि यह भी बताया गया कि सीबीआई ने अब तक इस मामले की एफआईआर दर्ज नहीं की है। हो सकता है कि जाँच और विस्तृत छानबीन के बाद मामला सीबीआई के स्तर का न निकले और बाद में इसे रेलवे या आईआरसीटीसी की विजिलेंस ब्रांच को सौंप दिया जाए।

जानकारों का कहना है कि ठीक ऐसा ही घालमेल भोपाल में भी चल रहा है, जहाँ आईआरसीटीसी कार्यालय में कार्यरत एक वरिष्ठ महिला पर्यवेक्षक ने अपने पति के साथ मिलकर एक डीलक्स होटल, “होटल द ओएसिस” खोला है, जो कि एम पी नगर जोन-2, भोपाल में है। बताते हैं कि इसका संचालन पर्यवेक्षक महोदया एवं उनके पति स्वयं करते हैं। उल्लेखनीय बात यह है कि इस होटल को इस दंपति ने आईआरसीटीसी से इम्पैनल भी करा रखा है, ताकि सिस्टम में रहकर सिस्टम का दोहन किया जा सके। आईआरसीटीसी कर्मचारियों ने इस होटल द्वारा जारी बिल कार्यालय में प्रस्तुत किए हैं, जिनका सीधा लाभ इस वरिष्ठ महिला पर्यवेक्षक को ही मिलता है। यह महोदया आईआरसीटीसी के भोपाल कार्यालय में ही वर्षों से कार्यरत हैं।

उल्लेखनीय है कि लगातार लंबे समय तक एक ही जगह और ऑफिस में पदस्थ रहना रेलवे बोर्ड के आदेश दिनांक 04.09.2019 का खुला उल्लंघन है। कर्मचारियों का कहना है कि इस पर जाँच होनी चाहिए और इस सारे प्रकरण पर मौन साधे बैठे आईआरसीटीसी के वरिष्ठ अधिकारियों पर भी कारवाई होनी चाहिए।

खबर यह भी है कि सवाई माधोपुर प्रकरण में सीबीआई जयपुर शाखा द्वारा आगे की पूछताछ के लिए आईआरसीटीसी के भोपाल और मुंबई में पदस्थ #DGM, #GGM को भी बुलाया जा रहा है। यदि वह अपने आपको पाक-साफ साबित नहीं कर पाए, तो शीघ्र ही एफआईआर दर्ज की जाएगी।

जानकारों का कहना है कि सवाई माधोपुर प्रकरण में प्रथम दृष्टया आईआरसीटीसी के स्थानीय प्रबंधक, स्थानीय सुपरवाइजर, सवाई माधोपुर स्टेशन के #CMI, #CTRI, #HI, #RPF इंचार्ज और स्टेशन प्रबंधक को दोषी माना गया है। कुछ लोगों के बयान 25 अप्रैल को ही हो गए थे। बताते हैं कि सवाई माधोपुर स्टेशन पर उक्त छापेमारी में सीबीआई के साथ रेलवे बोर्ड विजिलेंस के चार विजिलेंस इंस्पेक्टर और दो स्वतंत्र गवाह भी शामिल थे।

कम वजन की सड़ी हुई पनीर की सब्जी

जानकारों का कहना है कि दूरंतो एक्सप्रेस एवं अन्य मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों में उक्त अवैध किचन से खाना सप्लाई हो रहा था। आईआरसीटीसी को रेलवे बोर्ड से शिकायत मिलने पर फरवरी में जाँच सौंपी गई थी। इस विभागीय जाँच में आईआरसीटीसी के अधिकारियों ने बताया कि “ऐसा कोई अवैध किचन वहाँ है ही नहीं। दूरंतो एक्सप्रेस में खाना सप्लाई ठीक ढ़ंग से हो रहा है। खाने की क्वालिटी एवं किचन की स्थिति की जाँच करना सिविल क्षेत्र के #fssai का कार्य है।” अर्थात् आईआरसीटीसी के अधिकारियों ने अपने भ्रष्ट सुपरवाइजर की करतूतों को पूरी तरह से छिपा लिया और यहाँ तक कि उन्होंने शिकायत को ही झूठा करार दे दिया था।

प्लास्टिक की बाल्टी में भरी हुई पनीली दाल और व्याप्त गंदगी

आईआरसीटीसी के अधिकारियों की उक्त बोगस रिपोर्ट के बाद भी शिकायतकर्ता अपनी बात पर अड़े रहे। उन्होंने उचित कार्यवाही नहीं होते देखकर वर्धा के सांसद रामदास अदास के माध्यम से शिकायत रेल राज्य मंत्री को पहुँचाई, तब जाकर इसकी जाँच पश्चिम मध्य रेलवे जबलपुर को सौंपी गई।

पश्चिम मध्य रेलवे ने यह जाँच कोटा मंडल के वाणिज्य अधिकारियों से करवाई। उन्होंने 28.03.2024 को शिकायत की जाँच की और इसे पूरी तरह से सही पाया। किचन की बदहाल और बेहद गंदी स्थिति की सचित्र एवं वीडियोग्राफी करके पूरी रिपोर्ट पश्चिम मध्य रेलवे मुख्यालय को सौंपी गई। इसके फलस्वरूप पश्चिम मध्य रेलवे वाणिज्य मुख्यालय जबलपुर ने आईआरसीटीसी मुंबई को कार्यवाही हेतु लिखा, परंतु उन्होंने कोई कार्यवाही नहीं की, बल्कि आईआरसीटीसी वेस्ट जोन मुंबई के अधिकारी इसी बात पर अड़े रहे कि सब कुछ सही चल रहा है। जबकि कोटा मंडल के अधिकारियों की जाँच के एक माह बाद ही सीबीआई ने उक्त छापा मारा था और शिकायतों को एकदम सही पाया।

प्लास्टिक की थैलियों में बंद रेलयात्रियों का भोजन

ट्रेन नं. 12240, हिसार-मुंबई दूरंतो एक्सप्रेस की पैंट्री कार में सवाई माधोपुर स्टेशन से लगभग 200 थाली खाना चढ़ता है। इस सामग्री का वजन करने पर पता चला कि चार चपाती का वजन 100 ग्राम होना चाहिए, जबकि 77 ग्राम ही पाया गया, उसमें भी लगभग सारी चपातियाँ कच्ची थीं। चावल का वजन 100 ग्राम होना था जो 80 ग्राम ही था, वह भी टुकड़ी क्वालिटी का। दाल 150 ग्राम के बजाय 100 ग्राम ही थी, वह भी एकदम पतली पानी जैसी! पनीर प्लेट 150 ग्राम की जगह 110 ग्राम ही निकली। चिकन करी 150 ग्राम के बजाय 108 ग्राम ही थी।

कच्ची चपातियाँ-वजन कम

वर्तमान में आईआरसीटीसी ने सवाई माधोपुर में उक्त ट्रेन में #Araha hospitality को खाना चढ़ाने का परमिट दिया है। इसके अलावा यहाँ से ट्रेनों में खाने की आपूर्ति के लिए अन्य कोई भी अधिकृत वेंडर नहीं है। यदि #DKFOOD के नाम से कोई कंपनी खाना सप्लाई कर रही है, तो यह अवैध है। #DKFOOD का किचन प्लेटफार्म नं. 4 रेलवे हॉस्पिटल के दाईं ओर स्थित है, वहाँ भीषण गंदगी में खाना बनता हुआ देखा जा सकता है। यह भी पता चला है कि #ArahaHospitality के पास सवाई माधोपुर का #FSSAI लाइसेंस नहीं है।

प्लास्टिक की थाली में घटिया गुणवत्ता विहीन खाना

कोटा मंडल के वाणिज्य कर्मचारियों का कहना है कि यदि खाना सवाई माधोपुर से बिना वैध परमिट के ट्रेन में चढ़ रहा है तो इसके लिए जिम्मेदार उस स्टेशन पर कार्यरत सीएमआई और खानपान निरीक्षक एवं आरपीएफ इंस्पेक्टर भी हैं। यह उन्हीं के कार्यक्षेत्र में ये आता है। उन्हें भी इस अवैध सप्लाई में हिस्सा मिल जाता है और वह उस समय वर्किंग ऑवर्स नहीं होने का बहाना बनाकर गायब रहते हैं।

सलाद के लिए उपयोग किए जा रहे सड़े हुए खीरे

इसी प्रकार अन्य ट्रेनें जो 7 बजे के बाद सवाई माधोपुर स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर आती हैं, उनमें भी सैकड़ों की संख्या में प्रतिबंधित प्लास्टिक की थालियों में खाना चढ़ता है। उन ट्रेनों में भी आईआरसीटीसी का सुपरवाइजर दिनेश मीणा ही स्वयं सप्लाई करता है। इसमें भी डी के फूड्स, जो कि कथित तौर पर दिनेश मीणा के छोटे भाई राजेश मीणा की कंपनी है, वही अवैध रूप से खाना चढ़ा रहा है। इन ट्रेनों में भी स्थानीय सीएमआई और कैटरिंग निरीक्षक द्वारा कभी कोई चेक नहीं किया जाता कि खाना कौन चढ़ा रहा है और उसकी गुणवत्ता क्या है?