यूएसबीआरएल परियोजना पर सामाजिक-आर्थिक विकास और चुनौतियाँ

(SOCIAL ECONOMIC DEVELOPMENT AND CHALLENGES ON USBRL PROJECT)

संक्षिप्त इतिहास और समयरेखा

कश्मीर को भारतीय रेलवे नेटवर्क से जोड़ने का सपना सदियों पुराना है। जम्मू-श्रीनगर रेल लिंक के निर्माण का पहला विचार एक सदी से भी पहले रखा गया था, जब 1 मार्च 1892 को महाराजा प्रताप सिंह ने जम्मू–श्रीनगर रेल लिंक की नींव रखी थी। बाद में 1898 में महाराजा रणबीर सिंह ने भी इस परियोजना को आगे बढ़ाया।

पंजाब को श्रीनगर और कश्मीर घाटी से जोड़ने के लिए चार व्यावहारिक मार्गों की पहचान की गई थी: जम्मू से बनिहाल मार्ग, झेलम घाटी के माध्यम से पूंछ मार्ग, रावलपिंडी से पंजार मार्ग, और हज़ारा से होकर एबटाबाद मार्ग। कई बार इस पर विस्तृत सर्वेक्षण हुए लेकिन दुर्गम भूगोल, सीमित संसाधनों और कठिन जलवायु के कारण यह विचार सिर्फ नक्शों और रिपोर्टों तक ही सीमित रह गया।

1905 में ब्रिटिशों ने फिर से इस विचार को उठाया और महाराजा प्रताप सिंह ने रियासी के रास्ते मुगल रोड होकर जम्मू से श्रीनगर तक लाइन के लिए सहमति दी, लेकिन यह परियोजना भी अधूरी रह गई।

स्वतंत्रता के बाद भी यह विचार कई बार सामने आया, लेकिन 1981 में जम्मू-उधमपुर रेल लिंक को स्वीकृति दी गई। 1994-95 में उधमपुर–स्रीनगर–बारामुला (USBRL) रेल लिंक को अंतिम रूप से स्वीकृति दी गई और 2002 में इस परियोजना को “राष्ट्रीय परियोजना” घोषित किया गया।

प्रमुख मील के पत्थर (Key Milestones)

  • 1981: जम्मू–उधमपुर रेल लिंक स्वीकृत
  • 1994: श्रीनगर तक रेल लिंक का विस्तार घोषित
  • 1995: उधमपुर–कटरा लिंक का कार्य आरंभ
  • 1999: काजीगुंड–बारामुला लिंक का कार्य आरंभ
  • 2002: कटरा–काजीगुंड लिंक का कार्य आरंभ
  • 13 अप्रैल 2005: जम्मू–उधमपुर खंड चालू
  • 11 अक्टूबर 2008: मझोम–अनंतनाग खंड चालू
  • 14 फरवरी 2009: बारामुला–मझोम खंड चालू
  • 28 अक्टूबर 2009: अनंतनाग–काज़ीगुंड खंड चालू
  • 26 जून 2013: बनिहाल–काजीगुंड खंड चालू
  • 4 जुलाई 2014: उधमपुर–कटरा खंड चालू
  • 20 फरवरी 2024: बनिहाल–संगलदान खंड चालू

सामाजिक-आर्थिक विकास

रोजगार सृजन
  • जिन लोगों की 75% से अधिक भूमि रेलवे ने अधिग्रहित की, उन्हें सरकारी नौकरी दी गई। अब तक 804 लाभार्थियों को नियुक्त किया गया है।
  • निर्माण एजेंसियों द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से 14069 लोगों को रोजगार मिला, जिनमें से 65% स्थानीय निवासी थे।
  • इस परियोजना में 525 लाख मानव दिवस का रोजगार सृजित हुआ।

स्थानीय कारीगरों का कौशल विकास

इस परियोजना में सुरंग निर्माण, पुल निर्माण, विद्युतीकरण, ट्रैक बिछाने जैसे कार्य अत्याधुनिक तकनीकों से किए गए। इससे स्थानीय कारीगरों को नई तकनीकों का प्रशिक्षण मिला और अब वे देश के अन्य महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स में कार्यरत हैं।

पहुँच में सुधार (Accessibility)

यह परियोजना अत्यंत दुर्गम क्षेत्रों में शुरू हुई जहाँ पहले कोई पहुँच नहीं थी। USBRL ने 215 किमी से अधिक पहुँच मार्गों का निर्माण किया। कठिन भौगोलिक और सुरक्षा स्थितियों के बीच, सेना के हेलीकॉप्टर MI-26 की मदद से भारी मशीनें दुर्गम क्षेत्रों तक पहुँचाई गईं।

गाँवों की कनेक्टिविटी

लगभग 70 गाँवों जैसे कि गूनी, पैखड़, बत्तलगला, बक्कल, कौरी, डुग्गा, सूरुकोट, बसिंधधार, संगलदान आदि की सड़क से कनेक्टिविटी सुनिश्चित हुई, जिससे लगभग 1.5 लाख लोगों को लाभ मिला। पहले यह लोग पगडंडियों या नावों के माध्यम से ही आते-जाते थे।

आर्थिक विकास (Economic Growth)

  • स्थानीय व्यवसायों को प्रोत्साहन: अब स्थानीय कृषि और हस्तशिल्प व्यवसायों को बड़े बाजार मिल रहे हैं।
  • औद्योगिकरण: कच्चे माल और तैयार माल के परिवहन से उद्योगों की स्थापना को बल मिलेगा।
  • कृषि और व्यापार में उन्नति: सेब, केसर, और अन्य कृषि उत्पादों का अन्य राज्यों में परिवहन आसान हुआ है।
  • राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों तक पहुँच: अब किसान और कारोबारी अपने उत्पादों को देश और दुनिया में बेच सकते हैं।

सामाजिक एकता (Social Integration)

रेलवे कनेक्टिविटी से विभिन्न समुदायों के बीच आपसी संवाद बढ़ेगा, सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा, और एकजुटता का वातावरण बनेगा।

राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक महत्व

यह रेलवे लाइन सुरक्षा के लिहाज से भी अहम है। इससे सेना के संसाधनों की त्वरित आवाजाही संभव होगी और सीमावर्ती इलाकों में स्थायित्व आएगा।

पर्यावरणीय लाभ

यह रेल लाइन विद्युतीकृत है, जिससे डीज़ल वाहनों पर निर्भरता कम होगी और प्रदूषण घटेगा। यह एक पर्यावरण अनुकूल विकल्प प्रदान करता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

#यूएसबीआरएल परियोजना जम्मू-कश्मीर की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को परिवर्तित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यह न केवल बुनियादी ढांचे में सुधार लाती है, बल्कि रोजगार, व्यापार, सामाजिक समरसता और पर्यावरण के क्षेत्र में भी व्यापक परिवर्तन ला रही है। यह परियोजना भविष्य में इस क्षेत्र की समृद्धि और एकता का आधार बनेगी।