February 9, 2024

कैबिनेट ने 6 मल्टी-ट्रैकिंग रेल परियोजनाओं को दी मंज़ूरी

  • परियोजनाओं से अनुभागों की मौजूदा लाइन क्षमता में वृद्धि होगी जिससे ट्रेन परिचालन सुचारू होगा और समय की पाबंदी के साथ-साथ वैगन टर्न अराउंड समय में भी सुधार होगा
  • इनसे भीड़भाड़ में कमी आएगी और रेल यातायात में वृद्धि होगी
  • परियोजनाएं निर्माण के दौरान लगभग 3 (तीन) करोड़ मानव दिवसों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार पैदा करेंगी
  • परियोजनाओं का वित्तीय व्यय लगभग ₹12,343 करोड़ होगा और 2029-30 तक पूरा होने की संभावना है

नई दिल्ली (पीआईबी): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (#सीसीईए) ने यात्रा को आसान बनाने, लॉजिस्टिक खर्च, तेल आयात और CO2 उत्सर्जन को कम करने के लिए रेल मंत्रालय की 6 मल्टी ट्रैकिंग रेल परियोजनाओं को मंजूरी दी, जिनकी कुल अनुमानित लागत केंद्र सरकार से 100% वित्त पोषण के साथ लगभग ₹12,343 करोड़ है।

मल्टी-ट्रैकिंग प्रस्तावों से परिचालन में आसानी होगी और भीड़भाड़ कम होगी, जिससे भारतीय रेल के सबसे व्यस्त खंडों पर आवश्यक ढ़ांचागत विकास उपलब्ध होगा।

यह रेल परियोजनाएं माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘नए भारत’ के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं जो रेलवे में व्यापक विकास के माध्यम से क्षेत्र के लोगों को “#आत्मनिर्भर” बनाएँगी जिससे उनके रोजगार/स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

छह राज्यों – #राजस्थान, #असम, #तेलंगाना, #गुजरात, #आंध्रप्रदेश और #नागालैंड के 18 जिलों को कवर करने वाली ये 6 परियोजनाएं भारतीय रेल के वर्तमान नेटवर्क को 1020 किलोमीटर तक बढ़ा देंगी। और राज्यों के लोगों को लगभग तीन करोड़ मानव-दिवस का रोजगार प्रदान करेंगी।

ये परियोजनाएं मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम-गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम हैं जो एकीकृत योजना के माध्यम से संभव हुई हैं और लोगों, वस्तुओं एवं सेवाओं की आवाजाही के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेंगी।

6 राज्यों में 6 रेल परियोजनाओं को मंजूरी

ये खाद्यान्न, खाद्य वस्तुएं, उर्वरक, कोयला, सीमेंट, लोहा, इस्पात, फ्लाई-ऐश, क्लिंकर, चूना पत्थर, पीओएल, कंटेनर आदि जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए आवश्यक मार्ग हैं। क्षमता वृद्धि कार्यों के परिणामस्वरूप 87 एमटीपीए (प्रति वर्ष मिलियन टन) अतिरिक्त माल ढुलाई होगी। पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा कुशल परिवहन का माध्यम होने के कारण, रेलवे जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और देश की रसद लागत को कम करने, तेल आयात को कम करने और CO2 उत्सर्जन को कम करने में मदद करेगा।