November 1, 2022

KMG सीरीज: बुरी तरह हिला हुआ ‘खान मार्केट गैंग’ का नायक अब बदले की कार्रवाई पर उतरा!

माननीय रेलमंत्री जी और सीआरबी साहब, कृपया हमारी दी हुई जानकारी का किसी निष्पक्ष बाहरी एजेंसी से जांच कराएं!

माननीय रेलमंत्री जी और सीआरबी साहब, आप दोनों से आदरपूर्वक हमारा ये कमिटमेंट है कि हम पूरे तथ्यों को प्रकाशित करेंगे, कृपया यह देखें कि जो मुद्दे हमने प्रकाशित किए हैं, सभी रेल भवन से सीधे जुड़े हैं!

माननीय रेलमंत्री महोदय,

हम ये जानते हैं कि, #RailSamachar और #Railwhispers दोनों मीडिया पोर्टल, रेलकर्मियों और उनके परिजनों द्वारा रेलवे विषय विशेष पर पढ़े जाने और सबसे अधिक सर्कुलेशन वाले प्लेटफार्म हैं। इसी कारण से हम अपने आपको गर्व से ‘रेल परिवार’ का हिस्सा भी मानते हैं। प्रतिदिन सैकड़ों सेवानिवृत और सेवारत रेलकर्मियों और उनके परिजनों से हमारा मधुर वार्तालाप होता है।

जैसा मैंने पहले भी लिखा है, हमें रेल के विशाल नेटवर्क और साइज का पूरा अंदाजा है – कई चीजें परंपरागत चली आ रही हैं, यह भी हम समझते हैं। यही कारण है कि किसी इनपुट या तथ्य को सनसनीखेज बनाने के बजाय, जब हमें कोई सूचना मिलती है तो हम अपनी ड्यूटी समझकर निम्न प्रक्रिया का पालन करते हैं-

• सूचना मिलने के बाद, अगर वह प्रथम दृष्टया ठीक लगती है तो हम संबंधित अधिकारी से सूचना साझा करते हैं इस विश्वास से कि अधिकांश रेलकर्मी और अधिकारी सिस्टम को ठीक से चलाना चाहते हैं, परंतु भारतीय रेल जैसे विशाल संगठन में उन्हें जानकारी सही समय पर नहीं मिल पाती है।

• जब हम समझ जाते हैं कि ये अधिकारी इसे ठीक करने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं, तभी हम सूचना को प्रकाशित कर सार्वजनिक करते हैं।

जब से हमने #KMG सीरीज चलाई है, हम बहुत सावधानी से सूचनाएं प्रकाशित कर रहे हैं, क्योंकि हम अपनी गलती से वरिष्ठ अधिकारियों का नाम नहीं खराब करना चाहते हैं। जैसे इस खबर को प्रकाशित करने से पहले कि एमआर सेल के फोन से टेंडर संबंधित निर्देश गए हैं, हमने संबंधित अधिकारी से जानकारी साझा की थी कि रेलमंत्री जी के दफ्तर का गलत इस्तेमाल हो रहा है। यह इसीलिए भी क्योंकि हमें युवा रेलमंत्री के प्रति आदर है और ये चिंता है कि जैसे ये #KMG उनके पहले तीन रेलमंत्रियों को लील गया, कहीं इस युवा मंत्री को भी नुक़सान न पहुँचा दे।

रेलमंत्री श्री अश्विनी वैष्णव और उनके सलाहकार मि. सुधीर कुमार!

हमने माननीय रेलमंत्री और सीआरबी साहब से निवेदन किया है कि हमारी दी हुई जानकारी का कृपया किसी निष्पक्ष बाहरी एजेंसी से जांच करा लें। हम जानते हैं कि रेल के आधिकारिक दस्तावेजों तक हमारी पहुंच नहीं है। आप हमें तथ्य बता दें, हम उन तथ्यों को और संबंधित जानकारी को तुरंत प्रकाशित करेंगे और अपनी खबर को भी रिट्रैक्ट कर लेंगे।

#KMG सीरीज के प्रकाशन के चलते कई लोगों ने हमसे संपर्क किया – इनमें कुछ अधिकारी, कुछ कांट्रेक्टर, कुछ राजनैतिक पृष्ठभूमि के लोग शामिल हैं – निवेदन, सलाह, धमकी दे रहे हैं कि व्यक्ति विशेष का नाम न चलाएं! हमारा उन सब को जवाब एक ही है – क्या हमारे द्वारा प्रकाशित सूचनाएं गलत हैं? यदि नहीं, तो ये गैंग, जिसने माननीय मोदीजी के पहले तीन रेलमंत्रियों को डूबा दिया, वह सही कैसे है!

कृपया निम्न तथ्यों पर विचार करें और देखें कि-

1. क्या ये सच नहीं है कि कुछ अधिकारी 2014 से 4 मंत्री और 5 सीआरबी के साथ लगातार काम कर रहे हैं। क्या ये सच नहीं कि इन लोगों के पास पूरे सिस्टम को प्रभावित करने की क्षमता रही है?

2. जब हमने सीवीओ/आरडीएसओ की गैरकानूनी तरीके से पोस्टिंग की खबर प्रकाशित की तो इनका ट्रांसफर कर दिया जाता है। ये लगभग एक साल ही उस पद पर रहे। कारण यह बताया गया कि इस अधिकारी को स्वयं वापस जाना था। जो अनकहा है वह यह कि क्योंकर ये जानकारी मंत्री और सीआरबी से छिपाई गई कि ये कई साल नौकरी से गायब रहे और प्राइवेट नौकरी करते रहे।

3. आरडीएसओ, भारतीय रेल की एक अति संवेदनशील इकाई है और इसके सीवीओ का पद उससे भी अधिक संवेदनशील और बहुत महत्वपूर्ण है। इस सार्वजनिक जानकारी को कोई एक अधिकारी नहीं दबा सकता, क्या पीईडी विजिलेंस और सीआरबी ने इसकी निष्पक्ष जांच करवाई? क्या ये पोस्टिंग उन अधिकारियों को डराने धमकाने के लिए तो नहीं थी जो #KMG से जुड़ने को तैयार नहीं थे!

4. जब हमने SOS कॉल दिया, आनन-फानन में 20 डीआरएम पोस्ट हो गए – वही नाम जो एक साल से ज्यादा फाइल में दबे थे। इस हड़बड़ी में इमोशनल इंटेलिजेंस टेस्ट को दरकिनार कर दिया गया। ये टेस्ट सलाहकार महोदय के पीएचडी गाइड की कंपनी ने किया, जिसे सिंगल टेंडर में ये काम मिला।

5. कितना पैसा इन 20 अधिकारियों के इमोशनल टेस्ट में खर्च हुआ और इसका उपयोग न करने को फाइल में कैसे जस्टिफाई किया गया? और क्यों रेल के एक्जीक्यूटिव ट्रेनिंग के काम एक ही कॉलेज – आईएसबी – को मिल रहे हैं? जबकि देश में उससे बेहतर एवं गुणवत्तापूर्ण आईआईएम/आईआईटी भी हैं। पीएचडी के गाइड साहब किस राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय संस्थान से जुड़े हैं?

6. सीएमडी/एनएचआरसीएल का 360 डिग्री रिव्यू इतना गलत कैसा हुआ? किसने एमडी/आईआरएफसी की सीबीआई की एफआईआर छिपाई? क्या इन प्रकरणों में रेल मंत्रालय का नाम खराब नहीं हुआ?

7. जब हमने पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे कंट्रक्शन की अनियमितता की बात प्रकाशित की कि कैसे एफए एंड सीएओ की भूमिका संदिग्ध है, तुरंत उनका ट्रांसफर कर उन्हें पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे से बाहर कर दिया गया। आशा है सीआरबी और पीईडी/विजिलेंस पूरे प्रकरण कि जांच कर रहे होंगे।   

8. हमने ये भी प्रकाशित किया कि कैसे पूर्व मध्य रेलवे में आईआरटीएस कैडर की स्थिति इतनी खराब है कि एक वरिष्ठ अधिकारी ने वीआरएस ले लिया।

9. हमने यह भी प्रकाशित किया कि कैसे नियम को दरकिनार किया गया कि जिस अधिकारी ने किसी पीएसयू को डील किया है तो वह वहां का सीवीओ नहीं बन सकता – ये भी ईसीआर के ट्रैफिक विभाग से ही संबंधित है। 

10. हमने अधिकारियों के रोटेशनल ट्रांसफर का सुझाव दिया है, इसमें क्या गलत है?

11. हमने यह भी प्रकाशित किया कि कैसे स्टोर्स और वर्क्स कांट्रैक्ट के नियमों से खेल कर रेलवे को कई सौ करोड़ का नुकसान पहुंचाया जा रहा है।

12. ऐसे अनेकों तथ्य और विश्वसनीय इनपुट अभी और भी हैं, जिन्हें रेलमंत्री सेल एवं संबंधित अधिकारियों के संज्ञान में लाया गया है।

चलते-चलते एक बात और पाठकों से साझा करना आवश्यक है, वह यह कि एक ट्विटर हैंडल कुछ ही दिन पहले बनाया गया है और सरकारी दस्तावेज से जालसाजी कर मुझे घेरने और मुझ पर झूठा दोषारोपण करने का प्रयास हुआ है। इसे यदि उन फोन कॉल्स से और उन लोगों की बातों से जोड़कर देखें जो #KMG सीरीज के नायक से संबंधित हैं, तो एक बात पूरी तरह स्पष्ट होती है कि #KMG (खान मार्केट गैंग) बहुत बुरी तरह हिल गया है।  

माननीय मंत्री जी और सीआरबी साहब, कृपया आप फाइलें मंगवाएं और किसी बाहर की एजेंसी से – ये जांच करवाएं कि क्या #RailSamachar या #Railwhispers में प्रकाशित एक भी जानकारी या तथ्य कहीं गलत तो नहीं है? ये मेरा आप दोनों को आदर और स्नेहपूर्वक कमिटमेंट है कि हम पूरे तथ्यों को प्रकाशित करेंगे। कृपया यह देखें, कि जो मुद्दे हमने प्रकाशित किए हैं, सभी रेल भवन से सीधे जुड़े हैं! क्रमशः जारी…

धन्यवाद
सादर
सुरेश त्रिपाठी
संपादक
www.railsamachar.com
www.railwhispers.com

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