“सेवा ही संकल्प है” इस लक्ष्य के साथ सभी बल सदस्यों को सेवा प्रतिबद्धता मजबूत करने की दिशा में काम करना होगा -संजय चंदर, DGRPF
रेल सुरक्षा बल द्वारा 38वां स्थापना दिवस समारोह संपन्न
रेल राज्यमंत्री ने 23 आरपीएफ कर्मियों को प्रतिष्ठित सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक, मेधावी सेवा के लिए भारतीय पुलिस पदक, सर्वोत्तम जीवन रक्षा पदक, उत्तम जीवन रक्षा पदक और जीवन रक्षा पदक प्रदान किए। आरपीएफ एनसीआर के हेड कांस्टेबल स्वर्गीय ज्ञानचंद को मरणोपरांत सर्वोत्तम जीवन रक्षा पदक से सम्मानित किया गया, जिन्होंने आत्महत्या करने के इरादे से चलती ट्रेन के सामने कूदने वाली एक महिला को बचाते हुए कर्तव्य की वेदी पर अपना जीवन लगा दिया
रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) का स्थापना दिवस मंगलवार, 20 सितंबर को हर साल की भांति पूरे उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि केंद्रीय कपडा एवं रेल राज्यमंत्री श्रीमती दर्शना जर्दोश ने अकादमी परिसर में 100 फीट ऊंचा स्मारकीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया और ट्रेन हस्तक्षेप प्रशिक्षण के लिए इंजन के साथ एक रेलवे कोच की स्थापना का अनावरण कर समर्पित किया। अकादमी के पुनर्निर्मित मुख्य हॉल, जो अब वातानुकूलित हो गया है, का भी उद्घाटन मंत्री ने किया। इस अवसर पर आरपीएफ की त्रैमासिक ई-पत्रिका “रेल सैनिक” का एक विशेष “आजादी का अमृत महोत्सव” संस्करण जारी किया गया।
रेल राज्यमंत्री ने बल की शिष्टता, मतदान और मार्च की प्रशंसा की। अपने संबोधन में उन्होंने महिला यात्रियों के लिए सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने में आरपीएफ की भूमिका की सराहना की। उन्होंने लंबी दूरी की ट्रेनों में अकेले यात्रा करने वाली महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए ‘मेरी सहेली’ टीमों की जमकर प्रशंसा की। उन्होंने किसी भी संगठन के प्रदर्शन में सुधार के लिए प्रशिक्षण और कौशल उन्नयन की प्रमुख भूमिका को रेखांकित किया और आरपीएफ में प्रशिक्षण सुविधाओं को बढ़ाने के लिए 55 करोड़ रुपये की मंजूरी की घोषणा की।
श्रीमती जरदोश ने 3 करोड़ रुपये की लागत से आरपीएफ कर्मियों के पारिवारिक सदस्यों, विशेषकर महिलाओं के कौशल के उन्नयन के लिए तीसरी बटालियन आरपीएसएफ, लखनऊ के परिसर में एक कौशल उन्नयन प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने की भी घोषणा की। इसके अलावा, उन्होंने देश भर में 75 स्थानों पर महिला आरपीएफ ट्रेन एस्कॉर्टिंग कर्मियों के लिए विश्राम आश्रय सह मोबिलाइजेशन हॉल के निर्माण की घोषणा भी की।
महानिदेशक/आरपीएफ, संजय चंदर ने मंत्री का स्वागत किया और यात्रियों को एक सुरक्षित ट्रेन यात्रा प्रदान करने के लिए बल द्वारा की गई विभिन्न नई पहलों की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि आरपीएफ अपने कामकाज के विभिन्न क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहा है ताकि जनशक्ति का ईष्टतम उपयोग सुनिश्चित किया जा सके। रेलगाड़ियों और स्टेशनों पर मानव तस्करी, नशीले पदार्थों के परिवहन, हवाला मनी, प्रतिबंधित वन्य जीवों और अन्य अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए आरपीएफ सराहनीय कार्य कर रहा है।
उन्होंने कहा कि हम अमृत काल में प्रवेश कर चुके हैं, जो 2047 तक चलेगा, जिसके दौरान हमें भारत को उस गौरव के शिखर पर ले जाने के लिए अपने दिल और अंतरात्मा से काम करना होगा। विजन 2047 ऐसे उदात्त आदर्श की ओर एक रोडमैप है। उन्होंने बल के विजन 2047 का उल्लेख किया और कहा कि इसमें बल की प्रतिक्रिया, पहुंच और प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए नवाचार, प्रौद्योगिकी का उपयोग, संसाधन का ईष्टतम उपयोग शामिल होगा। उन्होंने रेखांकित किया कि बल का लक्ष्य सेवा ही संकल्प है और बल के सभी सदस्यों, कांस्टेबल से लेकर डीजी तक, को अपनी सेवा प्रतिबद्धता को मजबूत करने की दिशा में काम करना होगा।
रेल संपत्ति को सुरक्षा प्रदान करने के लिए 1957 में संसद के एक अधिनियम द्वारा रेलवे सुरक्षा बल का गठन किया गया था। इसके बाद, बल को 1966 में रेल संपत्ति के गैरकानूनी कब्जे में शामिल अपराधियों से पूछताछ, गिरफ्तारी और मुकदमा चलाने का अधिकार दिया गया। वर्षों से यह महसूस किया गया कि बल को “संघ के एक सशस्त्र बल” का दर्जा देने की आवश्यकता है और अंतत: 20 सितंबर 1985 को संसद द्वारा आरपीएफ अधिनियम में संशोधन कर बल को यह दर्जा दिया गया। इसलिए बल के सदस्यों और उनके परिवारों द्वारा हर साल 20 सितंबर का दिन आरपीएफ के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है।
स्थापना दिवस आरपीएफ के सतत विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और बल के सदस्यों द्वारा उत्सव की भावना के साथ मनाया जाता है, जहां वे जनता के साथ अपनी खुशी साझा करते हैं और उनकी सेवा करने और समग्र सार्वजनिक भलाई के लिए काम करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं।
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