August 10, 2021

विघ्नसंतोषी “नाथूरामों” से सावधान !

विघ्नसंतोषी “नाथूरामों” से सदैव सावधान रहें। यह प्रवृत्तियां समाज और व्यवस्था दोनों के लिए घातक हैं! व्यक्ति की प्रगति में भी बाधक होती हैं!

सुरेश त्रिपाठी

कुछ विघ्नसंतोषी दुष्टात्माएं समाज और व्यवस्था दोनों जगह सक्रिय रहती हैं। दोनों जगह इनके अंदर दूसरों से ‘जलन’ का भाव समान रूप से काम करता है। समाज में यह भाव किसी से अपनी बराबरी, मांग, इच्छा, आवश्यकता पूरी न होने पर बदले की भावना से बदनाम करने या किसी झंझट में फंसाने-उलझाने के लिए पैदा होता है, तो व्यवस्था में यह भाव तब पैदा होता है जब अपने किसी समकक्ष का प्रमोशन या डेपुटेशन होना होता है अथवा उसे किसी बड़े असाइनमेंट के लिए साइन किया जाता है। यह विघ्नसंतोषी दुष्टात्माएं छोटे-बड़े दोनों स्तर पर सदैव सक्रिय रहती हैं।

ऐसी ही एक अदृश्य दुष्टात्मा से 4 अगस्त 2021 को “रेलसमाचार” का भी पाला पड़ा। इस विघ्नसंतोषी दुष्टात्मा ने एक हाई लेवल का मैटर इस रिक्वेस्ट के साथ भेजा कि “kindly don’t disclose my identity!” मैटर में बहुत सारे डीटेल दिए गए थे और एक नजर में बहुत बड़ी ब्रेकिंग न्यूज लग रही थी। ऐसे में लीड लेने को आतुर कोई भी पत्रकार उसे लपककर फालो करता। हमने भी किया। यह स्वाभाविक ही था।

परंतु सबसे पहले सूचना अथवा जानकारी देने वाला कौन है? किस स्तर पर है? जानकारी देने के पीछे उसका उद्देश्य क्या है? उसकी अपनी इंटेग्रिटी क्या है? यह भी जानना बहुत आवश्यक था। अतः जब अंग्रेजी की एक लाइन में की गई उसकी उपरोक्त रिक्वेस्ट देखी, तो रिप्लाई किया कि “पहले अपनी आईडेंटिटी हमसे तो डिस्क्लोज करो भाई”, यह कहते हुए उससे उसका परिचय देने को कहा, तो जवाब मिला, “I am in Railway Board!”

हमने तत्काल उस नंबर को डायल किया जिससे उक्त मैटर हमें व्हाट्सएप किया गया था। व्हाट्सएप पर और डायरेक्ट लाइन दोनों पर, परंतु बंदे ने कॉल रेस्पान्ड नहीं की। तब चैट शुरू हुई।

“ओके”, यह कहते हुए हमने फिर रिप्लाई किया, “हमें अपना नाम, पदनाम बताने में कोई हर्ज नहीं है और सब जानते हैं कि हमारी तरफ से कभी कोई सोर्स डिस्क्लोज नहीं किया जाता, किसी को भी नहीं!”

इस पर उधर से जवाब आया, “Due to certain service constraints and limitations can’t disclose further. I hope you appreciate.”

“ओके, पर इतना तो अवश्य कंफर्म करें कि ये मैटर, जो आपने भेजा है, वह कितना ऑथेंटिक है?” हमने फिर पूछा।

उधर से जवाब आया, “Sir, 100% correct based on facts. You can verify it from RVNL!”

इसके साथ ही उन्होंने www.indiaratings.co.in की प्रेस रिलीज का एक लिंक और किसी अंग्रेजी न्यूजपेपर की एक कटिंग भी भेजी।

इसके बाद हमने कहा, यानि उसको रिप्लाई किया, “ठीक है, पहले डीटेल रीडिंग करता हूं, फिर देखता हूं कि किससे क्या बात करनी है!”

इस पर उसने पांच हाई लेवल ऑफीसर्स के नाम और संपर्क नंबर भेजकर कहा कि “नीचे दिए गए नामों को संपर्क करके सत्यता प्रमाणित कर सकते हैं!” यह पढ़कर तुरंत मन में आया कि अब यह नौबत आ गई है कि 40 साल कलम घिसने के बाद भी यह अनाम अधिकारी हमें हमारा काम सिखा रहा है!

खैर, वह तो हमें वैसे भी करना ही था। फिर यह सोचकर उक्त ख्याल को झटक दिया कि पर्दे की आड़ में छिपकर ज्ञान बघारने वाले ज्ञानियों से बहस करने का कोई औचित्य नहीं है!

हमने उक्त पांचों हाई लेवल ऑफीसर्स से एक-एक करके बात किया। इनमें वर्किंग सीएमडी सहित ईडी, एडवाइजर और एक्स-ईडी शामिल हैं। इन सब ने संबंधित मैटर के किसी भी तथ्य या डीटेल को अप्रूव नहीं किया, बल्कि सब ने कहा कि “जब किसी व्यक्ति या अधिकारी की #NHSRCL जैसे किसी बड़े सरकारी संस्थान में बतौर एमडी या सीएमडी नियुक्ति की जाती है, तब उससे पहले भारत सरकार के स्तर पर उस व्यक्ति की प्रत्येक गतिविधि और सर्विस रिकॉर्ड की बहुत बारीकी से छानबीन की जाती है। भारत सरकार वैसे ही किसी व्यक्ति को कहीं से उठाकर ऊपर नहीं बैठा देती!”

इन सभी उच्च स्तरीय अधिकारियों से जैसे प्रतिसाद की अपेक्षा थी, ठीक वैसा ही मिला। इसके अलावा, हमने इस संदर्भ में कई पूर्व बोर्ड मेंबर्स, जीएम और विभाग प्रमुखों से भी बात की। सब ने उपरोक्त तथ्य को ही प्रमाणित किया।

तत्पश्चात हमने, मैटर भेजने वाले कथित अधिकारी को पुनः लिखा, “No one is certified, I’ve talked with all the above officers, they denied directly and even certified that Mr Satish Agnihotri is a dead honest person.. now what you will say in this regard? And now I’ll not go ahead till you don’t disclose your indentity because without knowing the authenticity and intention of the source of the information, I’ll not go ahead.”

इस पर उन्होंने फिर कहा, “He is not honest at all. He is biggest manipulator. I can assure you that, all the given facts are verifiable and correct. Officers may be scared of him and not telling the truth. Did you talk to Mr …, Mr …, & Mr …, all of them know the truth, may be scared of him, He has contacts in PMO and calls can be recorded, therefore they will not say anything against him.”

अब इन महाशय ने ऊपर जो कहा, उसका निहितार्थ पाठकगण स्वयं समझ सकते हैं। तथापि हमने उन्हें फिर रिप्लाई किया कि “सबसे बात की, पर किसी ने भी कोई एडवर्स फीडबैक नहीं दी। आपकी बात अपनी जगह ठीक हो सकती है, परंतु जब तक आप अपना असली परिचय नहीं देंगे, तब तक बात नहीं बनेगी।”

इस पर उन्होंने इस बार हिंदी में उत्तर दिया, “मैटर में दिए गए सारे तथ्य बिल्कुल सही हैं। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए पत्रकारिता का बहुत बड़ा रोल है। अतः देशहित में यदि यह प्रकाशित करेंगे, तो अच्छा रहेगा।”

अब टटिया की आड़ में छिपा यह छद्म आदमी देश हित की बात करने लगा। पत्रकारिता की भूमिका तय करने लगा। जैसे कि उसकी बतौर नागरिक देश के लिए कोई भूमिका ही नहीं हो, अर्थात तुम लड़ो, हम कपड़े संभालते हैं, जैसी शुरू से अपनी भूमिका पर डटा हुआ था। मगर अपनी पहचान बताने को फिर भी तैयार नहीं हुआ।

खैर, हमने इसके बाद काफी लोगों से संबंधित मैटर पर चर्चा करने के साथ ही इस छुपी दुष्टात्मा के बारे में भी जानकारी जुटाने का प्रयास किया। तब पता चला कि 5 अगस्त 2021 को इसने उन सबके सहित satyamewjayte.railway@gmail.com इस फर्जी-बोगस ई-मेल आईडी से लगभग सैकड़ों लोगों को ई-मेल किया था और जो मैटर “रेलसमाचार” को इसने व्हाट्सएप किया था, बिल्कुल वही मैटर ई-मेल पर इन सबको भी भेजा था। इसमें रेलवे बोर्ड विजिलेंस सहित अन्य बहुत सारे अधिकारियों के ई-मेल आईडी शामिल हैं। यह पूरी ई-मेल लिस्ट “रेलसमाचार” के पास सुरक्षित है।

अब यहां यह उल्लेख करना आवश्यक है कि यह पूरा प्रकरण/मैटर सतीश अग्निहोत्री, पूर्व CMD/RVNL की MD/#NHSRCL के पद पर हुई नियुक्ति के संबंध में था। उक्त ई-मेल में उनका भी ई-मेल आईडी शामिल था। अर्थात उनसे संबंधित मैटर उनके साथ सबको ई-मेल किया गया था। यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि यदि शिकायतकर्ता का उद्देश्य केवल सच उजागर करना और मामले की जांच करवाना होता है, तो वह अपनी शिकायत केवल संबंधित जांच एजेंसी को ही भेजता है, न कि पूरी दुनिया को! अर्थात इस असंतुष्ट दुष्टात्मा का उद्देश्य व्यक्ति को केवल बदनाम करना रहा है। अतः श्री अग्निहोत्री से भी इस पर विस्तृत चर्चा की गई।

रेलवे बोर्ड, रेल विकास निगम लि., नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरीडोर लि. सहित कई कार्यरत और सेवानिवृत्त उच्च स्तरीय अधिकारियों से इस मामले में विस्तृत चर्चा की गई। इन सभी अनुभवी और परिपक्व अधिकारियों ने प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सतीश अग्निहोत्री को एक निष्ठावान और समर्पित अधिकारी बताया। इनमें से आर. आर. जरुहार, पूर्व मेंबर इंजीनियरिंग, आदित्य प्रकाश मिश्रा, पूर्व मेंबर इंजीनियरिंग और पी. आर. सिंह, पूर्व ईडी/आरवीएनएल का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। न सिर्फ उच्च पदस्थ बल्कि अपने समय में काफी सम्माननीय रहे श्री जरुहार और श्री मिश्रा ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि श्री अग्निहोत्री के समय में RVNL ने काफी प्रगति की थी और उनके रहते इसके किसी अधिकारी या कर्मचारी के विरुद्ध कोई विजिलेंस केस भी दर्ज नहीं हुआ था। वह काम के प्रति बहुत समर्पित, मेहनती और काम के लिए दबाव बनाए रखने वाले अधिकारी हैं। इसके अलावा उन्होंने उपरोक्त तथ्य को भी प्रमाणित किया कि किसी व्यक्ति की नियुक्ति करने से पहले भारत सरकार द्वारा संबंधित व्यक्ति के हर पहलू की छानबीन की जाती है।

तत्पश्चात कई दिनों की खोजबीन और कई उच्च पदस्थ लोगों से लगातार बातचीत करने के बाद इस विघ्नसंतोषी दुष्टात्मा का जो नाम सामने आया, वह है – नाथूराम ! अब इसके आगे “चौधरी” जोड़ना है, या “गोडसे”, यह हम पाठकों पर छोड़ते हुए यह अवश्य कहेंगे कि गोडसे ने एक दुष्टात्मा का खात्मा करके इस देश को और ज्यादा खंडित होने से बचाया था। बाकी अपनी-अपनी समझ है!

उपरोक्त सभी अधिकारियों ने भी इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि यह नाम काफी विवादास्पद रहा है और यह व्यक्ति बहुत पहले से ही न केवल सतीश अग्निहोत्री के पीछे पड़ा रहा है, बल्कि इसकी दुष्टताओं के कारण अन्य कई काबिल अधिकारियों का कैरियर तबाह हुआ है।

बहरहाल, विस्तृत छानबीन करने पर सबसे पहले यह पता चला कि यह नाथूराम महाशय बहुत पुरानी दुष्टात्मा हैं, जिन्हें न तो जिंदा रहते अर्थात रेल सेवा में रहते चैन था, और न ही मरने यानि कि रिटायर होने के बाद शांति मिली है! बताया गया कि वर्ष 2009 में ही इनके खिलाफ सीबीआई ने जांच करके रेलवे बोर्ड विजिलेंस को लिखित रूप से यह प्रमाणित कर दिया था कि जो ई-मेल भेजा गया था, वह इन्होंने ही भेजा था। सीबीआई ने यह जांच तत्कालीन एडवाइजर विजिलेंस रेलवे बोर्ड द्वारा अग्रसारित शिकायत पर की थी, जो कि संबंधित अधिकारी द्वारा लिखित रूप से उन्हें दी गई थी।

यह भी पता चला कि यह महाशय मोबाइल नंबर बदल-बदलकर व्हाट्सएप करते हैं। जिस मोबाइल नंबर से इन्होंने “रेलसमाचार” को व्हाट्सएप किया, वह भी किसी “राकेश” के नाम से दर्ज पाया गया। इनके सताए हुए अनेक अधिकारियों ने बताया कि इन्होंने बहुत से लोगों का कैरियर बाधित करने की कोशिश की है। खासतौर पर सतीश अग्निहोत्री का। उन्होंने बताया कि दिल्ली मंडल उत्तर रेलवे के एक पूर्व डीआरएम भी इनके सताए हुए लोगों की लिस्ट में शामिल रहे हैं।

अंत में निष्कर्ष यह है कि ऐसी विघ्नसंतोषी, चिरअसंतुष्ट दुष्टात्माओं से सदैव सावधान रहने की आवश्यकता है। यह प्रवृत्तियां समाज और व्यवस्था दोनों के लिए घातक हैं। व्यक्ति की प्रगति में भी बहुत बड़ी बाधक होती हैं। तथापि जैसा कि इस पूरे प्रकरण से साबित है कि ऐसे दुष्ट, ओछे और विघ्नसंतोषी लोग हमेशा दूसरों का उपयोग करते हैं। अपनी बंदूक दूसरों के कंधे पर रखकर चलाते हैं। अतः इनसे डरे बिना इनका पर्दाफाश करते रहना चाहिए।

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