पूर्वोत्तर रेलवे: तेज गति से किया जा रहा है रेल समपारों पर स्लाइडिंग बूम लगाने का काम
गोरखपुर ब्यूरो: पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन द्वारा संरक्षित-सुरक्षित एवं निर्बाध रेल संचालन सुनिश्चित करने के लिए अनेक उपाय किए जा रहे हैं। इसी क्रम में पूर्वोत्तर रेलवे के महाप्रबंधक विनय कुमार त्रिपाठी के मार्गदर्शन में सभी रेलवे समपारों पर स्लाइडिंग बूम लगाने का काम तेजी से किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि उन्नत तकनीक वाले इन स्लाइडिंग बूम्स के सिगनल युक्त समपारों के पर जाने से, किसी भी कारण से समपार फाटक के क्षतिग्रस्त अथवा खराब होने की स्थिति में, सिगनल प्रभावित नहीं होता है, तथा ट्रेनें बिना रूकावट के चलती रहती हैं।
ज्ञातव्य है कि पूर्वोत्तर रेलवे के कुल 1609 मानवयुक्त समपारों में से 774 समपारों को इंटरलाॅक यानि कि सिगनल युक्त किया जा चुका है। इसमें से 495 समपारों पर स्लाइडिंग बूम लगाने का कार्य पूरा कर लिया गया है। चालू वित्त वर्ष में 72 मानवयुक्त समपारों पर स्लाइडिंग बूम लगाए जाने का लक्ष्य है।
पूर्वोत्तर रेलवे के गोरखपुर छावनी स्थित सिगनल कारखाने में सिगनल बूम के निर्माण का कार्य सम्पादित होता है। अब तक इस कारखाने में 409 स्लाइडिंग बूम का निर्माण किया जा चुका है। वर्तमान वित्त वर्ष में लगभग 160 स्लाइडिंग बूम के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
उल्लेखनीय है कि समपार फाटक के क्षतिग्रस्त अथवा खराब होने की स्थिति में चेन एवं लाॅक के माध्यम से संरक्षा सुनिश्चित कर ट्रेन को पास कराया जाता है। इस दौरान गाड़ियों को रिस्ट्रिक्टेड स्पीड में चलाया जाता है, जिससे अनावश्यक विलंबन होता है। स्लाइडिंग बूम के प्रावधान से इस समस्या का समाधान स्वतः हो जाता है।
मेन लेबल क्रासिंग फाटक के क्रियाशील न होने की स्थिति में स्लाइडिंग बूम लेबल क्राॅसिंग गेट के रूप में कार्य करता है। फलस्वरूप ट्रेनों का विलंबन नहीं होता है। इस प्रणाली में लेबल क्रासिंग फाटक के क्षतिग्रस्त होने पर रिपेयरिंग हेतु समय मिल जाता है तथा कर्मचारियों पर कार्य का दबाव कम हो जाता है।
स्लाइडिंग बूम प्रणाली के लग जाने से सिगनल युक्त समपारों पर फाटक के क्षतिग्रस्त अथवा खराब हो जाने से सिगनल प्रभावित नहीं होता है तथा गाड़ियों का संचालन निर्बाध रूप से होता रहता है। इसलिए इस व्यवस्था को प्रथम चरण में सभी सिगनल युक्त समपारों पर लगाए जाने की योजना बनाई गई है।
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