April 7, 2019

निकम्मे इंजी. अधिकारियों को है किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार

रेल प्रशासन द्वारा सार्वजनिक समस्या की जानबूझकर की जा रही अनदेखी

कल्याण : कल्याण के वालधुनी साइड के अंडर पास से रेलवे अस्पताल, इलेक्ट्रिक लोको शेड और स्कूल के लिए जाने का एकमात्र रास्ता है, जिसके निचे साल के बारहों महीने पानी भरा रहता है. पैदल तो छोडो, इसके नीचे से दुपहिया और तिपहिया वाहन से भी लोगों का निकल पाना काफी मुश्किल और परेशानी भरा होता है. यहां से बीमार मरीजों को लेकर एम्बुलेंस भी आती-जाती हैं, मगर इस रास्ते का सही रख-रखाव मुंबई मंडल का इंजीनियरिंग विभाग नहीं कर रहा है. इससे यहां आए दिन कोई न कोई बड़ी दुर्घटना होने का अंदेशा बना रहता है.

स्टेशन स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य एवं स्थानीय शिवसेना नेता सुशील कुमार शर्मा का कहना है कि रेल प्रशासन किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहा है. उन्होंने बताया कि वालधुनी से रेलवे अस्पताल, रेलवे इंस्टिट्यूट, चर्च, छोटे बच्चों का रेलवे स्कूल, लोको शेड इत्यादि के लिए जाने का एकमात्र रास्ता उक्त पुलिया के नीचे होकर गुजरता है. इस पुलिया के नीचे से एक नाला गुजरता है, जिससे इसके नीचे बने बड़े-बड़े गड्ढ़ों में हमेशा गंदा पानी भरा रहता है, जो कभी भी यहां से निकलने वाले लोगों के लिए दुर्घटना का कारण बन सकता है. उन्होंने कहा कि कोई भी वाहन चालक मरीजों को रेलवे अस्पताल ले जाने के लिए राजी नहीं होता हैं, क्योंकि उन्हें हमेशा दुर्घटना का डर बना रहता है.

उन्होंने कहा कि आश्चर्य की बात यह है कि इस रास्ते से रेलवे के बड़े अधिकारी एवं स्वयंभू रेल नेता भी रोज गुजरते हैं. लेकिन उनको यह सब दिखाई नहीं पड़ता है. उन्होंने बताया कि उन्हें रेलवे के ही एक अधिकारी ने बताया है कि कुछ दिन पहले यह रास्ता ठीक करवाया गया था, लेकिन एक ठेकेदार, जिसको उक्त पुलिया के गर्डर बदलने का ठेका दिया गया था, ने गर्डर निकालने के लिए क्रेन मंगाई थी, जो पुलिया से ऊंची थी. ठेकेदार ने क्रेन निकालने के लिए पुलिया की सतह को खोदकर नीचा किया था, लेकिन काम होने पर उसने गड्ढ़ों को नहीं भरा.

उनका कहना था कि इस रास्ते से एंबुलेंस मरीजों को लेकर आती जाती है. गड्ढ़ों के कारण कभी भी मरीजों की जान जोखिम में पड़ सकती है, जिसकी जवाबदारी रेल प्रशासन की होगी. ज्ञातव्य है कि यह मामला विगत कई दिनों से स्थानीय मीडिया की सुर्खियों में रहा है, तथापि मंडल प्रशासन ने अब तक इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया है. कई बार इस मामले को लेकर कई लोगों ने रेलवे बोर्ड, सीआरबी, महाप्रबंधक एवं मंडल रेल प्रबंधक सहित संबंधित अधिकारी को टैग करते हुए कई ट्वीट भी किए हैं, तथापि संबंधित अधिकारियों के कान में अब तक जूं तक नहीं रेंगी है.


दस दिन पहले नौकरी ज्वाइन किए कर्मचारी की पोल से गिरकर मौत

सोलापुर : चिंखिल में पदस्थ रहे आरपीएफ के पूर्व हेड कांस्टेबल स्व. अशोक कोली के पुत्र निलेश अशोक कोली की नियुक्ति मध्य रेलवे के सोलापुर मंडल में अनुकंपा आधार पर विद्युत् विभाग में खलासी के पद पर हुई थी. उसकी पोस्टिंग गुलबर्गा में इसी 2 जून 2018 को की गई थी. आरपीएफ एसोसिएशन मध्य रेलवे के पदाधिकारियों के अथक परिश्रम के बाद लगभग तीन साल की प्रक्रिया के पश्चात् उसकी यह नियुक्ति संभव हो पाई थी. प्राप्त जानकारी के अनुसार 13 जून को बिना ट्रेनिंग, बिना किसी सेफ्टी डिवाइस के निलेश कोली को वाडी रेलवे हास्पिटल के पास इलेक्ट्रिक पोल पर चढ़ा दिया गया. पैर फिसलने के कारण निलेश कोली पोल के ऊपर से सीधे निचे गिर गया.

कमर के बल गिरे निलेश कोली को कमर और सिर के पिछले हिस्से में गंभीर चोट लगी. उसे तुरंत रेलवे हास्पिटल ले जाया गया. बताते हैं कि अस्पताल में उसे कोई प्राथमिक उपचार भी नहीं दिया गया. डॉक्टर ने ठीक ढ़ंग से उसकी देखभाल नहीं की और किसी दूसरे हास्पिटल में समय पर रेफर भी नहीं किया. बाद में अन्य रेलकर्मियों के दबाव में डॉक्टर ने उसे दोपहर बाद सोलापुर रेफर किया. वाडी से गाड़ी नं 11028 अप से सोलापुर लाते समय अक्कलकोट स्टेशन के पास उसके शरीर की हलचल बंद हो गई. सोलापुर आगमन पर रेलवे हास्पिटल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया.

इस मामले में घटनास्थल पर उपस्थित मिस्त्री विद्युत् विभाग, सोलापुर के संबंधित अधिकारियों की घोर लापरवाही स्वयं उजागर है. रेलकर्मियों ने मात्र दस दिन पहले नौकरी ज्वाइन करने वाले कर्मचारी को बिना पर्याप्त प्रशिक्षण और सुसकी संरक्षा की समुचित व्यवस्था किए बिना ही उसे पोल पर चढ़ाकर उसकी जान लेने वाले सभी संबंधितों के विरुद्ध गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज करके उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई किए जाने की मांग की है.