श्रमिक विरोधी सरकार के विरुद्ध वोटिंग करेंगे केंद्रीय कर्मचारी -शिवगोपाल मिश्रा
एनपीएस को पुनर्स्थापित करने वाली पार्टी का समर्थन करेंगे केंद्रीय सरकारी कर्मचारी
सभी केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को मुकम्मल संघर्ष के लिए तैयार रहने का आह्वान
नई दिल्ली : नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ ऐक्शन (एनजेसीए) के आह्वान पर सातवें वेतन आयोग की निराशाजनक सिफारिशोंके विरोध में तथा भारत सरकार द्वारा केंद्रीय कर्मचारियों की लंबित जायज मांगों को न माने जाने और नई पेंशन स्कीम को समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना को लागू न किए जाने के विरोध में एनजेसीए के विभिन्न घटकों द्वारा संयुक्त रूप से नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर बुधवार, 13 मार्च को सुबह 11 बजे से एक प्रचंड प्रदर्शन एवं रैली का आयोजन किया गया. इस रैली में रेलवे, रक्षा, पोस्टल, सिविल और अन्य विभागों के हजारों केंद्रीय सरकारी कर्मचारी शामिल थे.
रैली में हजारों की संख्या में शामिल केंद्रीय कर्मचारियों ने जायज मांगों को लेकर अपनी आवाज बुलंद की. इस अवसर पर एआईआरएफ के नेतृत्व में रेलवे के दिल्ली और आसपास से हजारों की संख्या में रेल कर्मचारियों ने भी रैली में भाग लिया. समस्त कर्मचारियों ने अपने मांगों से संबंधित तख्तियां, बैनर लेकर तथा गगनभेदी नारों के साथ सुबह 11.00 बजे स्टेट इंट्री रोड, नई दिल्ली से जंतर-मंतर तक एक विशाल रैली निकाली.
नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ ऐक्शन के कन्वेनर तथा ऑल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन के महामंत्री कॉम. शिवगोपाल मिश्रा ने बताया कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों, नई पेंशन योजना (एनपीएस) को समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने तथा कर्मचारियों की लबिंत मांगों का समाधान न होने के कारण सभी केंद्रीय कर्मचारियों सहित रेल कर्मचारियों में भी भारी रोष व्याप्त है और वे बेहद निराशाजनक स्थिति में काम कर रहे हैं. कॉम. मिश्रा ने आगे कहा कि हमने सरकार को पूरा समय दिया है, अब इतना समय देने के बाद भी अगर भारत सरकार हमारी मांगो को गंभीरता से नहीं लेती है, तो अनिष्चितकालीन आम हड़ताल अपरिहार्य हो जाएगी.
कॉम. शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि सभी रेलकर्मी, जिसमें सातवें वेतन आयोग द्वारा दिए गए सिफारिश, न्यूनतम वेतनमान में सुधार, नई पेंशन योजना की जगह पुरानी पेंशन योजना लागू करना, एफडीआई और पीपीपी आदि पर रोक लगाने जैसी अपनी जायज मांगों को न माने जाने के खिलाफ लामबंद हैं तथा उनमें भारी रोष व्याप्त है. उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा रोष नई पेंशन स्कीम को लेकर युवा वर्ग में है, उनका भविष्य और सामाजिक सुरक्षा अधर में अटकी पड़ी है. अगर अब भी उनकी मांगों को अनदेखा किया गया, तो इसकी कीमत सरकार को अनिष्चिकालीन आम हड़ताल से चुकानी पड़ेगी.
कॉम. मिश्रा ने यह भी कहा कि लंबित मांगों को न माने जाने और नई पेंशन योजना के खिलाफ आज देश भर में प्रशासनिक कार्यालयों पर भी विरोध सभाओं और रैलियों का आयोजन किया गया तथा सरकारी कर्मचारियों ने काला फीता बांधकर अपना विरोध प्रदर्शित किया. उन्होंने कहा कि एनजेसीए ने यह भी फैसला लिया है कि जो राजनीतिक पार्टी इस बार अपने घोषणा पत्र में नई पेंशन योजना को समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना की बहाली के मुद्दे को प्रमुख रूप से शामिल करेगी, सरकारी कर्मचारी उसी पार्टी को वोट देंगे. इसके लिए एनजेसीए के संयोजक के तौर पर उन्होंने सभी राजनीतिक पार्टियों के प्रमुखों को एक पत्र भी लिखा है.
इस अवसर पर रैली को एनएफआईआर के महामंत्री डॉ. एम. राघवैया, अध्यक्ष/एनएफआईआर गुमान सिंह, अध्यक्ष/एआईआरएफ रखाल दासगुप्ता, कनफेडरेशन के महासचिव एम. एस. राजा, अध्यक्ष के. के. एन. कुट्टी, एआईडीईएफ के महामंत्री कुमार एवं अध्यक्ष एस. एन. पाठक, एनएफपीई के महामंत्री पराशर, एनडीडब्ल्यूएफ के अध्यक्ष अशोक सिंह ने भी संबोधित किया. सभी वक्ताओं ने सरकार को आगाह करते हुए कहा कि अगर कर्मचारियों की जायज मांगें नहीं मानी गईं, तो सारे केंद्रीय सरकारी कर्मचारी आने वाले समय में मुकम्मल संघर्ष के लिए मजबूर होंगे.