मध्य रेलवे: जोनल अस्पताल भायखला का लचर प्रबंधन, मरीजों की हालत खराब

डॉ बी. आर. अंबेडकर स्मारक रेलवे अस्पताल, भायखला की ओपीडी में रजिस्ट्रेशन के लिए मरीजों को एक घंटे से ज्यादा समय तक लाइन में खड़ा रहना पड़ता है। उसके बाद जिस डॉक्टर को दिखाना है, जैसे फिजीशियन, ऑर्थोपेडिक, ईएनटी, सर्जन, पैथालॉजी इत्यादि, वहां भी एक घंटे से ज्यादा समय लाइन में खड़ा रहना पड़ता है। इस सबसे बदतर हालत केस पेपर रजिस्ट्रेशन काउंटर पर रहती है।

जोनल रेलवे अस्पताल, भायखला की ओपीडी में केस पेपर रजिस्ट्रेशन काउंटर पर जमा रिटायर्ड/वर्किंग रेलकर्मियों की भीड़!

परेशान रेलकर्मियों का कहना है कि क्या यह बीमार-बुजुर्ग व्यक्तियों के लिए ठीक है? उन्होंने बताया कि कई बार अस्पताल प्रशासन के संज्ञान में लाने और इस बदतर स्थिति को उन्हें प्रत्यक्ष रूप से दिखाने के बावजूद अस्पताल की प्रबंधन व्यवस्था में किसी भी तरह के परिवर्तन का कोई प्रयास नहीं किया गया। यह बहुत ही शर्मनाक है।

इसी प्रकार मंडल रेल अस्पताल (डीआरएच) कल्याण की भी यही दुर्गति है। डीआरएच कल्याण में इलाज के लिए जाने वाले रेलकर्मी बताते हैं कि यहां एसीएमएस की तूती बोलती है। इसके बावजूद उनकी हेकड़ी और अनिर्णय के चलते गत सप्ताह तीन दिन तक एक बुजुर्ग महिला मरीज के पैर के फ्रैक्चर का ऑपरेशन नहीं हो पाया।

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उन्होंने बताया कि डीआरएच कल्याण में कांट्रैक्ट ऑर्थोपेडिक डॉक्टर है, जबकि विभागीय स्थाई ऑर्थोपेडिक डॉक्टर डिस्पेंसरी में नियुक्त किया गया है, जहां उसकी शायद ही कभी आवश्यकता पड़ती होगी। यही स्थिति स्किन स्पेशलिस्ट डॉक्टर की भी है, जो अब तक डीआरएच कल्याण में ही नियुक्त था, परंतु अब उसे ठाणे डिस्पेंसरी में भेज दिया गया है, जबकि डीआरएच कल्याण में अब कोई स्किन स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं है। यह कैसा अस्पताल प्रबंधन है? क्रमशः

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