‘रेलसमाचार’ का ट्वीटर अकाउंट हैक्ड, किए गए अशोभनीय मैसेज !

A 'Namoona' of bogus complaint and a example of big fraud against CVI/T/NR in the name of 'RailSamachar' and its Editor.

कुछ खुराफाती तत्व कर रहे हैं ‘रेलसमाचार’ को बदनाम करने की साजिश

करीब दो हफ्ते पहले ‘रेलसमाचार’ का ट्वीटर अकाउंट (@RailSamachar) हैक कर लिया गया था। इसकी जानकारी उसके हफ्ते भर बाद तब हो पाई, जब एक फ़ॉलोअर ने इस बारे में बताया। उसके बाद जब ‘डायरेक्ट मैसेज’ (डीएम) बॉक्स खोलकर देखा गया, तब पता चला कि वास्तव में वहां अत्यंत अशोभनीय मैसेज थे, जिन्हें देखकर जान सूख गई और बहुत बुरा भी लगा।

संसाधनों की कमी के कारण किसी तरह के विवाद में न पड़ने और अनावश्यक विवाद से बचने के लिए तत्काल यही उचित लगा कि उक्त ट्वीटर अकाउंट को फौरन से पेश्तर बंद कर दिया जाए। अतः ‘रेलसमाचार’ के उक्त ट्वीटर अकाउंट (@RailSamachar) को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया। हालांकि यह काफी कष्टदायी था, क्योंकि 6600 से ज्यादा फ़ॉलोअर्स को एकाएक छोड़ना और 47000 से भी अधिक काफी महत्वपूर्ण ट्वीट्स को गंवाना पड़ा है।

बहरहाल, ‘रेलसमाचार’ के साथ इस तरह का वाकया कोई पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले एक बार उत्तर रेलवे के एक मुख्य सतर्कता निरीक्षक (सीवीआई) के विरुद्ध ‘रेलसमाचार’ के बोगस लेटरहेड पर इसके संपादक सुरेश त्रिपाठी के नाम और फर्जी हस्ताक्षर से लिखित/फर्जी शिकायत की गई थी, जबकि दूसरी बार पूर्व मध्य रेलवे के प्रमुख मुख्य परिचालन प्रबंधक (पीसीओएम) के खिलाफ बोगस शिकायत करने के लिए भी यही तरीका अपनाया गया था।

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यह वह कुछ मामले हैं, जो वेरीफिकेशन प्रक्रिया के दौरान हमारे संज्ञान में आए हैं। जबकि ऐसे कई अन्य मामले भी हो सकते हैं। अब इससे भी अत्यंत खतरनाक तरीका खुराफाती तत्वों द्वारा ट्वीटर पर अपनाया गया है, क्योंकि वहां भी जो कुछ लिखा जा रहा था, वह बहुत पुख़्ता सबूतों और तथ्यों के साथ लिखा जाता था, जो कि कुछ लोगों को वास्तव में हजम नहीं हो पा रहा था।

खैर, वर्तमान में सोशल मीडिया के इस्तेमाल के यदि कुछ फायदे हैं, तो कुछ नुकसान भी हैं। यह भी पता चला है कि संपादक सुरेश त्रिपाठी के ‘यूजर नेम’ के साथ ट्वीटर पर कुछ बोगस/फर्जी/पैरोडी ट्वीटर अकाउंट भी खोले गए हैं। इनका पता लगाने की कोशिश की जा रही है, और जल्दी ही इस हैकिंग तथा बोगस ट्वीटर अकाउंट्स के विरुद्ध सायबर पुलिस में लिखित शिकायत भी दर्ज कराई जाएगी। इस संबंध में सायबर विशेषज्ञों और कानूनी सलाहकारों से सलाह-मशवरा किया जा रहा है।