लोको में तकनीकी खराबी के लिए एलपी/एएलपी कैसे है जिम्मेदार!
रेलवे के प्रशिक्षण केंद्रों में लोको रनिंग स्टाफ को अब तक यही सिखाया, पढ़ाया और बताया जा रहा है कि लोको का आरएस वाल्व यानि इमरजेंसी ब्रेक वाल्व किसी भी परिस्थिति में फेल नहीं हो सकता, क्योंकि यह सीधा बीपी ट्रेन पाइप से जुड़ा होता है और इसकी लाइन में कोई आइसोलेटिंग कॉक भी नहीं लगा होता है।
लेकिन लोको संख्या 32010, डब्ल्यूएजी-9 एच/डीडीयू (नोर ब्रेक) पर बीजेयू क्रू द्वारा जब दिनांक 07.08.2022 को डाउन केएनई में कार्य किया जा रहा था, तब बखरी स्टेशन प्रवेश के दौरान ए-9 से एफएस और फिर इमरजेंसी ब्रेकिंग के बाद भी बीपी प्रेशर ड्रॉप नहीं हुआ, यानि गाड़ी में ब्रेक नहीं लग रही थी, फिर एएलपी ने आरएस इमरजेंसी वाल्व खोला, फिर भी ब्रेक बीपी प्रेशर ड्राप नहीं हुआ।
अब स्थिति यह थी कि सामने स्टार्टर सिग्नल रेड था, लोको पायलट (एलपी) वॉकी-टॉकी से स्टेशन मास्टर को स्टार्टर ऑफ करने और अपने गार्ड को पीछे से प्रेशर ड्रॉप करने के लिए चिल्लाया। साथ ही एसए-9 लगाया। स्टेशन मास्टर ने तत्परता दिखाते हुए स्टार्टर सिग्नल ग्रीन कर स्पेड बचाया और गाड़ी स्टार्टर से कुछ मीटर आगे जाकर गार्ड के द्वारा बीपी प्रेशर ड्रॉप करने तथा एसए-9 के प्रयोग से रुकी।
इस मामले की जांच, बीजेयू शेड, डीडीयू शेड, आरडीएसओ की टीम, सीएंडडब्ल्यू की टीम, नोर ब्रेक कंपनी के इंजीनियर इत्यादि ने मिलकर न जाने कितनी जांच किया, पर नतीजा शून्य ही रहा। रेलवे के लोकोमोटिव एक्सपर्ट कह रहे हैं, लोको बिल्कुल ठीक है। सीएंडडब्ल्यू के एक्सपर्ट कह रहे हैं, मेरा वैगन पूरी तरह ठीक है। नोर ब्रेक कंपनी वाले इंजीनियर बोले, मेरा भी ब्रेक सिस्टम ठीक है।
अब जांच कमेटी तत्काल इस नतीजे पर पहुंची कि लोको के ब्रेक सिस्टम में गड़बड़ी के कारण ए-9 फेल हुआ और लोड में 33% बीएमबीएस फिटेड बीसीएन रहने के कारण भी ऐसा हुआ हो सकता है। लोको और उस लोड को अभी भी दो माह तक ‘क्लोज ऑब्जर्वेशन’ में रखकर चलाने को कहा गया है।
लेकिन असली बात जो है, वह यह कि इस केस में संभावना के आधार पर असिस्टेंट लोको पायलट (एएलपी) को निलंबित कर मेजर पेनाल्टी चार्जशीट (एसएफ-5) दी गई है कि शायद उसने या तो आरएस वाल्व का प्रयोग नहीं किया या किया भी तो ससमय यानि उचित समय पर नहीं किया गया, जबकि इस आरोप का पुष्ट प्रमाण जांच में नहीं मिला है, और जांच कमिटी ने एलपी/एएलपी को जिम्मेवार माना भी नहीं है, लेकिन फिर भी एलपी/एएलपी पर ‘मिस्लीडिंग’ का आरोप है। बहरहाल, अब आगे की जांच से स्थिति बिल्कुल स्पष्ट हो जाएगी।
लेकिन अब इस अध्याय, जिसमें आरएस वाल्व, पार्ट-2 की कहानी आती है, जो आज सुबह बीजेयू यार्ड में ही और बीजेयू लोको शेड का ही लोको नं. 32441 डब्ल्यूएजी-9 में हुआ है। इसका चार्ज लेकर जब एएलपी ने आरएस इमरजेंसी को ऑपरेट कर चेक किया तो जरा सा भी बीपी प्रेशर ड्रॉप नहीं हुआ। कई सीएलआई आए, बीजेयू शेड से टेक्नीशियन भी आए।
इन सब लोगों ने चेक करके देखा तो आरएस वाल्व इमरजेंसी को फेल्योर घोषित किया और अब यह बेचारा लोको फेल होकर बीजेयू स्टेशन लोको लाइन में, यानि मोर्चरी में खड़ा रखा गया है। इसका वीडियो नीचे ट्विटर लिंक पर जाकर देखा जा सकता है।
अब कोई बताए कि ईश्वर के समान सत्यनिष्ठ, कर्तव्यनिष्ठ समझा जाने वाला आरएस वाल्व कैसे झूठा हो गया? कैसे फेल हो गया? तो भईया, ये इंडिया है, यहां कुछ भी संभव है, और कुछ भी हो सकता है, बलि का बकरा तो एलपी/एएलपी बनता है, और अब सीएलआई को भी बनाया जा रहा है। यहां कथित लोको एक्सपर्ट्स अधिकारियों का कोई दोष नहीं माना जाता, क्योंकि वह तो ईश्वर के समान ही सत्यनिष्ठ और कर्तव्यनिष्ठ माने जाते हैं!
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