वैक्सीनेशन: जीएम/डीआरएम को नहीं दिया महाराष्ट्र सरकार से कोई रिस्पांस

Central Railway Head Quarters, Chhatrapati Shivaji Terminus, Mumbai.

जीएम/मध्य एवं पश्चिम रेलवे आलोक कंसल और डीआरएम, मुंबई मंडल शलभ गोयल ने सभी रेल कर्मियों को फ्रंटलाइन वर्कर मानकर वैक्सीन की उचित आपूर्ति सुनिश्चित करने की महाराष्ट्र सरकार से मांग की है।

मुंबई और महाराष्ट्र के दायरे में कार्यरत रेलकर्मियों के अर्जेंट वैक्सीनेशन और उन्हें वैक्सीनेशन में प्राथमिकता देने के लिए जीएम/मध्य रेलवे की तरफ से 17-18 मई के आसपास मुख्य सचिव महाराष्ट्र सरकार को एक पत्र लिखा गया था। ऐसा ही एक पत्र जीएम/पश्चिम रेलवे की तरफ से भी लिखा गया था। परंतु अब तक महाराष्ट्र सरकार की तरफ से दोनों जोनल रेलों के महाप्रबंधकों को कोई जवाब या रिस्पॉन्स नहीं मिला है।

डीआरएम/मुंबई मंडल, मध्य रेलवे शलभ गोयल ने 12 मई को डॉ प्रदीप व्यास, प्रिंसिपल सेक्रेटरी, पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट, महाराष्ट्र सरकार को पत्र लिखकर मुंबई मंडल के सभी रेल कर्मियों को फ्रंटलाइन वर्कर्स मानकर उनके वैक्सीनेशन की अर्जेंट आवश्यकता जताई है।

मुंबई मंडल, मध्य रेलवे में अब तक 9000 कर्मचारियों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है, लेकिन अब तक किसी को केवल पहला डोज लग पाया है तो किसी को दोनों डोज लगे हैं, परंतु वैक्सीन की किल्लत लगातार बनी हुई है!

उन्होंने राज्य सरकार को लिखे गए पत्र में कहा है कि महाराष्ट्र में अब भी कोरोना के मामले ज्यादा हैं और ऐसे में ड्यूटी के दौरान ज्यादा लोगों के संपर्क में आने से रेल कर्मियों को अधिक संक्रमण होने का खतरा बना हुआ है। ऐसे में सभी रेल कर्मचारियों को फ्रंटलाइन वर्कर्स मानकर उन्हें वैक्सीनेशन में प्राथमिकता दी जाए।

उल्लेखनीय है कि उड़ीसा और केरल सरकार रेल कर्मियों को फ्रंटलाइन वर्कर्स घोषित कर चुकी हैं। इसी आधार पर जीएम मध्य एवं पश्चिम रेलवे की तरफ से भी महाराष्ट्र सरकार से यह मांग की गई है।

मध्य रेलवे में कुल करीब एक लाख कर्मचारी हैं, जबकि मुंबई मंडल में 32 हजार कर्मचारी कार्यरत हैं। इसके अलावा उनके परिजन तथा सेवानिवृत्त कर्मचारियों की संख्या भी काफी है।

रेलवे अपने स्तर पर अलग-अलग जगहों पर वैक्सीनेशन सेंटर खोलकर करीब 51% कर्मचारियों का वैक्सीनेशन कर चुकी है, लेकिन अब तक किसी को केवल पहला डोज लग पाया है, तो किसी को दोनों डोज लगे हैं।

मध्य रेलवे, मुंबई मंडल में अब तक 9000 कर्मचारियों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। वैक्सीन की किल्लत लगातार बनी हुई है। लगातार यात्रियों के संपर्क में आने से रेलकर्मी काफी ज्यादा संख्या में संक्रमित हो रहे हैं, जिससे उनके परिजन भी अछूते नहीं रह पा रहे हैं।

रेलवे द्वारा महाराष्ट्र सरकार को पत्र लिखने की मुख्य वजह यही है कि अगर रेलकर्मियों को फ्रंटलाइन वर्कर्स घोषित कर दिया जाता है, तो उन्हें वैक्सीनेशन में प्राथमिकता मिल सकती है।

रेलकर्मी 24 घंटे काम कर रहे हैं, इसलिए पब्लिक के संपर्क में ज्यादा आने से उन्हें संक्रमण का खतरा ज्यादा है। इसलिए रेलवे ने महाराष्ट्र सरकार से निवेदन किया है कि रेलकर्मियों को फ्रंटलाइन वर्कर्स घोषित किया जाए और उन्हें वैक्सीनेशन में प्राथमिकता दी जाए।

प्राप्त जानकारी के अनुसार दोनों जोनल रेलों – मध्य एवं पश्चिम रेलवे – को अब तक महाराष्ट्र सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला है।

एक तरफ महाराष्ट्र में वैक्सीन आपूर्ति की लगातार कमी बनी हुई है, यह कारण प्रत्यक्ष तो है ही, परंतु राज्य सरकारों द्वारा जोनल महाप्रबंधकों को तनिक भी तवज्जो नहीं दिए जाने का एक प्रमुख कारण यह भी है कि केंद्र सरकार, रेल मंत्रालय ने जोनल महाप्रबंधकों का राज्य सरकारों के मुख्य सचिवों से ऊपर का अपग्रेडेशन नहीं दिया है। इसलिए उन्हें राज्यों के सचिव स्तर के अधिकारी भी कोई तवज्जो नहीं देते हैं।

उल्लेखनीय है कि करीब दो साल पहले रेलमंत्री ने संसद में यह घोषणा की थी कि रेलवे बोर्ड सहित राज्यों के साथ उचित समन्वय स्थापित करने के लिए जोनल महाप्रबंधकों को बोर्ड मेंबर (सेक्रेटरी, भारत सरकार) के स्तर का अपग्रेडेशन दिया जाएगा। परंतु उनकी इस घोषणा पर अब तक जमीनी तौर पर अमल सुनिश्चित नहीं हो पाया है।

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