November 24, 2020

रेलवे पर बोझ है कल्याण का मंडल अस्पताल

Central Railway Divisional Hospital, Kalyan

डॉक्टर उपलब्ध नहीं, दवाएं उपलब्ध नहीं, सीएमएस किसी की सुनता नहीं, आखिर रेलकर्मियों की यह दुर्दशा क्यों?

मध्य रेलवे, मुंबई मंडल के कल्याण स्थित मंडल अस्पताल, सफेद हाथी तो पहले से ही था, अब यह रेल प्रशासन के लिए भी एक भारी बोझ बन गया है। इसकी प्रशासनिक व्यवस्था में लगातार गिरावट आती जा रही है।

भारतीय रेल के सबसे ज्यादा कर्मचारियों वाला मंडल होने के बावजूद मुंबई मंडल के इस अस्पताल में घोर अव्यवस्था की स्थिति है।

अस्पताल में डॉक्टरों की कमी इस हद तक है कि यदि ओपीडी चालू है, तो ऑपरेशन थिएटर (ओटी) बंद रहता है। ओपीडी में भी एकाध डॉक्टर ही उपलब्ध होता है।

दो डॉक्टर बहुत लंबे समय से अनुपस्थित हैं। एक डॉक्टर अपने सीनियर्स की हरकतों से परेशान होकर इस्तीफा देकर चले गए हैं। एक डॉक्टर स्टडी लीव पर चले गए हैं। एक डॉक्टर का कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो चुका है। एक लेडी डॉक्टर मेटरनिटी लीव पर है।

कल्याण का एक डॉक्टर भायखला में काम कर रहा है। लोनावाला के डॉक्टर को दूसरे डिवीजन (पुणे) में काम करने के लिए भेजा हुआ है।

यह तो वही किस्सा हो गया कि खुद भूखे बैठे हुए हैं, मगर दूसरों का पेट पाल रहे हैं। इसके अलावा कल्याण अस्पताल में एक्स-रे टेक्नीशियन नहीं है। एक था जो, उसे भी अन्यत्र भेज दिया गया है।

अब लोनावाला हेल्थ यूनिट संभालने के लिए कल्याण से एक डॉक्टर भेजा गया है। परेल-माटुंगा में एक-एक डॉक्टर की कमी है।

पनवेल और सीएसएमटी हेल्थ यूनिट में डॉक्टर ही नहीं है। इन सभी हेल्थ यूनिटों को भी कल्याण से ही डॉक्टर भेजकर मैनेज करना पड़ रहा है।

उल्लेखनीय है कि मध्य रेलवे, मुंबई मंडल में अनेकों डिस्पेंसरी कार्यरत हैं, जो कि कल्याण के मंडल अस्पताल से ही मैनेज की जाती हैं।

RailSamachar has received an social media post, which is as under, and also self explanatory

As on date, the following doctors are not available for regular duties at DRH KYN – 1. Dr Vaishali – absent, 2. Dr Darshana – absent (both absent for a long time), 3. Dr Vimlesh Mishra – resigned, 4. Dr Shan – study leave, 5. Dr Amit – contract ended, 6. Dr Shailaja – on maternity leave, 7. Dr Shoaib – working at Dr. BAMH/BY., 8. One doctor night off, 9. One doctor evening and night on, 10. If Operation is there – 2 to 3 more doctors at OT, 11. Two doctors for administration exclusively.

Thereafter leaves, relieving duties are there.In this situation, it is very difficult to run regular OPD and OT.

If no doctor is posted, at least Dr Nilesh ADMO/LNL and Dr Shoaib ADMO/KYN should be brought back to their real working places at LNL & KYN).

Hospital administration should talk with PCMD, DRM otherwise the system will break down and it can not be continued for a long period.

OPD has employee, family, RELHS, Flu four different sections. Even occasionally only 4 doctors at OPD without anyone for operation.

Not only above facts, PNVL and CSMT HUs – no doctor is available and daily reliever is sent from KYN, CLA, TNA, KLVA as per position, PR, MTN HUs deficient of one doctor each.

कर्मचारी कहते हैं कि “वर्तमान पीसीएमडी/म.रे. किस स्वभाव के व्यक्ति हैं, यह किसी को भी अब तक समझ में नहीं आया है। वह केवल रेलवे से वेतन लेने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं, बाकी पद की जिम्मेदारी के अनुरूप कोई भी कार्य, जब से वह झांसी से यहां आए हैं, कभी नहीं किया।”

मंडल रेल अस्पताल, कल्याण के सीएमएस के सनकी मिजाज को देखते हुए कोई कर्मचारी उनके पास जाना नहीं चाहता, क्योंकि उनसे बात करने जाना कर्मचारियों को अपना समय बर्बाद करना लगता है और उनके व्यवहार से उन्हें अपनी बेज्जती महसूस होती है।

जबकि कल्याण अस्पताल की एसीएमएस सर्वज्ञ हैं। वह कर्मचारी की बात पूरी होने से पहले ही अपना निर्णय सुना देती हैं। वह अपनी मर्जी से अपना निर्णय लेती हैं, उनको किसी से पूछने-पछोरने की जरूरत नहीं रहती।

कल्याण के मंडल अस्पताल में दो डॉक्टर तो केवल प्रशासनिक कार्य के नाम पर ही स्पेयर हो जाते हैं। यह दोनों डॉक्टर मरीजों को नहीं देखते। एक डॉक्टर नाइट करके जाते हैं, इसीलिए उपलब्ध नहीं रहते।

एक-एक डॉक्टर इवनिंग और नाइट के लिए रहते हैं। दो से तीन डॉक्टरों की जरूरत प्रतिदिन ओटी में होती है। जब से कोविड की शुरुआत हुई है, तब से यहां का अधिकांश सिस्टम कोविड में ही व्यस्त है।

ओपीडी में लोग भटकते रहते हैं। किसी भी डॉक्टर को ओपीडी में बैठा दिया जाता है। मरीजों की धक्का-मुक्की करती लाइन इस तरह रहती है कि कल्याण अस्पताल में सोशल डिस्टेंसिंग मेनटेन होना संभव ही नहीं होता।

इस सबके बावजूद मरीजों की न तो देखभाल हो पा रही है, और न ही उनको दवाएं उपलब्ध हो रही हैं। कर्मचारी बताते हैं कि अनेकों जीवनोपयोगी दवाएं महीनों से इस मंडल अस्पताल में उपलब्ध नहीं हैं।

मरीजों को न तो लोकल पर्चेज (एलपी) करके दवाएं दी जा रही हैं, और न ही सीएमएस के मिजाज को देखते हुए अस्पताल का कोई डॉक्टर एलपी करने के लिए लिखकर देने को तैयार होता है।

ऐसे में अधिकांश कर्मचारी अपनी जान बचाने के लिए बाहर के डॉक्टरों का सहारा ले रहे हैं। बाजार से दवाएं खरीद रहे हैं।

मरीजों के लिए बेहद जरूरी दवाएं उपलब्ध न होना, डॉक्टरों का उपलब्ध न होना, तब यह सफेद हाथी खड़ा रखने का औचित्य क्या है? यह पूछ रहे हैं तमाम रेलकर्मी, परंतु उन्हें कहीं से भी संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा है।

बताते हैं कि अस्पताल प्रशासन (सीएमएस/एसीएमएस) द्वारा जूनियर डॉक्टर इस कदर बेइज्जत किए जाते हैं कि उनकी सहनशक्ति खत्म हो जाती है और वे यहां से भाग खड़े होते हैं। डॉ विमलेश मिश्रा आखिर इसी कारण तो इस्तीफा देकर चले गए।

तारीफ की बात यह है कि 118 बिस्तरों वाला यह भारी-भरकम अस्पताल तमाम मेडिकल गाइडलाइंस को ताक पर रखकर बिना किसी फिजीशियन के ही चल रहा है। इससे बड़ा दुर्भाग्य रेलकर्मियों के लिए और क्या हो सकता है?

भायखला स्थित मध्य रेलवे के जोनल अस्पताल में चूंकि एचओडी और पीएचओडी का इलाज होता है, इसलिए वहां हर फैकल्टी के कई-कई डॉक्टर उपलब्ध हैं। इसके साथ ही वहां इंटर्नशिप वाले डॉक्टर भी उपलब्ध रहते हैं। परंतु कल्याण हॉस्पिटल इन सभी अभावों में कैसे चल रहा है, यह किसी भी समझ में नहीं आ रहा है।

वास्तव में कल्याण का मंडल रेल अस्पताल, अस्पताल होने की जिम्मेदारी ही नहीं निभा पा रहा है। रेल प्रशासन द्वारा अपने रेलकर्मियों तथा उनके परिवारों की इस तरह की अनदेखी करना, डॉक्टरों की कमी पर संज्ञान न लेना बेहद क्रूरता को दर्शाता है।

महामारी के इस कठिन समय में जबकि कोविड से पूरी दुनिया त्राहि-त्राहि कर रही है, तब इस अस्पताल में न तो डॉक्टर हैं, और न ही जीवनोपयोगी दवाएं उपलब्ध हो रही हैं। रेलवे के करोड़ों रुपए व्यर्थ बर्बाद किए जा रहे हैं।

रेल प्रशासन से उम्मीद की जाती है कि वह उपरोक्त तथ्यों पर अविलंब ध्यान देकर और त्वरित कार्यवाही करके अपने कर्मचारियों तथा उनके परिजनों की जान बचाने का प्रयास करे!

प्रस्तुति : सुरेश त्रिपाठी

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