महाप्रबंधक/मध्य रेल की कड़ाई से रेल मंत्रालय एक बड़े सिरदर्द से बचा
#Editorial Comment: 6 जून की शाम को सैकड़ों SOS मैसेज मिले, जिनमें मध्य रेलवे के सोलापुर और पुणे डिवीजन के कई ट्रैकमैनों ने लिखा कि उनके सहायक लोको पायलट (#ALP) के पैनल को मुख्य ट्रैक इंजीनियर (#CTE) ने रोक दिया है। जब हमने मध्य रेल के महाप्रबंधक धरमवीर मीणा को संपर्क स्थापित करने का प्रयास किया, तो पता चला कि वे भुसावल में #ZRTI के इंस्पेक्शन में हैं। सोचा कि उनके मुंबई में आने पर बात की जाए, क्योंकि काफी रात हो गई थी और SPIC इत्यादि में होने पर फोन से ध्यान बंट जाता है।
लेकिन थोड़ी देर में ही फिर अपडेट मिली और पता चला कि महाप्रबंधक श्री मीणा ने इंस्पेक्शन के दौरान भुसावल से ही इन सब ट्रैकमैनों को यथाशीघ्र रिलीज करने और ट्रेनिंग में भेजने का स्पष्ट आदेश प्रिंसिपल चीफ इंजीनियर (#PCE) को दिया है।
पता चला कि चूँकि स्थानीय स्तर पर ये मामला बहुत आंदोलित हो गया था, तो जीएम के इंस्पेक्शन के दौरान ही मंडल के अधिकारियों और यूनियनों के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने सीधे महाप्रबंधक को स्थिति से अवगत करवाया। यह भी बताया गया कि यूनियन पदाधिकारियों को मुख्यालय के इंजीनियरिंग अधिकारियों ने तो दोपहर तीन बजे ही स्पष्ट कर दिया था कि ट्रैकमैनों को रिलीज नहीं किया जाएगा।
जीएम/म.रे. धरमवीर मीणा के सरल स्वभाव को हमने सभी के लिए हमेशा अनुकरणीय माना है। ये पता चला कि उन्हें इस बात का भान था कि ट्रैकमैनों को इस परीक्षा में भाग लेने की विशेष अनुमति रेलवे बोर्ड से ली गई थी, अन्यथा ट्रैकमैन ALP की GDCE के लिए एलिजिबल नहीं होते। ट्रैकमैनों को उनकी पूरी सर्विस में मिलने वाला यह एकमात्र मौका था, जो कि उनके जीवन स्तर को सुधारने वाला था।
यह भी पता चला कि 6 जून की शाम को लगभग 6 बजे सीटीई—जिन्होंने अब तक की अपनी पूरी सर्विस मुंबई में ही की है, और अब कोंकण रेलवे—मुंबई में ही—में प्रतिनियुक्ति पर जाने का प्लान कर लिया है, ने पत्र लिखकर कह दिया कि ट्रैकमैन रिलीज नहीं होंगे। वहीं, जब महाप्रबंधक ने इस विषय का संज्ञान लिया, तो उन्होंने अपने उक्त आदेश को मात्र तीन घंटे बाद ही निरस्त कर दिया।
उल्लेखनीय है कि इस चयन परीक्षा का नोटिफिकेशन मई 2024 में जारी किया गया था, जबकि इंजीनियरिंग विभाग की नई यार्ड स्टिक जुलाई 2024 में रेलवे बोर्ड ने जारी की थी। प्रश्न यह है कि यदि ट्रैकमैनों को रिलीज नहीं किया जा सकता था, तो साल भर इंजीनियरिंग विभाग अर्थात सीटीई क्या करते रहे? पहले ही क्यों नहीं मना कर दिया था? रिलीज करने से मात्र 72 घंटे पहले क्यों मना किया? वह भी वैकेंसी के गलत आँकड़े देकर?
प्रश्न यह भी है कि इस सब के पीछे सेल्फ-सेंटर्ड सीटीई की मंशा क्या थी? डीआरएम/सोलापुर द्वारा पीसीपीओ/म.रे. को लिखे पत्र में मंडल की वैकेंसी पोजीशन स्पष्ट है, जबकि सीटीई द्वारा अपने पत्र में वैकेंसी प्रतिशत को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया गया। ज्ञातव्य है कि वैकेंसी प्रतिशत बुक ऑफ सैंक्शन और मैन ऑन रोल से निकाला जाता है-जो मंडल और यूनियन पदाधिकारियों का मत था। बात यह भी थी कि बोर्ड की नई गाइडलाइन (यार्ड स्टिक) पर एक साल—जुलाई 2024–से अब तक इंजीनियरिंग विभाग ने कोई निर्णय नहीं लिया—उसे लागू नहीं किया—जबकि सभी मंडलों में बहुत अधिक मात्रा में आउटसोर्सिंग चल रही है, जिसे मुख्यालय भी बढ़ावा दे रहा है।
चयन परीक्षा का नोटिफिकेशन एक साल पहले—मई 2024 में—आ गया था—एक साल कोई आपत्ति न कर—मात्र तीन दिन पहले प्रक्रिया को रोकना उन सैकड़ों लेवल-वन के कर्मचारियों के मनोबल और उम्मीद को तोड़ गया। यह आशंका तुरंत पैदा हो गई कि मध्य रेल एक क़ानूनी लड़ाई में फँसने जा रही है। याद रहे कि नेता प्रतिपक्ष—लोको पायलट और ट्रैकमैन—दोनों के साथ संपर्क स्थापित कर चुके हैं, यह मध्य रेल में एक कुंठित अधिकारी (सीटीई) द्वारा की गई खुराफात रेल मंत्रालय के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन जाती।
सीटीई के पद पर आसीन अधिकारी ने केवल अपनी सुख-सुविधा और वैभव को हमेशा आगे रखा, उसके सामने ट्रैकमैनों की विवशता और उन्हें मिले एकमात्र अवसर का कोई मोल नहीं था, जिसे रेल मंत्रालय ने बड़ी हील-हुज्जत के बाद दिया था। इस पूरे प्रकरण में मानवीय पहलू बहुत महत्वपूर्ण है—रविवार सुबह सोलापुर स्टेशन पर इनके उत्साह और भावनाओं को प्रकट होते देखा। सभी के चेहरों पर भारी चमक और खुशी झलक रही थी। यूनियन पदाधिकारियों ने महाप्रबंधक के इस निर्णय को साधुवाद दिया। मंडल रेल प्रबंधक/सोलापुर के साथ सभी ब्रांच अधिकारियों ने इन सभी ट्रैकमैनों को एक विशेष कोच में बैठाकर ससम्मान प्रशिक्षण के लिए भुसावल रवाना किया।
जैसे उत्साहित संदेश हमें मिले, उससे बहुत संतोष मिला कि आज भी कुछ अधिकारियों में मानवीय मूल्यों और भावनाओं के प्रति आदर भाव जीवित है। ये वह रेल व्यवस्था और नेतृत्व है, जो स्टाफ को हमेशा विश्वास दिलाएगा कि अंतिम पायदान पर सर्दी-गर्मी-बरसात में काम करता रेल कर्मचारी हमेशा उनके मानस पटल पर है। इसी भावना के साथ रेल सुरक्षित और पंक्चुअल बनेगी। एक ओर जहाँ पूर्वोत्तर रेलवे के जैसे जीएम इंस्पेक्शन पर नहीं निकलते, यदि निकलते भी हैं, तो पश्चिम रेलवे और पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के जीएम की तरह सैर-सपाटे के लिए, वहीं आज भी धरमवीर मीणा जैसे अधिकारी हैं, जो इंस्पेक्शन में गैंग हट में बैठकर मीटिंग कर लेते हैं और उन गैंग हट में रहने वाले ट्रैकमैनों को मिले प्रगति करने के अवसरों को रेलवे के प्रशासनिक आतंकवाद से आगे बढ़कर बचाते भी हैं। -संपादक
मध्य रेल, सोलापुर मंडल ने हासिल की एएलपी पदोन्नति में ऐतिहासिक उपलब्धि – रेल संरक्षा को बढ़ावा
मध्य रेल, सोलापुर मंडल ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए 7वें केंद्रीय वेतन आयोग के तहत लेवल-1 के 220 कर्मचारियों को सहायक लोको पायलट (#ALP) बनकर करियर की सीढ़ी पर आगे बढ़ने में सफलतापूर्वक सक्षम बनाया है।
विभागीय पदोन्नति में यह असाधारण परिणाम रेलवे बोर्ड द्वारा दी गई एकमुश्त विशेष छूट के माध्यम से संभव हुआ, जिसका सोलापुर मंडल प्रमुख लाभार्थी रहा है और जो सोलापुर मंडल के अनुरोध पर मध्य रेल मुख्यालय से एक सक्रिय प्रस्ताव के बाद साकार हुआ। परंपरागत रूप से, इलेक्ट्रिक लोको शेड में काम करने वाले कर्मचारी विभागीय एएलपी पदों के लिए पात्र होते हैं। हालांकि, सोलापुर मंडल की अनूठी स्थिति यह है कि उसके पास इलेक्ट्रिक लोको शेड नहीं है, और रेल मंत्रालय द्वारा एक असाधारण नीति के तहत इस विशेष छूट की अनुमति दी गई, जिससे लेवल-1 कर्मचारियों—जिसमें ट्रैक मेंटेनर, पॉइंट्समैन, तकनीशियन और यहां तक कि जनरल असिस्टेंट भी शामिल हैं—को आवेदन करने की अनुमति मिली।
यह पहल व्यक्तिगत करियर विकास से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। यह लोको क्रू कैडर में महत्वपूर्ण रिक्तियों को भी संबोधित करती है, जो सीधे मंडल और जोन में ट्रेनों के सुरक्षित और कुशल परिचालन को बढ़ाती है।
लिखित परीक्षा, कड़े ए-1-श्रेणी की मेडिकल फिटनेस, मूल्यांकन और एक योग्यता (मनोवैज्ञानिक) परीक्षण सहित कठोर चयन प्रक्रिया के बाद, 220 सफल उम्मीदवारों का अंतिम पैनल बनाया गया। इनमें से:
- 185 उम्मीदवार सोलापुर मंडल के तहत काम करेंगे
- 35 उम्मीदवार पुणे मंडल के तहत होंगे
सोलापुर मंडल के 185 उम्मीदवार विभिन्न विभागों का प्रतिनिधित्व करते हैं:
- सिविल इंजीनियरिंग : 105
- ऑपरेटिंग : 40
- ट्रैक मशीन : 23
- निर्माण : 2
- कैरिज और वैगन (सीएंडडब्ल्यू): 5
- इलेक्ट्रिकल : 5
- सिग्नल एंड टेलीकॉम (एसएंडटी) : 5
इनकी नई भूमिकाओं के लिए इन्हें तैयार करने हेतु, इन कर्मचारियों को जोनल रेलवे ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (#ZRTI), भुसावल में 122 दिनों का गहन प्रारंभिक प्रशिक्षण दिया जाएगा।
8 जून 2025 को उत्साह और उल्लासपूर्ण तथा भावनात्मक क्षणों में, सफल उम्मीदवारों को आधिकारिक तौर पर उनके पिछले कर्तव्यों से मुक्त कर दिया गया। एक विशेष नामित कोच में उन्हें पुणे के रास्ते भुसावल भेजा गया, जो उनके रेल करियर में एक नई यात्रा की शुरुआत है। सोलापुर रेलवे स्टेशन पर, मंडल रेल प्रबंधक/सोलापुर सहित सभी ब्रांच अधिकारियों, गौरवान्वित सहयोगियों और सभी यूनियनों की उपस्थिति में एक भावपूर्ण विदाई समारोह का आयोजन किया गया।
डीआरएम/सोलापुर मंडल ने इस अवसर पर उन्हें अपनी शुभकामनाएँ दीं और मार्गदर्शन किया। उन्होंने नए प्रशिक्षुओं से प्रशिक्षण के दौरान गहन व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त करने, संरक्षा को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में बनाए रखने तथा अपनी गरिमा, परिश्रम और ईमानदारी के साथ भारतीय रेल की सेवा करने का आग्रह किया।
यह क्षण न केवल सोलापुर मंडल के लिए एक उत्सव जैसा रहा, बल्कि भारतीय रेल के भीतर नीति नवाचार, समावेशिता और कैरियर उन्नति का एक मॉडल भी बन गया है।