यात्री सुविधा समिति के सदस्यों द्वारा पहली बार कल्याण जंक्शन का निरीक्षण

समिति के समक्ष खुली कथित ए-1 श्रेणी के कल्याण जं. की असलियत की पोल

समिति के सामने डीआरयूसीसी, जेडआरयूसीसी सदस्यों ने उजागर की कई कमियां

वेतन न मिलने से ठेका-सफाई कर्मियों की हड़ताल, स्टेशन पर चौतरफा मिली गंदगी

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कल्याण : रेलवे बोर्ड की यात्री सुविधा समिति (पीएसी) के मुख्य सदस्य डॉ. अशोक त्रिपाठी और इरफान अहमद ने बुधवार, 15 फरवरी को मुंबई मंडल, मध्य रेलवे के प्रमुख द्वार कल्याण जंक्शन का गहन निरीक्षण किया. इस मौके पर उनके साथ मुंबई मंडल के ओएसडी गोयल, सीनियर डीसीएम डॉ. आलोक बड़कुल, सीनियर डीओएम आर. के. मोदी, सीनियर डीईएन/एनई आर. के. यादव, डीसीएम कनौजिया, एएससी/कल्याण त्रिपाठी, आईपीएफ/कल्याण माने, स्टेशन प्रबंधक बी. के. दास, जेडआरयूसीसी सदस्य कंचन खरे, स्थानीय प्रतिनिधि संतोष सिंह सहित सभी संबंधित अधिकारी और कर्मचारीगण उपस्थित थे.

पीएसी सदस्य डॉ. अशोक त्रिपाठी एवं इरफान अहमद ने करीब 11.45 बजे लोकल ट्रेन से कल्याण स्टेशन पहुंचते ही देखा कि पूरा स्टेशन गंदा पड़ा हुआ है. उनके पूछने पर स्टेशन प्रबंधक श्री दास ने बताया कि सफाई ठेकेदार द्वारा वेतन भुगतान नहीं किए जाने से ठेका सफाई कर्मियों ने काम बंद कर दिया है. डॉ. त्रिपाठी ने मिलने आए सभी ठेका सफाई कर्मियों से उनके ठेकेदार को बुलाने के लिए कहा. परंतु बुलाए जाने के बावजूद काफी समय तक सफाई ठेकेदार तो नहीं आया, मगर ठेका सफाई कर्मी उन्हें स्थाई नियुक्ति का झांसा देने वाले एक अन्य व्यक्ति को बुला लाए, जो कि सदस्यों के साथ ठेका सफाई कर्मियों को रेलवे द्वारा स्थाई कर्मचारी का दर्जा दिए जाने की बात करने लगा. डॉ. त्रिपाठी ने यह कहकर उससे बात करने से मना कर दिया कि रेलवे ने ठेकेदार को स्टेशन की सफाई ठेका दिया, यह सभी ठेकेदार के आदमी हैं, रेलवे ठेकेदार को समय से भुगतान कर रहा है. इसमें यदि कहीं कोई गड़बड़ी है, तो वह इसमें सुधार करने के लिए रेलवे के अधिकारियों से कहेंगे.

इसके बाद दोनों पीएसी सदस्यों ने प्लेटफार्म नं. 6-7 से निरीक्षण की शुरुआत की. उन्होंने खानपान स्टाल पर चौतरफा लटके पैकेटों पर ऐतराज जताया और स्टाल पर कार्यरत कर्मियों के मेडिकल आदि की जांच भी की. प्लेटफार्म पर पंखों की कमी को इंगित किया. जगह-जगह टूटी हुई प्लेटफार्म सतह को सुधारने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया और सीएसटी एंड पर यात्रियों के लिए टॉयलेट बनाए जाने हेतु कहा. इस बारे में जेडआरयूसीसी सदस्य कंचन खरे ने सदस्यों को पब्लिक टॉयलेट की जरुरत के बारे में बताया.

इसके बाद दोनों सदस्यों ने सभी अधिकारियों के साथ प्लेटफार्म नं.4-5 का निरीक्षण किया. सीएसटी एंड से शुरू हुए इस निरीक्षण में सदस्यों ने देखा कि वहां सामान्य कोच में चढ़ने के लिए लाइन में लगे यात्रियों के लिए पीने के पानी और बैठने तक की कोई सुविधा नहीं है. उन्होंने लाइन में लगे यात्रियों से बात की. हालांकि संकोच में यात्रियों ने स्पष्ट तो कुछ नहीं कहा, मगर यह जरुर बताया कि उन्हें पानी लेने के लिए या तो स्टाल पर जाना पड़ता है, या फिर वेतन वितरण कार्यालय के पास बने प्याऊ से पानी पीना पड़ता है. सदस्यों ने देखा कि कई उम्रदराज महिलाएं भी छोटे-छोटे बच्चों के साथ लाइन में लगी थीं. उन्होंने उपस्थित अधिकारियों को मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए उनकी सुविधा के लिए कुछ बेहतर करने का निर्देश दिया.

पीएसी सदस्य इरफान अहमद की पैनी नजर से सीओपी पोल के साथ बने बैठके की उखड़ी हुई ग्रेनाइट टाइल नहीं बच सकी. उस उखड़ी हुई टाइल पर बैठी महिला यात्री को उन्होंने साइड में हटाकर उसे उपस्थित अधिकारियों को दिखाया और उसके नीच का पत्थर हटाकर उसमें चूहों के निवास और उनके खाने का समान (कचरा) भी दर्शाकर अधिकारियों को शर्मशार किया. यहां भी उन्होंने जगह-जगह उखड़े हुए और उबड़-खाबड़ प्लेटफार्म को दिखाकर इस ए-1 श्रेणी के स्टेशन के रखरखाव और इसकी दुर्दशा पर गहरी चिंता व्यक्त की.

उल्लेखनीय है कि कल्याण स्टेशन का प्लेटफार्म 4-5 हमेशा अत्यंत व्यस्त रहने वाला प्लेटफार्म है. इस पर प्रतिदिन लगभग 35-36 जोड़ी मेल/एक्स. गाड़ियों के साथ सैकड़ों लोकल ट्रेनों का भी आना-जाना होता है. इस प्लेटफार्म से लाखों लंबी दूरी के और उपनगरीय यात्री रोजाना अपनी यात्रा करते हैं. इसके बावजूद जहां उक्त प्लेटफार्म पर खानपान स्टालों और खोमचों की भरमार है, वहीं यात्री सुविधा के नाम पर न रेलवे के प्याऊ हैं और न ही टॉयलेट उपलब्ध हैं. इस प्लेटफार्म पर मात्र एक-एक टॉयलेट महिला एवं पुरुष प्रतीक्षालय के अंदर शाहाड़ छोर की तरफ है. सीएसटी एंड पर यात्रियों के लिए ऐसी कोई सुविधा नहीं है. पीने के पानी के लिए पूरे प्लेटफार्म पर यात्रियों को खानपान स्टालों की ओवर चार्जिंग के भरोसे और स्टाल धारकों को मुनाफा कमाने के लिए खुला छोड़ दिया गया है.

कुछ वर्ष पहले यहां जो पब्लिक टॉयलेट था, उसे रेलवे ने बंद करके जीआरपी को सौंप दिया था, जो कि हमेशा बंद रहता है. जन-प्रतिनिधियों का कहना था कि प्लेटफार्म 4-5 के उक्त छोर पर ही लगभग सभी गाड़ियों के सामान्य यात्रियों के साथ ही स्लीपर श्रेणी के भी सभी कोच आते हैं. अतः वहां जीआरपी की गुनाह अन्वेषण शाखा के बजाय पब्लिक टॉयलेट होना ज्यादा आवश्यक है. पीएसी सदस्यों ने तत्काल उपस्थित जीआरपी और रेल अधिकारियों से उक्त स्थान पर यात्रियों की सुविधा के लिए टॉयलेट बनाए जाने का निर्देश दिया. जीआरपी अधिकारी भी इस बात पर सहमत थे कि यदि उन्हें वैकल्पिक जगह मुहैया कराई जाती है, तो वहां शिफ्ट करने में उन्हें कोई परशानी नहीं होगी. उपस्थित रेल अधिकारियों ने भी थोड़ी ना-नुकुर के बाद सदस्यों और जन-प्रतिनिधियों की मांग पर वहां टॉयलेट बनाए जाने पर अपनी सहमति दे दी.

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