सरकारी कर्मचारियों को दिग्भ्रमित कर रही है केंद्र सरकार -डॉ. एम. राघवैया
सरकार द्वारा गलत तरीके से स्वीकार की गईं 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें
एमएसीपी स्कीम के मामले में केंद्रीय कर्मचारियों को गुमराह कर रही है सरकार
डॉ. राघवैया ने कहा कि केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए सातवें केंद्रीय वेतन आयोग द्वारा की गई एमएसीपीएस से संबंधित सिफारिशों को स्वीकार करते समय सरकार 17 जुलाई 2012 को जेसीएम (स्टाफ साइड) के साथ और 27 जुलाई 2012 को नेशनल एडवाइजरी कमेटी की जॉइंट कमेटी के साथ हुए दो समझौतों (एग्रीमेंट्स) की पूरी तरह से अनदेखी कर रही है, जिसमें यह तय किया गया/समझौता हुआ था कि छठवें वेतन आयोग द्वारा सिफारिश किए गए ‘वेरी गुड’ के बेंचमार्क के बजाय पहले से हुई रिक्तियों को सेलेक्शन/नॉन-सेलेक्शन/फिटनेस के समान बेंचमार्क को बरकरार रखते हुए प्रमोशन के माध्यम से भरा जाएगा. इसी के बाद डीओपीटी ने 1 नवंबर 2010 और 4 अक्टूबर 2012 को केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को एमएसीपी दिए जाने के संबंध में उक्त दोनों ऑफिस मेमोरेंडम जारी किए थे.
डॉ. राघवैया ने कहा कि एनएफआईइआर इसका भरपूर विरोध करती है और इस मामले में फेडरेशन ने कैबिनेट सेक्रेटरी को 2 अगस्त एवं 23 अगस्त 2016 को दो पत्र लिखकर पहले ही अवगत करा चुकी है, जिनमें जेसीएम एवं नेशनल एडवाइजरी कमेटी के साथ हुए समझौतों का भी पूरा उल्लेख किया गया था. उन्होंने मांग की है कि 1 नवंबर 2010 और 4 अक्टूबर 2012 को हुए दोनों समझौतों (निर्णयों) को, उनमें बिना किसी प्रकार का फेरबदल किए, पुनर्स्थापित (रिस्टोर) किया जाना चाहिए. डॉ. राघवैया ने उम्मीद जाहिर की है कि सरकार उपरोक्त तमाम बिंदुओं पर गंभीरतापूर्वक विचार करते हुए अपनी गलती को यथासंभव जल्दी से जल्दी सुधारेगी और सरकारी कर्मचारियों के हित में जेसीएम के साथ हुए समझौतों के अनुरूप उपयुक्त दिशा-निर्देश जारी करेगी.