विस्तारित ठाणे स्टेशन : आकार ले रहा है निहितस्वार्थी नेताओं-बिल्डरों का गठजोड़

बिना किसी औपचारिक समझौते के पूर्व महाप्रबंधक/म.रे. ने स्थानीय सांसद को थमाई चिट्ठी

मात्र एक किमी. के अंतर पर स्टेशन बनाने के बजाय कलवा स्टेशन का विस्तार किया जाना चाहिए

नेताओं, बिल्डरों और रेल अधिकारियों की मिलीभगत का दुष्परिणाम है उपनगरीय नेटवर्क का कंजेशन

Advertisements

सुरेश त्रिपाठी

करीब एक दशक बाद एक बार पुनः ठाणे रेलवे स्टेशन के विस्तार की चर्चा शुरू हो गई है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि चार प्लेटफार्म और बढ़ाकर 10 प्लेटफार्म कर दिए जाने के बावजूद ठाणे रेलवे स्टेशन पर लोकल गाड़ियों और यात्रियों की समस्या का पर्याप्त समाधान नहीं हो पाया है. जबकि पिछले करीब एक दशक में इस स्टेशन से चलने वाले यात्रियों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है. वर्तमान में यहां से लगभग साढ़े छह लाख दैनिक उपनगरीय यात्रियों का विभिन्न गंतव्यों के लिए आवागमन होता है और यहां से 700 सेवाएं चलाई जाती हैं, जबकि 79 सेवाएं यहां टर्मिनेट होती हैं. इसके लिए वास्तव में यात्रियों और लोकल गाड़ियों के व्यवस्थित नियोजन की जरूरत है.

अब ठाणे स्टेशन के विस्तार की चर्चा हो रही है. इसके लिए ठाणे महानगरपालिका ने ठाणे मेंटल हॉस्पिटल की जगह प्रस्तावित की है. इस संबंध में पिछले दिनों मध्य रेलवे और ठाणे महानगरपालिका के अधिकारियों के साथ कुछ बैठकें भी हुई हैं. जैसा कि पहले ही कहा जा चुका है कि ठाणे रेलवे स्टेशन के विस्तार की जरूरत है, मगर इसके लिए ठाणे मेंटल हॉस्पिटल की जिस जगह का प्रस्ताव किया जा रहा है, वह कास्तव में रेलवे स्टेशन के लिए माकूल जगह नहीं हो सकती है. स्थानीय निवासियों का कहना है कि ठाणे शहर की उक्त बेहद कीमती जगह पर वास्तव में कुछ नेताओं और बिल्डरों की नजर लगी हुई है, जो कि इस बहाने उक्त जगह को हड़पकर मोटा माल बनाना चाहते हैं. जबकि ऐसे स्टेशन बनाने का कोई भी फायदा रेलवे को नहीं मिला है. कोपर रोड, नाहुर, कांजुरमार्ग आदि तमाम छोटे स्टेशन इस बात का साक्षात् प्रमाण हैं.

फोटो परिचय : स्थानीय सांसद राजन विचारे और ठाणे महानगरपालिका के अधिकारियों के साथ एक औपचारिक बैठक में ठाणे स्टेशन के विस्तार पर चर्चा करते हुए मध्य रेलवे के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी महेश कुमार गुप्ता.

हालांकि ठाणे स्टेशन के विस्तार के लिए मेंटल हॉस्पिटल की जिस जगह का प्रस्ताव किया गया है, रेलवे ने उसे मुफ्त में देने की बात कही है, तभी रेलवे इस मामले में कोई विचार करेगी. इसके अलावा इसके निर्माण में आने वाली कुल लागत की आधी लागत राज्य सरकार अथवा ठाणे महानगरपालिका या पीपीपी मॉडल पर शेयर करने की भी शर्त रेलवे ने रखी है. इस बारे में मध्य रेलवे के पूर्व महाप्रबंधक सुनील कुमार सूद ने 31 मई 2016 को अपनी सेवानिवृत्ति से तीन दिन पहले 27 मई को जो एक चिट्ठी स्थानीय सांसद को लिखी है, उसमें भी लगभग यही सब बातें कही गई हैं. मगर उन्हें यह चिठ्ठी लिखने की इतनी जल्दी क्या थी, इस बारे में सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि इस मामले में अब तक कोई भी ठोस प्रगति नहीं हुई है. जबकि यह पूरी जरूरत राज्य सरकार, ठाणे शहर और महानगरपालिका की अथवा कुछ निहितस्वार्थी नेताओं और बिल्डरों की है, जो कि इस नए रेलवे स्टेशन के बहाने काफी कुछ कमाने वाले हैं. ऐसे में रेलवे को इस प्रोजेक्ट में एक भी पैसा निवेश करने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि रेलवे के हिसाब से ऐसी जगह ऐसा कोई रेलवे स्टेशन नहीं बनाया जा सकता है, जहां खुद रेलवे को ही भारी कंजेशन का सामना करना पड़ेगा. यह कहना है कई रेल अधिकारियों का.

पूर्व महाप्रबंधक सुनील कुमार सूद की चिट्ठी से ही स्पष्ट है कि उसी दिन मध्य रेलवे के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी/निर्माण ने भी रेलवे की तरफ से उक्त सांसद को पत्र लिखकर रेलवे की शर्तों और प्रावधानों के बारे में विस्तार से बता दिया था. ऐसे में श्री सूद को अपनी सेवानिवृत्ति से तीन दिन पहले यह पत्र लिखने की कोई जल्दबाजी अथवा जरूरत नहीं थी, क्योंकि अब तक इस मामले में राज्य सरकार और ठाणे महानगरपालिका की तरफ से जमीन के मुफ्त हस्तांतरण की न तो कोई प्रक्रिया शुरू हुई है, और न ही किसी प्रकार का कोई औपचारिक समझौता ही संपन्न हुआ है. अधिकारियों का भी कहना है कि अभी तक इस प्रोजेक्ट पर कोई खास प्रगति नहीं हुई है. एक-दो बैठकें हुई हैं, जिनमें प्रोजेक्ट पर चर्चा हुई है. ऐसे में यदि सब कुछ अपेक्षानुसार भी हुआ, तो भी जमीन के हस्तांतरण सहित इस कार्य को पूरा होने में अभी काफी समय लगेगा.

जानकारों और रेलवे के कुछ समझदार इंजीनियरिंग अधिकारियों का कहना है कि ठाणे और मुलुंड स्टेशन के बीच की कुल दूरी लगभग ढ़ाई किमी. ही है. जबकि नया स्टेशन बनने पर उससे मुलुंड स्टेशन की दूरी आधा किमी. से भी कम रह जाएगी. ऐसे में प्रस्तावित जगह पर नया स्टेशन बनाए जाने का कोई औचित्य नहीं है. उनका यह भी कहना है कि वह भले ही टर्मिनेटिंग प्लेटफार्म ही क्यों न हो, क्योंकि उस पर गाड़ी ले जाने के लिए ठाणे और मुलुंड दोनों स्टेशनों की तरफ से बहुत गहरा मोड़ देना होगा. जबकि अत्यंत कम दूरी होने के कारण उक्त नए प्लेटफार्म से मुलुंड की तरफ लोकल का सिर्फ स्टार्ट और स्टॉप ही हो पाएगा. इसके अलावा इससे ठाणे शहर का कंजेशन और ज्यादा बढ़ेगा, जिससे भविष्य में समस्या ज्यादा विकट हो जाएगी. इस बात से मुंबई रेल प्रवासी संघ के अध्यक्ष मधु कोटियन भी सहमत हैं.

श्री कोटियन का कहना है कि ठाणे स्टेशन का विस्तार जरूरी है, मगर इस समस्या के समाधान के लिए जिस जगह का प्रस्ताव किया जा रहा है, वह सही नहीं है. उनका कहना है कि कलवा स्टेशन का विकास किया जाना शायद ठाणे स्टेशन की वर्तमान समस्या का ज्यादा सही समाधान हो सकता है. उनका कहना है कि कलवा स्टेशन पर दोनों तरफ पर्याप्त जगह मौजूद है, जो कि खुद रेलवे की है, जिसका कोई हस्तांतरण भी नहीं करना पड़ेगा और शहर का विस्तार अब उधर ही किया जाना चाहिए. श्री कोटियन की बात से कई रेल अधिकारियों ने भी अपनी सहमति जताई है. उनका कहना है कि जहां वर्तमान में ठाणे का यात्री आरक्षण केंद्र है, उसके समानांतर कोपरी ब्रिज तक रेलवे की जगह है, जिसे रेलवे की लापरवाही के चलते और भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर यदि ‘सैटिस’ के लिए महानगरपालिका को नहीं सौंपा गया होता, तो आज ठाणे स्टेशन के लिए कोई समस्या ही पैदा नहीं होती. इसके अलावा इस प्रस्तावित विस्तार से रेलवे को कोई लाभ नहीं मिलने वाला है.

Exit mobile version