उठल्लू चूल्हा बना ग्वालियर जंक्शन का टीटीई रेस्ट हाउस

प्रयागराज ब्यूरो: ग्वालियर में केवल दो डिपो के टीटीई आते हैं – एक आगरा, उत्तर मध्य रेलवे और दूसरे गुना, पश्चिम मध्य रेलवे के – आगरा डिपो के टीटीई केवल एक घंटे के लिए दोपहर में प्रतिदिन आते हैं। लेकिन गुना डिपो के टीटीई हर दिन रात को भी आते हैं और सुबह जल्दी भी आते हैं। वह सारा दिन यहां रुकते हैं।

कोरोना से पहले टीटीई रेस्ट हाउस ग्वालियर स्टेशन की मुख्य बिल्डिंग के ऊपर एक कमरे में था, जहां अब आईआरसीटीसी का रिटायरिंग रूम बना दिया गया है। उसके बाद इसको बदलकर ग्वालियर स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर-१ के बाहर अधीनस्थ कर्मचारी रेस्ट हाउस के अंदर एक रूम दिया गया।

थोड़े दिन वहां पर यह चला और उसके बाद अब उसी के बगल में मंदिर के पास एक बंगला खाली करके उसमें रंग-रोगन करवाकर एक कमरा दिया गया। लेकिन अब वहां पर ग्वालियर स्टेशन को भव्य स्टेशन बनाने वाली कंपनी के केपीसी प्रा. लि. का ऑफिस खुल गया है और कुछ ही दिनों में वहां से भी बदल कर प्लेटफार्म नंबर-४ की तरफ एक क्वार्टर दिए जाने की कवायद चल रही है।

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जबकि टीटियों के पास रेलवे कैश, ईएफटी और एचएचटी मशीन रहती है। वहां पहुंचने के लिए एक नंबर प्लेटफार्म पर अपनी ड्यूटी ऑफ करके मुख्य बिल्डिंग से बाहर आकर एक फुट ओवर ब्रिज को पार करके प्लेटफार्म नंबर-४ की तरफ जाना पड़ता है और आधा किलोमीटर दूर वहां क्वार्टर मिलने की संभावना है।

ग्वालियर रेस्ट हाउस की समस्याओं के लिए टीटीई कई बार संबंधित अधिकारियों को अवगत करा चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई उचित समाधान नहीं हुआ है। न तो यहां टीटीई को साफ-सुथरे चादर और तकिये एवं उनके कवर दिए जाते हैं, न पीने का स्वच्छ पानी उपलब्ध कराया जाता है, न ही यहां साफ-सफाई की कोई उचित व्यवस्था होती है, न ही कोई अटेंडेंट होता है।

अगर यही व्यवस्था अधिकारियों को उपलब्ध कराई जाए तो क्या वे इससे संतुष्ट हो अपना काम सही ढ़ंग से कर पाएंगे? अगर नहीं! तो प्रश्न यह है कि मातहत अर्निंग स्टाफ के साथ उनका यह निम्न स्तरीय व्यवहार क्यों हो रहा है? क्या सीनियर डीसीएम, डीआरएम, पीसीसीएम और जीएम की यह जिम्मेदारी नहीं बनती है कि वे अपने स्टाफ को काम करने की न्यूनतम सुविधाएं उपलब्ध कराएं?

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