जनरल कंडीशंस ऑफ कांट्रेक्ट/प्राइस वेरिएशन क्लॉज में हाई लेबर कंपोनेंट कास्ट क्यों?
वर्तमान जीसीसी/पीवीसी के समस्त प्रावधानों की पुनर्समीक्षा आवश्यक हो गई है
टनलिंग के लिए भारी मानव संसाधन के बजाय बहुत बड़ी-बड़ी पहाड़ कटाई मशीनें उपलब्ध हो गई हैं
अर्थ वर्क, बलास्ट और टनलिंग आदि कार्य वर्तमान में मानव श्रम के बजाय मशीनों से किए जा रहे हैं
अर्थ वर्क में मिट्टी/बोल्डर्स की खुदाई-भराई-ढुलाई/समतलीकरण आदि सभी कार्य मशीनों से किए जा रहे हैं
बलास्ट की तोड़ाई-फोड़ाई-भराई-ढुलाई और फैलाव आदि कार्य मानव श्रम से नहीं मशीनों से किए जा रहे हैं
सुरेश त्रिपाठी
इसी तरह बलास्ट एवं क्वारी प्रोडक्ट्स कॉन्ट्रैक्ट्स के अंतर्गत लेबर कंपोनेंट को 45% से 55%, फ्यूल को 5% से 15%, इतर मटेरियल कंपोनेंट्स को 10% से 15% और फिक्स्ड कंपोनेंट को 40% से 15% करने को कहा था. टनलिंग कॉन्ट्रैक्ट्स के तहत लेबर कंपोनेंट को 40% से 45%, फ्यूल कंपोनेंट को 5% से 15%, एक्सप्लोसिव कंपोनेंट 12.5% से 15%, इतर मटेरियल कंपोनेंट्स को 2.5% से 5%, फिक्स्ड कंपोनेंट 35% से 15% तथा इतर वर्क्स कॉन्ट्रैक्ट्स के अंतर्गत लेबर कंपोनेंट को 30% को समान रखते हुए मटेरियल कंपोनेंट को 30% से 40%, फ्यूल कंपोनेंट 5% से 15% एवं फिक्स्ड कंपोनेंट को 35% से 15% किए जाने की सिफारिश हुई थी.
उक्त समिति की सभी सिफारिशें 14 दिसंबर 2012 के समसंख्यक पत्रांक में लगभग ज्यों की त्यों स्वीकार गई हैं. इन सभी मदों की कास्टिंग में सबसे ज्यादा विरोधाभाषी ‘लेबर कास्ट या कंपोनेंट’ की मद में की गई बढ़ोत्तरी है, क्योंकि अर्थ वर्क, बलास्ट और टनलिंग आदि के कार्य वर्तमान में मानव श्रम के बजाय मशीनों से ज्यादा किए जा रहे हैं. अतः इसमें कार्य की अपेक्षा मानव श्रम कम हुआ है. पहले जब हैवी मशीनें नहीं थीं, तब उक्त मदों में मानवीय श्रम संसाधन ज्यादा लगता था, जबकि अब वर्तमान में इन कार्यों के लिए बहुत बड़ी-बड़ी मशीनें आ गई हैं, जिनसे जो काम मानव श्रम से 30 दिनों में होता था, वह अब 3 दिन में होने लगा है. सम्पूर्ण अर्थ वर्क में मिट्टी या बोल्डर्स की खुदाई-भराई-ढुलाई और समतलीकरण आदि सभी कार्य मशीनों से किए जा रहे हैं. इसमें पहले जहां 100 लेबर लगते थे, वहीं अब यह संख्या घटकर औसतन 10 हो गई है.