मानव तस्करी के खिलाफ आरपीएफ का देशव्यापी अभियान

आरपीएफ के “ऑपरेशन-आहट” के तहत की जाने वाली कार्रवाई में 151 नाबालिग लड़कों, 32 नाबालिग लड़कियों (कुल 183 नाबालिगों) और तीन महिलाओं को मानव तस्करों के चंगुल से छुड़ाया गया; 47 मानव तस्कर पकड़े गए!

नई दिल्ली (पीआईबी): यौन शोषण, देहव्यापार, जबरन मजदूरी, जबरन शादी, जबरन घरेलू बेगार करवाना, गोद देना, भीख मंगवाना, मानव अंगों का प्रत्यारोपण करवाना, मादक पदार्थों को एक स्थान से दूसरे स्थान भिजवाने के लिए महिलाओं तथा बच्चों की मानव तस्करी संगठित अपराध है, और मानवाधिकार के हनन का सबसे घृणित नमूना है। देश का प्रमुख यातायात तंत्र होने के नाते भारतीय रेल को मानव तस्करी के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिसके जरिये पीड़ितों को उनके मूलस्थान से उठाकर अन्य गंतव्यों तक ले जाया जाता है।

कमांड और नियंत्रण की एक संगठित अवसंचरना होने के नाते आरपीएफ की पहुंच पूरे देश में है। समय बीतने के साथ-साथ आरपीएफ ने यात्रियों की सुरक्षा संबंधी शिकायतों का समाधान करने की कारगर प्रणाली विकसित कर ली है। पिछले पांच वर्षों (2017, 2018, 2019, 2020 और 2021) के दौरान आरपीएफ ने 2178 लोगों को तस्करों के चंगुल से छुड़ाया। इसके साथ ही 65000 से अधिक बच्चों और तमाम महिलाओं और पुरुषों को बचाया तथा उन्हें सुरक्षा दी है।

स्टेशनों और गाड़ियों में अपनी रणनीतिक तैनाती, पूरे देश में अपनी पहुंच और पुलिस की मानव तस्करी रोधी इकाईयों (एएचटीयू) तथा अन्य सामाजिक इकाईयों के प्रयासों में तेजी लाने वाली प्रणाली का इस्तेमाल करते हुए, आरपीएफ ने हाल में मानव तस्करी के विरुद्ध “ऑप्रेशन आहट” (एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग) नामक अभियान शुरू किया।

इस पहल के अंग के रूप में आरपीएफ ने हाल में देशभर में 750 एएचटीयू की स्थापना की है, जो पुलिस, थानों में कार्यरत एएचटीयू, जिला और राज्य स्तरों पर, खुफिया इकाईयों, गैर-सरकारी संगठनों और अन्य हितधारकों के साथ समन्वय करेंगी तथा रेलगाड़ियों के जरिये होने वाली मानव तस्करी के खिलाफ कारगर कार्रवाई करेंगी।

हाल में आरपीएफ ने एसोसिएशन ऑफ वॉलंटरी ऐक्शन (एवीए) नामक गैर-सरकारी संगठन के साथ एक समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इस संगठन को “बचपन बचाओ आंदोलन” के नाम से भी जाना जाता है। यह संगठन प्रशिक्षण के जरिए आरपीएफ की सहायता करेगा तथा आरपीएफ को मानव तस्करी के बारे में सूचनाएं भी देगा।

इन प्रयासों में तेजी लाने के लिए मानव तस्करी के खिलाफ रेलवे के जरिये जुलाई 2022 में महीने भर का अभियान चलाया गया। आरपीएफ की क्षेत्रीय इकाईयों को सलाह दी गई थी कि वे राज्य पुलिस, स्थानीय कानूनी एजेंसियों और अन्य हितधारकों के साथ समन्वय बनाकर काम किया गया, ताकि मानव तस्करी रोकने तथा ऐसे मामलों के बारे में मिली सूचनाओं पर तुरंत कार्रवाई की जा सके।

विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस से भी आग्रह किया गया कि वे आरपीएफ के साथ संयुक्त कार्रवाई में हिस्सा लें, ताकि इस दिशा में समवेत प्रयास हो सकें। महीने के दौरान ऑपरेशन-आहट में 151 नाबालिग लड़कों, 32 नाबालिग लड़कियों (कुल 183 नाबालिगों) और तीन महिलाओं को मानव तस्करों के चंगुल से छुड़ाया गया। साथ ही 47 मानव तस्कर भी पकड़े गए।

इस अभियान ने सभी हितधारकों को साथ आने का मंच उपलब्ध कराया कि वे रेल के जरिये की जाने वाली मानव तस्करी के खिलाफ लामबंद हों। अभियान के दौरान विभिन्न एजेंसियों और हितधारकों के बीच विकसित समझ से भविष्य में भी मानव तस्करी के खिलाफ चलने वाली कार्रवाई में मदद मिलेगी।

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