सीआरबी/रेलमंत्री बदलकर सरकार ने सुधारी अपनी गलती
बंगलों के साथ कार्यालयों में कार्यरत कर्मचारियों को भी फील्ड में भेजा जाए
कुछ अहंमन्य अधिकारी अब भी कर रहे हैं सीआरबी के निर्देशों का उल्लंघन
निर्देश जारी करके उनका जमीनी स्तर पर अमल सुनिश्चित कराना ज्यादा जरुरी
अरुणेंद्र कुमार ने भ्रष्ट रवैये और ए.के.मितल ने भंडारवाद से भा.रे. का भट्ठा बैठाया
सुरेश त्रिपाठी
प्रधानमंत्री ने इस सुझाव पर भी तत्काल अमल किया. इसके बाद दूसरे दिन सरकारी प्रक्रिया का चक्र तेजी से घूमा और श्री लोहानी ने दोपहर बाद सीआरबी का पदभार ग्रहण कर लिया. श्री लोहानी के पदभार ग्रहण के बाद नए रेलमंत्री के रूप में पीयूष गोयल की नियुक्ति से वास्तव में समस्त रेलकर्मियों एवं अधिकारियों सहित जनता में भी सकारात्मक संदेश गया है. अब भले ही उनके कुछ मूढ़-धन्य विरोधी उन्हें एक सफल मैनेजर और सरकारी संपत्तियों का विक्रेता कहकर उनके विरुद्ध दुष्प्रचार करके अपनी दुर्भावना प्रकट कर रहे हैं, उससे उनकी काबिलियत और योग्यता पर कोई आंच नहीं आने वाली है.
पदभार संभालने के तुरंत बाद रेलमंत्री और सीआरबी ने बिगड़ी हुई चीजों को ठीक करने के लिए उपरोक्त दुर्घटना से संबंधित 13 रेलकर्मियों को नौकरी से तत्काल बर्खास्त करके अपनी स्पष्ट सोच का परिचय भी दे दिया है. इसके साथ ही सीआरबी ने तत्काल कई आवश्यक निर्देश जारी किए, जिससे बुरी तरह हतोत्साहित हो चुके और लगभग अपमानित महसूस कर रहे रेलकर्मियों एवं अधिकारियों में उत्साह का संचार हुआ है. अब जरुरत इस बात की है कि जारी किए गए निर्देशों पर जमीनी अमल सुनिश्चित करवाया जाए.
2. पश्चिम रेलवे, मुंबई सेंट्रल मंडल के चार एसएसई/पी-वे ने घरों से करीब 40-50 रेलकर्मी निकाले हैं, परंतु इन्हीं के दफ्तरों में 300 से भी ज्यादा ट्रैकमैन अभी-भी बैठे हुए हैं, उन्हें भी निकालकर फील्ड में भेजा जाए.
3. सीआरबी के निर्देश का गलत अर्थ निकाला गया, इसीलिए सिर्फ घरों में लगे रेलकर्मियों को निकाला गया है, दफ्तरों से नहीं, इससे तमाम कर्मचारियों में असंतोष भी पैदा हो रहा है. अतः उन्हें भी निकाला जाए.
4. सीआरबी के निर्देश का गलत अर्थ निकाला गया, इसीलिए सिर्फ इंजीनियरिंग विभाग के रेलकर्मी घरों से निकाले गए, अन्य विभागों यह कहकर इस पर अमल नहीं किया कि उनके लिए उक्त आदेश नहीं है. अतः आदेश को पुनः स्पष्ट करते हुए नए निर्देश दिए जाएं.
उल्लेखनीय है कि आकाश गुप्ता ने डिप्टी सीवीओ बनने के बाद से अब तक इज्जतनगर मंडल में विजिलेंस का एक भी मामला नहीं बनाया है, क्योंकि वर्तमान पद पर आने से पहले वह इज्जतनगर निर्माण में ही कार्यरत थे. जबकि वरिष्ठ वेतनमान के एक सीधी भर्ती अधिकारी से पांच लाख रुपये की रिश्वत मांगने का भी उनके खिलाफ गंभीर आरोप है. इसी प्रकार एडीईएन/ऐशबाग, लखनऊ आर. के. मिश्रा भ्रष्ट तरीके से अधिकारी बनने से पहले ऐशबाग में ही एसएसई/वर्क्स हुआ करते थे. यूनियन की मेहरबानी से उनकी पदोन्नति उसी जगह कर दिए जाने से नियम एवं परंपरा का उल्लंघन तो हुआ ही है, बल्कि अब तक ट्रैकमैनों/चपरासियों के साथ शाम की ‘बैठक’ कर रहे हैं, जिससे अव्यवस्था फैल रही है.
7. इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, एसएंडटी, कंस्ट्रक्शन, कमर्शियल, ऑपरेटिंग, पर्सनल, स्टोर्स, एकाउंट्स और आरपीएफ इत्यादि सभी विभागों के अधिकारियों के घरों/दफ्तरों में फील्ड के रेलकर्मी कार्यरत हैं, उन्हें भी अविलंब निकाला जाए.
8. यदि दफ्तरों के कामकाज हेतु आवश्यक स्टाफ की कमी है, तो उसकी भर्ती की जाए, मगर फील्ड के ट्रेंड स्टाफ का इस्तेमाल फील्ड में ही किया जाए.
9. कुछ अधिकारी लंबे-चौड़े बंगले में परिवार के असुरक्षित होने के बहाने अतिरिक्त स्टाफ के इस्तेमाल का कुतर्क कर रहे हैं. यह मूर्खतापूर्ण सोच है.
10. तमाम निर्देश एक साथ जारी करने के बजाय एक-एक पर पहले अमल सुनिश्चित कराया जाए और इसके लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएं.
11. बतौर सीआरबी पहले अरुणेंद्र कुमार ने अपने भ्रष्ट रवैये से और बाद में ए. के. मितल ने अपने भंडारवाद के चलते भारतीय रेल का बेड़ा गर्क किया और पूरी व्यवस्था का भट्ठा बैठा दिया. अब सुधार की कोशिश में मीनमेख निकाल रहे कुछ मूर्ख अधिकारियों को उचित शिक्षा दी जानी चाहिए.