कम्पिटेंसी देखे बिना उच्च पदों पर नियुक्ति, अकर्मण्यता को बढ़ावा देने जैसा है!

डीजी/एचआर में प्रमोशन का लिखित अनुरोध करके भी बीत गए पांच महीने!

रेलवे का सर्वोच्च अधिकारी इतना अकर्मण्य साबित होगा, ऐसा किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था!

सुरेश त्रिपाठी

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इंडियन रेलवे पर्सनल सर्विस (आईआरपीएस) भारतीय रेल की “भिखारी सर्विस” बन गई है। इस सर्विस को यह “गौरव” इसके वर्तमान में सबसे वरिष्ठ अधिकारी सुनील शर्मा ने दिलाया है।

आईआरपीएस नामक इस रेलवे सर्विस के अब ये दिन आ गए हैं कि 35 साल की सर्विस के बाद भी इसके सबसे वरिष्ठ अधिकारी सुनील शर्मा को डीजी/एचआर के पद पर प्रमोशन की भीख मांगनी पड़ रही है।

आईआरपीएस 1984 बैच के सुनील शर्मा वर्तमान में पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे/कंस्ट्रक्शन के महाप्रबंधक हैं। उन्होंने जिस दिन डीजी/एचआर का पद खाली हुआ था, उसी दिन अर्थात 1 अप्रैल 2021 को सेक्रेटरी, रेलवे बोर्ड को एक पत्र लिखकर उस पर उनका प्रमोशन किए जाने का अनुरोध किया था।

तथापि उक्त पत्र लिखकर भी पांच महीने पूरे होने जा रहे हैं, पर अभी तक उनका प्रमोशन करने के कोई आसार दिखाई नहीं दे रहे हैं। जबकि जिस दिन डीजी/एचआर का पद खाली हुआ था, उस दिन से सुनील शर्मा की केवल एक साल की सर्विस बची हुई थी, जिसमें पांच महीने बीत चुके हैं।

डीजी/एचआर का पद 01.04.2021 से खाली है। डीजी/सेफ्टी का पद भी लगभग तीन महीने से खाली है। सीआरबी/सीईओ रेलवे बोर्ड सुनीत शर्मा ने बिना कोई काम किए 8 माह गुजार दिए हैं। अब बाकी बचे 4 महीनों में भी वह कुछ करेंगे, इसकी दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं दिखाई देती है।

अगर सात महीनों की देरी से हुई नौ जीएम की पोस्टिंग के साथ ही डीजी/सेफ्टी के पद पर जीएम/आरसीएफ की भी पोस्टिंग कर दी गई होती, तो पीसीएमई/पश्चिम रेलवे भी आज जीएम/आरसीएफ होते। परंतु ऐसा लगता है कि इन वरिष्ठ अधिकारियों का उच्च पदों पर काम करने का समय (कार्यकाल) जानबूझकर नष्ट (कर्टेल) करने में सीआरबी को अत्यंत आत्मिक सुख की अनुभूति हो रही है।

रेलवे का सर्वोच्च अधिकारी इतना अकर्मण्य और निकम्मा साबित होगा, ऐसा किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था। रेल अधिकारियों की यह अकर्मण्यता और निकम्मापन रेलवे में तब तक जारी रहेगा, जब तक बिना कम्पिटेंसी देखे, जन्मतिथि (एज प्रोफाइल) के अनुसार डीआरएम, जीएम, बोर्ड मेंबर और सीआरबी बनाए जाते रहेंगे!

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