अहमदाबाद स्टेशन: नवीनीकृत कार्य की गुणवत्ता और लागत की जांच कराने की मांग

नवीनीकृत स्टेशन के फोटो और वीडियो को देखते हुए गंभीरतापूर्वक इसकी जांच कराई जाए। इससे भविष्य में जन-धन का दुरुपयोग रोककर यात्रियों की परेशानियों को कम किया जा सकेगा!

पश्चिम रेलवे, अहमदाबाद मंडल के प्रमुख रेलवे स्टेशन अहमदाबाद के नवीनीकरण कार्य की लागत और ठेकेदारों द्वारा किए गए कार्यों की गुणवत्ता की जांच कराने की मांग पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक आलोक कंसल को एक पत्र भेजकर की गई है। यह मांग पश्चिम रेलवे जेडआरयूसीसी सदस्य किंजन पटेल एवं योगेश मिश्रा ने 21 जुलाई 2021 को महाप्रबंधक को एक पत्र लिखकर की है। पत्र के साथ उन्होंने अहमदाबाद स्टेशन के विभिन्न फोटो और वीडियो भी महाप्रबंधक को भेजे हैं।
 
उन्होंने लिखा है कि अहमदाबाद मंडल के प्रमुख जंक्शन रेलवे स्टेशन अहमदाबाद का नवीनीकरण करोड़ों रुपए खर्च करके किया गया है, जिसे पूरा हुए अभी कुछ ही समय हुआ है। परंतु कार्य की कमियां दिखाई देना आरंभ हो गई हैं। अतः इस कार्य को करने में संबंधित विभागों की निष्क्रियता स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रही है।

उन्होंने मांग की है कि ऐसी स्थिति में सतर्कता विभाग द्वारा किए गए इस कार्य और इसकी गुणवत्ता की गहन जांच होनी चाहिए तथा जिन-जिन अधिकारियों की जवाबदेही इस कार्य को कराने में बनती है, उन सभी के प्रति कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए, जिससे कि जनता की गाढ़ी कमाई का जो अपव्यय हो रहा है, हुआ है, उसे यथासंभव रोका जा सके।

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इस पत्र के साथ उन्होंने अहमदाबाद रेलवे स्टेशन के कुछ फोटो और वीडियो भेजकर महाप्रबंधक से अनुरोध किया है है कि इससे यह स्पष्ट होता है कि नवीनीकरण के नाम पर जो खर्च किया गया है, वह राशि वास्तविक खर्च से बहुत अधिक प्रतीत हो रही है। इसके बावजूद कार्य की गुणवत्ता अत्यंत निम्न स्तर की है, जिसके स्पष्ट उदाहरण और प्रमाण यह फोटो और वीडियो हैं।

उन्होंने लिखा है कि आयोजन विभाग द्वारा भी जो आयोजन किया गया है, एवं क्रिया संपादन द्वारा जिन विभागों द्वारा कार्यवाही कराई गई है, उन सबकी लापरवाही इसमें स्पष्ट रूप से वर्णित दिखाई दे रही है।

जंक्शन की जो वीआईपी पार्किंग है, वह अभी नवीनीकरण और सौंदर्यीकरण के बाद इसका विशेष उद्घाटन किया गया था, जिसमें यह जानकर अत्यंत दुख होता है कि अभी-अभी नयी बनी हुई छत से भी पानी लीक कर रहा है। उसमें सौंदर्यीकरण किया गया है, लेकिन उस पर लोहे की सीट डालकर उसको ढ़का जा रहा है, जिससे पानी टपकना बंद हो। इससे जाहिर है कि इस कार्य में कितनी व्यापक गलतियां हुई हैं, बेदरकारी हुई है।

सर्कुलेटिंग एरिया में जो दीवाल बनाई गई है, उस पर जो कांच के सीसे लगाए गए थे, नवीनीकरण के समय और अभी नवीनीकरण पूरा हुए कुछ ही समय हुआ है, फिर भी आधे से अधिक कांच उसमें से गायब हो गए हैं। सीसे गायब हो गए हैं या तो वह शीशे लगाए ही नहीं गए, लगे तो टूट गए। तथापि इतनी ऊंचाई पर लगे शीशे टूटने का कोई प्रश्न ही नहीं है। इसका मतलब यह है कि पूरे कार्य का भुगतान करके अधूरा कार्य किया गया है। यह स्वत: प्रस्थापित होता है।

इसी तरह प्लेटफार्म नं. 9, जहां ट्रेनों का आवागमन होता है, वहां पर छत/सेड न होने के कारण यात्रियों को इस बरसात में अधिक परेशानियां हो रही हैं। जो सेड लगा है, उस साइड के 10 जनरल कोच सेड से आगे होते हैं।भारी बरसात में भीगते हुए यात्रियों को कोच के अंदर जाना पड़ता है।

ओवर ब्रिज पर आवागमन हेतु बनाई गई सीढ़ी पर भी सेड से पानी गिर रहा है, जिससे यात्रियों के सीढ़ियों पर फिसलकर गिरने की संभावना बढ़ जाती है। लिफ्ट के दरवाजे के पास भी पानी गिर रहा है, जो बिजली से चलती है। अतः यहां शॉर्ट सर्किट होने की संभावना बनी हुई है। इसकी भी फोटो इस पत्र के साथ भेजी गई है।

वीआईपी पार्किंग के पास आगे का जो भाग बना है, जहां पर कम से कम लोगों का आवागमन होता है, वहां की जमीन का प्लास्टर टूटकर नीचे धंस गया है, जो यह बताता है कि कार्य को कितनी हल्की गुणवत्ता से किया गया।

उन्होंने महाप्रबंधक का ध्यानाकर्षण करते हुए लिखा है कि इन फोटो और वीडियो को देखते हुए इस पत्र को शिकायत मानकर गंभीरतापूर्वक इसकी जांच कराई जाए, जिससे कि जो भी गड़बड़ियां की गई हैं, और जिनके द्वारा की गई हैं, उन्हें दंडित किया जा सके। इससे भविष्य में जन-धन का दुरुपयोग रोककर यात्रियों की परेशानियों को कम किया जा सकेगा।

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