अब जीएम पोस्टिंग में देरी से और ज्यादा होगी रेल मंत्रालय की किरकिरी

Indian Railways' Head Qs, Rail Bhavan, New Delhi

सरकार, मंत्री और सीआरबी जब व्यवस्था के हित की सोचकर कोई निर्णय लेंगे, तभी इसका कुछ भला हो पाएगा। तभी समय पर सही निर्णय और उस पर अमल सुनिश्चित हो पाएगा, तभी रेल का और देश का भी भला होगा, अन्यथा व्यवस्था का तिया-पांचा तो हो ही रहा है।

साढ़े आठ महीने (सितंबर 2020 से 12 जून 2021) बीत जाने के बाद अंततः जीएम पैनल फाइनल होकर शनिवार, 12 जून को रेल मंत्रालय (रेलवे बोर्ड) में आ गया। अप्रैल में डीपीसी और एसीसी से फाइनल होकर 23-24 मई से यह प्रधानमंत्री के हस्ताक्षर के लिए पीएमओ में लंबित था।

जीएम पैनल जिस तरह सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि रेलकर्मी और अधिकारी इसके फाइनल होकर आने की प्रतीक्षा कितनी बेसब्री के साथ कर रहे थे।

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अब यह सुनिश्चित किया जाए कि बिना कोई देरी किए, बिना किसी फेवर या बारगेनिंग के वैकेंसी सीक्वेंस के अनुसार जीएम की पोस्टिंग की जाएं, अन्यथा ज्ञापनबाजी की शुरूआत होगी, फिर ज्यादा देरी होगी और फिर रेलवे की फजीहत होगी!

इसके अलावा, 30 जून को खाली हो रही तीन जीएम पोस्टों को भी इसी पोस्टिंग प्रस्ताव में शामिल किया जाना चाहिए!

यह अपेक्षा उन सभी वरिष्ठ अधिकारियों की है जो पिछले छह महीनों से अपनी पोस्टिंग की प्रतीक्षा कर रहे हैं और जिनका जीएम में काम करने का कार्यकाल पहले ही छह महीने कम हो चुका है, या जानबूझकर कम किया गया है।

फिलहाल क्रमवार खाली जीएम पद और वैकेंसी सीक्वेंस के अनुसार पोस्टिंग की प्रतीक्षा में वरिष्ठ अधिकारियों की स्थिति निम्नवत है –

1. पूर्व रेलवे                  – अरुण अरोरा
2. उत्तर मध्य रेलवे        – प्रमोद कुमार
3. आईसीएफ               – अतुल अग्रवाल
4. दक्षिण पश्चिम रेलवे   – संजीव किशोर
5. मध्य रेलवे                – ए. के. लाहोटी
6. दक्षिण पूर्व रेलवे        – अर्चना जोशी

इस महीने 30 जून को खाली हो रहे जीएम के तीन पद

1. जीएम/पूर्व मध्य रेलवे
2. डीजी/आरडीएसओ
3. जीएम/दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे

उपरोक्त तीनों पदों पर वैकेंसी सीक्वेंस के अनुसार जीएम पैनलिस्ट तीन वरिष्ठ अधिकारियों – अनुपम शर्मा, आलोक कुमार एवं विजय शर्मा – की जीएम पद पर पोस्टिंग का नंबर लगता है।

एडवांस में हो जीएम पैनल की प्लानिंग

अब आगे से यह भी सुनिश्चित किया जाए कि जीएम पैनल की तैयारी एडवांस में हो। अगर पैनल फाइनल करने की प्रक्रिया में छह-सात महीनों का समय लगता है, जो कि वास्तव में नहीं लगना चाहिए, तो कैलेंडर वर्ष 2022 के जीएम पैनल की तैयारी आज से ही शुरू कर दी जानी चाहिए।

डीआरएम की पोस्टिंग में देरी से भी असंतोष

इसके अलावा, यदि डीआरएम की भी पोस्टिंग में और ज्यादा विलंब होते देखकर पोस्टिंग की प्रतीक्षा कर रहे हताश अधिकारी कह रहे हैं कि यह इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि “रेल नेतृत्व विहीन है और शीर्ष पद पर बैठा अधिकारी उस पर बैठने के लायक नहीं है, उसे फौरन से पेश्तर रिप्लेस किए जाने की आवश्यकता है।”

बहुत पहले साबित हो चुकी थी अकर्मण्यता

हालांकि यह बात तो वर्ष 2018 में अनिर्णय, अकर्मण्यता, मानवीयता, सहृदयता और नेतृत्व गुणवत्ता इत्यादि को लेकर एक अंतरराष्ट्रीय संस्था द्वारा कराए गए सर्वे में पहले ही साबित हो चुकी थी, तथापि बलिहारी है भारत सरकार की कि जिसे अपरिमित टैलेंट्स से परिपूर्ण भारतीय रेल में शीर्ष पर बैठाने के लिए केवल वही मिलता है, जो उसे मौके पर सही सलाह देने में अक्षम होता है, जी-हजूरी करने में अव्वल होता है, और जो हुकुम का गुलाम होता है, जिसके लिए व्यवस्था के हित के बजाय मंत्री का या अपना हित सर्वोपरि होता है।

सरकार या मंत्री और सीआरबी जब व्यवस्था के हित की सोचकर कोई निर्णय लेंगे, तभी इसका कुछ भला हो पाएगा। तभी समय पर सही निर्णय और उस पर अमल सुनिश्चित हो पाएगा, तभी रेल का और देश का भी भला होगा, अन्यथा व्यवस्था का तिया-पांचा तो हो ही रहा है।

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