महत्वपूर्ण पदों पर बैठकर सरकार की जड़ें काट रहे अधिकारी!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेलमंत्री पीयूष गोयल

दुर्भाग्य से लगभग सारे महत्वपूर्ण पदों पर पदस्थापित हैं सरकार को गरियाने वाले आस्तीन के सांप बने अधिकारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तानाशाह बताने और सरकार के विरुद्ध लगातार सोशल मीडिया पर बहुत कुछ अनाप-शनाप लिखने वाले उत्तर रेलवे के कार्मिक विभाग में सीपीओ के पद पर पदस्थ आईआरपीएस अधिकारी आनंद मधुकर के खिलाफ अब क्या कार्रवाई करेंगे पीयूष गोयल, जब उनकी लिखी हुई तमाम पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं?

यह सवाल रेलवे में रेलकर्मियों और अधिकारियों द्वारा बड़ी गंभीरता के साथ तब उठाया जा रहा है जब सच लिखने पर ऐसे एक अन्य आईआरपीएस अधिकारी संजीव कुमार के विरुद्ध रेलवे बोर्ड सहित तत्कालीन सीआरबी ने आसमान सिर पर उठा लिया था और संजीव कुमार को समय से पहले डीओपीटी से उनकी प्रतिनियुक्ति खत्म करके वापस बुलाने पर रेलमंत्री पीयूष गोयल को मजबूर कर दिया था।

चुनाव आयोग में पुनः प्रतिनियुक्ति की तैयारी

आनंद मधुकर ने इससे पहले नियम के विपरीत कार्मिक मंत्रालय से वित्त मंत्रालय में एक डेपुटेशन से सीधे दूसरे डेपुटेशन पर जाकर एसएजी प्रमोशन लिया। तत्पश्चात करीब दो-तीन महीने पहले ही वित्त मंत्रालय से वापस आकर दिल्ली में ही चॉइस पोस्टिंग ले ली, और अब खबर है कि वह चुनाव आयोग में पुनः प्रतिनियुक्ति पर जाने की तैयारी में हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि टुकड़े-टुकड़े गैंग का सदस्य यह अधिकारी कितना जुगाड़ू है।

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उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री को तानाशाह बताने वाले इस आईआरपीएस अधिकारी आनंद मधुकर को चुनाव आयोग में प्रतिनियुक्ति के लिए डीजी/एचआर/रे.बो. ऑफिस द्वारा कूलिंग ऑफ पीरियड को वेवऑफ किया जा रहा है। हाल ही में इस बारे में डीजी/एचआर ऑफिस से एक पत्र मधुकर को भेजा गया है। क्या इस विषय पर रेलमंत्री पीयूष गोयल अथवा रेलवे बोर्ड के सक्षम अधिकारी उचित संज्ञान लेंगे?

महत्वपूर्ण पदों पर पदस्थापना

कई वरिष्ठ रेल अधिकारियों का कहना है कि “दुर्भाग्य से इस सरकार में इसी तरह के लोग लगभग सारे महत्वपूर्ण पदों पर पदस्थापित हैं और हो रहे हैं। किस योग्यता के बल पर ऐसा हो पा रहा है, यह इनको और सरकार को भी पता है, लेकिन वह इसी सरकार को जमकर दीमक की तरह चाट भी रहे हैं और दुःसाहस के साथ खूब गरिया भी रहे हैं। अब इस पर पीयूष गोयल वैसी कार्यवाही नहीं करेंगे जैसी संजीव कुमार के रेलवे के ऊपर लिखे गए कटु सत्य वाले लेख पर किया था।”

उनका कहना है कि “उस लेख में चूंकि तत्कालीन सीआरबी और रेल के खापों की कथित भावनाएं आहत हुई थीं, तब तो उस पर मंत्री ने अपनी सारी ताकत से और अपनी पूरी मर्यादा भूलकर चढ़ाई कर दी थी। लेकिन अब जब उससे गंभीर और पूरी सरकार सहित प्रधानमंत्री को सीधा निशाना बनाने वाली पोस्टें सामने आई हैं, तब टुकड़े-टुकड़े गैंग के इस अधिकारी के विष भरे राष्ट्रविरोधी और समाज में जहर घोलने वाली सोशल मीडिया पोस्टों पर भी मंत्री को उसी संजीदगी से कार्यवाही करनी चाहिए!”

जहरीले अधिकारियों को चिन्हित किया जाए

उन्होंने आगे कहा कि “सरकार को चाहिए कि वह इस तरह के जहरीले अधिकारियों को चिन्हित कर महत्वपूर्ण पदों पर इनको बैठाए जाने से प्रतिबंधित करे, क्योंकि इसी तरह के अधिकारी आईएसआई, आइसिस और अन्य तमाम प्रकार की राष्ट्रविरोधी शक्तियों की वास्तविक शक्ति होते हैं, जिससे प्रतिदिन देश को तोड़ने की मंशा रखने वालों की चेन लिंक और ज्यादा मजबूती के साथ बढ़ती चली जा रही है। सरकार के अंदर भी और इनके प्रश्रय से सरकार के बाहर भी!”

“जब कोई बड़ा सरकारी अधिकारी समाज में इस तरह की जहर फैलाने वाली बातें खुलेआम और पूरी नंगई के साथ करता है, तब प्रतिदिन उससे प्रभावित होकर सैकड़ों युवा उसी के रास्ते पर चल पड़ते हैं।”

अविलंब संज्ञान लिया जाए

उन्होंने कहा कि इस विषय पर तुरंत गंभीर संज्ञान लेकर मंत्री, सीआरबी और महाप्रबंधक/उ.रे. को अविलंब अनुशासनिक कार्यवाही करनी चाहिए।

अंत में उनका कहना था कि “केंद्र सरकार को अब यह भी समझना चाहिए कि रेल का होकर भी जिसने रेल में कुछ नहीं किया, वह बाहर जाकर कौन सा तीर मार लेगा!”

उन्होंने कहा कि “वैसे तो ‘आस्तीन के सांप’ बने ऐसे कई अधिकारी रेलवे में महत्वपूर्ण पदों पर पदस्थापित हैं, यहां तक कि रेलमंत्री सेल में भी ऐसे दो लोग बैठे हुए हैं। तथापि सभी रेल अधिकारियों के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की जांच करने के साथ-साथ इनकी पूरी पृष्ठभूमि को भी खंगाला जाना चाहिए और यह भी देखा जाए कि अब तक की सरकारी सेवा में रहते इन्होंने क्या-क्या तीर मारे हैं!”

नोट: आनंद मधुकर की सैकड़ों सोशल मीडिया पोस्ट “रेल समाचार” और “कानाफूसी” के पास सुरक्षित हैं।

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