रेलवे बोर्ड विजिलेंस से लंबे समय बाद बहिष्कृत हुए आर. के. राय!

Indian Railways Head Quarters - Rail Bhawan, New Delhi.

“रेलवे बोर्ड विजिलेंस में दूध का धुला तो कोई नहीं है, तथापि राय ने ऊपरी वरदहस्त के चलते मनमानी और निरंकुशता की सारी हदें पार कर दी थीं!”

सुरेश त्रिपाठी

रेलवे बोर्ड ने राजेश कुमार राय उर्फ आर. के. राय नामक “कोढ़” को कार्यकारी निदेशक विजिलेंस/इलेक्ट्रिकल के पद से आखिर लंबे समय बाद हटा दिया। रेलवे बोर्ड द्वारा राय को न सिर्फ रेलवे बोर्ड (रेल भवन) से हटाया गया है, बल्कि बोर्ड ने उन्हें दिल्ली से भी बाहर करके एक बड़ा काम किया है।

उल्लेखनीय है कि रेलवे बोर्ड द्वारा बुधवार, 7 अक्टूबर को जारी आदेश में राय को करीब छह साल से ज्यादा लंबे समय के बाद न सिर्फ बोर्ड विजिलेंस से हटाया गया है, बल्कि दिल्ली से भी बाहर करके उन्हें डीएलडब्ल्यू, वाराणसी की एचएजी/पीसीईई पोस्ट को डाउनग्रेड करके उस पर उन्हें बतौर सीएचओडी भेजा गया है।

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हालांकि बोर्ड के हमारे विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि तथाकथित सीईओ/रेलवेज का वरदहस्त प्राप्त आर. के. राय को इतनी आसानी से नहीं हटाया गया है, बल्कि उन्हें हटाना अब रेलवे बोर्ड की मजबूरी हो गई थी, जबकि वह सीईओ के आशीर्वाद से पीईडी/विजिलेंस (प्रमुख कार्यकारी निदेशक/विजिलेंस/रेलवे बोर्ड) बनने की फिराक में थे।

सूत्रों का कहना है कि पिछले महीने सीवीसी को किसी सक्षम अधिकारी द्वारा एक लिखित शिकायत सौंपी गई थी, जिसमें कहा गया था कि यदि आर. के. राय को रेलवे बोर्ड विजिलेंस से तुरंत नहीं हटाया गया, तो उनके विरुद्ध निर्दोष अधिकारियों को फर्जी मामले में फंसाने के लिए अपराधिक एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।

सूत्रों ने बताया कि ऐसे में सीवीसी के आदेश को रेलवे बोर्ड ज्यादा दिन तक नजरंदाज नहीं कर सकता था, क्योंकि उसकी ‘एडवाइसेस’ को सबसे ज्यादा दरकिनार करने के लिए रेलवे बोर्ड से सीवीसी पहले ही बहुत खफा है। उन्होंने कहा कि राय के मामले में तो यह बात बहुत स्पष्ट रूप से साबित हो चुकी है कि उन्होंने न सिर्फ कई सक्षम और ईमानदार अधिकारियों को तंग किया, बल्कि उनके खिलाफ बोगस और मनगढ़ंत विजिलेंस केस भी बनाए हैं।

इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व मेंबर इलेक्ट्रिकल घमासान सिंह को भी तमाम विजिलेंस मामलों सहित सीबीआई से भी बचाने में आर. के. राय का बहुत बड़ा योगदान रहा है। यही नहीं, इस मामले में उन्होंने सीबीआई से झूठ बोला और उनके बचाव में झूठा बयान दिया, जिसके लिए उनके विरुद्ध अब सीबीआई द्वारा जांच की जा रही है।

हालांकि सूत्रों का यह भी कहना है कि “रेलवे बोर्ड विजिलेंस में दूध का धुला तो कोई नहीं है, तथापि राय ने ऊपरी वरदहस्त के चलते मनमानी और निरंकुशता की सारी हदें पार कर दी थीं। अब देखना यह है कि राय साहब कब स्पेयर होते हैं, होंगे भी या दिल्ली में बने रहने की कोई जुगाड़ करेंगे, यह भी अगले कुछ दिनों में स्पष्ट हो जाएगा!”

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