एलडीसीई में अब मनमाने तरीके से नहीं दे पाएंगे अंक
Indian Railways' Head Qs, Rail Bhavan, New Delhi
गड़बड़ी होने पर सामूहिक रूप से उत्तरदायी होगी चयन समिति
आसानी से अब परीक्षा रद्द नहीं करा पाएंगे विजिलेंस माफिया
वाया विजिलेंस, ग्रुप ‘बी’ अधिकारी बनने का रास्ता भी अब हुआ कठिन
सुरेश त्रिपाठी
अब ग्रुप ‘सी’ से ग्रुप ‘बी’ ऑफीसर की परीक्षा के सभी प्रश्न ऑब्जेक्टिव टाइप होंगे। बस निशान लगाते जाओ। इस प्रणाली के रेलवे को फिलहाल कई लाभ होंगे, जैसे-
अब विभाग प्रमुख (पीएचओडी) मेहनत से परीक्षा के प्रश्न पत्र तैयार करेंगे और जांचने वाले अधिकारी भी अब मनमाने तरीके से अंक नहीं दे पाएंगे, जैसा कि वे अब तक वर्णनात्मक प्रश्नों में कर पाते थे।
अब विजिलेंस वाले बिना वजह कोई केस नहीं बना पाएंगे, जैसा कि वे अब तक वर्णनात्मक उत्तरों को लेकर काॅपी जब्त कर पूरे के पूरे सेलेक्शन को खटाई में डाल दिया करते थे, वह भी महज इसलिए कि या तो उनकी “सेवा-पानी” नहीं हुई होती थी, या वे (डेपुटेशन पर आए विजिलेंस इंस्पेक्टर) फेल हो जाते थे, तो इस तरह पूरे सेलेक्शन को कैंसल कराने में कोई कसर न छोड़ते थे। फिर चाहे अधिकारियों के खिलाफ ही उन्हें विजिलेंस केस क्यों बनाने पड़ें हों।
प्रश्न पत्र अब तक संबंधित विभाग के पीएचओडी ही सेट करते रहे हैं। इस सर्कुलर के बाद से अब जीएम उत्तर पुस्तिकाएं जांचने के लिए जिस अधिकारी को नामित करेंगे, वह चयन समिति का सदस्य भी होना चाहिए।
अब ऐसा नहीं होगा कि पीसीपीओ ने पेपर सेट किया और अपने अधीनस्थ सीपीओ/एडमिन या सीपीओ/आईआर को पेपर जांचने पर लगा दिया। अब क्योंकि उसका चयन समिति का सदस्य होना अनिवार्य है, अत: वह जिम्मेदारी से पेपर जांचेगा और किसी भी गड़बड़ी के लिए वह स्वयं तथा सामूहिक रूप से चयन समिति के सभी सदस्य उत्तरदायी होंगे।
यह तो लगभग सर्वविदित है ही, और एक जांचा-परखा तथ्य भी, कि ग्रुप ‘सी’ से ग्रुप ‘बी’ में प्रमोशन के लिए काफी लेनदेन होता है और करीब 90% ग्रुप ‘बी’ प्रमोशन इसी आधार पर होते रहे हैं। उपरोक्त निर्देश जारी करके रेलवे बोर्ड द्वारा अब जो समुचित सुधार और व्यवस्था की गई है, उससे शायद विभागीय वरिष्ठ अधिकारियों के इस विभागीय भ्रष्टाचार पर कुछ लगाम लग सकती है।