तीन अक्षम मेंबर्स से मिला भारतीय रेल को छुटकारा
जीएम/द.पू.रे. एस.एन.अग्रवाल ने एमएस में ज्वाइन किया
जीएम/एमसीएफ राजेश अग्रवाल होंगे अगले एमआरएस
सुधांशु मणि को सेवा-विस्तार देने का प्रस्ताव हुआ अमान्य
सुरेश त्रिपाठी
इसके बाद बतौर मेंबर स्टाफ देबल कुमार गायन उर्फ डी. के. गायन भी बिना किसी उपलब्धि के 30 जून को रिटायर हो गए. हालांकि उनसे किसी को कोई खास उम्मीद इसलिए भी नहीं थी, क्योंकि हर प्रकार से अयोग्य होने के बावजूद वह सिर्फ अपनी ‘एज-प्रोफाइल’ की बदौलत जीएम और मेंबर बन गए थे. जबकि बिना किसी योग्यता के उन्हें मेंबर स्टाफ बनाकर पूरा फेवर किया गया था, इसका सबसे बड़ा सबूत यह है कि जब उन्हें बोर्ड मेंबर बनाया गया, तब उनका कार्यकाल एक साल नहीं बचा था, जो कि बोर्ड मेंबर बनने के लिए न्यूनतम निर्धारित अवधि है. जो अधिकारी जीएम और बोर्ड मेंबर के स्तर पर पहुंचने के बाद भी ‘कैडर फीलिंग’ से मुक्त नहीं हो पाते, उनमें देबल कुमार गायन का नाम प्रमुख रूप से शुमार रहा है.
श्री अग्रवाल की पदस्थापना में देरी का एक कारण यह माना जा रहा है कि इस दरम्यान रेलवे बोर्ड ने मेंबर स्टाफ की पोस्ट को ‘इन-कैडर पोस्ट’ बनाए जाने का एक प्रस्ताव डीओपीटी को भेज दिया था. जानकारों का मानना है कि यदि ऐसा ही करना था, तो यह काम देबल कुमार गायन जैसे अयोग्य अधिकारी को मेंबर स्टाफ बनाए जाने से पहले किया जाना चाहिए था. उनका यह भी कहना है कि एक्स-कैडर मेंबर स्टाफ के रूप में एस. एन. अग्रवाल की नियुक्ति अंतिम हो सकती है, क्योंकि ‘इन-कैडर पोस्ट’ बनाने की समस्त प्रक्रिया पूरी हो चुकी है.
जानकारों का कहना है कि यदि डीओपीटी द्वारा जानबूझकर अथवा किन्हीं अन्य कारणों से उक्त नोटिफिकेशन जारी करने में देरी नहीं की गई होती, तो श्री अग्रवाल को बोर्ड मेंबर बनने का मौका ही नहीं मिल पाता. हालांकि जानकारों का यह भी कहना है कि नोटिफिकेशन जारी करने में इसलिए भी देरी की गई या करवाई गई, क्योंकि समस्त कार्मिक कैडर सहित बोर्ड में कोई भी वर्तमान डीजी/पर्सनल आनंद माथुर को मेंबर स्टाफ बनते नहीं देखना चाहता था. अब 30 जून 2019 को श्री अग्रवाल के रिटायर होने पर कार्मिक कैडर के पहले मेंबर स्टाफ के रूप में एन. के. प्रसाद की नियुक्ति हो सकती है, जो कि वर्तमान में महाप्रबंधक, पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे, निर्माण हैं.
सूत्रों का यह भी कहना है कि हालांकि राजेश अग्रवाल के रास्ते में एक अड़ंगा आ रहा था, मगर डीओपीटी, पीएमओ और एसीसी ने उस अड़ंगे को सिरे से निरस्त कर दिया है. रेलवे बोर्ड के विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से ‘रेल समाचार’ को मिली जानकारी के अनुसार आईसीएफ के महाप्रबंधक सुधांशु मणि के काम से प्रसन्न होकर रेलमंत्री ने उन्हें सेवा-विस्तार देने का एक प्रस्ताव पीएमओ को भेजा था. सूत्रों का कहना है कि दिसंबर में सेवानिवृत्त हो रहे श्री मणि की कार्य एवं प्रशासनिक क्षमता, काबिलियत, निष्ठा और ईमानदारी पर किसी को भी कोई शक नहीं है. परंतु इस स्तर पर सेवा-विस्तार दिए जाने की परंपरा नहीं रही है. उनका यह भी कहना है कि यदि मंत्री को श्री मणि इतने ही सक्षम और काबिल लगते हैं, तो मंत्री अथवा रेलवे बोर्ड ने माफिया यूनियन की पसंद के एक नाकाबिल अधिकारी को उसकी च्वाइस पोस्टिंग देकर उन्हें दक्षिण रेलवे के अतिरिक्त कार्यभार से मात्र हप्ते भर में ही क्यों हटा दिया था, जबकि उतने ही दिनों में श्री मणि ने वहां अपनी काबिलियत साबित कर दी थी. क्या रेलवे बोर्ड के अधिकारीगण और मंत्री के सलाहकार इतने अक्षम और नाकाबिल हैं, जो उन्हें उचित समय पर योग्य सलाह नहीं दे पा रहे हैं? बहरहाल, पीएमओ के नकार के बाद राजेश अग्रवाल का एमआरएस बनने का रास्ता लगभग साफ हो गया है और उनकी पोस्टिंग की फाइल को शीघ्र ही पीएमओ से हरी झंडी मिल सकती है.
अब राजीव गुप्ता के रिटायर हो जाने से डीजी/नायर, वी. पी. पाठक के डीजी/स्टोर्स बनने से सीएलडब्ल्यू, गिरीश पिल्लई के एमटी बनने से प.म.रे. और एस. एन. अग्रवाल के एमएस बनने से द.पू.रे. सहित महाप्रबंधकों के चार पद पहले से ही खाली हैं. 31 जुलाई को एम. सी. चौहान के सेवानिवृत्त हो जाने पर उ.म.रे. के एक और जोनल महाप्रबंधक का पद खाली हो जाएगा. जबकि एमआरएस बनने पर जीएम का एक पद और खाली होने वाला है. इस तरह एक अगस्त को कुल छह महाप्रबंधकों के पद रिक्त होंगे. नया जीएम पैनल एसीसी से पास होकर काफी पहले से ही रेलवे बोर्ड को मिल चुका है. ऐसे में जीएम्स की पोस्टिंग की तैयारी रेलवे बोर्ड को पहले से करनी चाहिए थी. परंतु बताते हैं कि अब तक इसकी प्रक्रिया भी शुरू नहीं की गई है. जबकि अगले कुछ महीनों में एक बोर्ड मेंबर सहित जोनल महाप्रबंधकों के दो-तीन और पद खाली होने जा रहे हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि एमआर सेल, सीआरबी सेल और सेक्रेटरी/रे.बो. सेल में बैठे सैकड़ों अधिकारी और उनके सहयोगी कर्मचारी क्या कर रहे हैं? आखिर क्यों इन वरिष्ठ पदों पर पोस्टिंग की प्रक्रिया समय पर पूरी नहीं की जाती?