किसी भी कीमत पर रेलवे का निजीकरण स्वीकार्य नहीं -शिवगोपाल मिश्रा
कर्मचारी हितों के खिलाफ कोई भी आदेश मान्य नहीं हो सकता -एआईआरएफ
उत्पादन इकाईयों के निगमीकरण के आदेश पर रेलकर्मियों में भारी आक्रोश
धरना-प्रदर्शन में रेलकर्मियों के साथ उनके सभी परिजन भी हो रहे शामिल
नई दिल्ली : रेल मंत्रालय (रेलवे बोर्ड) द्वारा जारी लालगंज, रायबरेली स्थित माडर्न कोच फैक्टरी (एमसीएफ) सहित भारतीय रेल की सभी सातों उत्पादन इकाईयों के निगमीकरण के आदेश के बाद रेल कर्मचारियों का गुस्सा उबाल पर है. इन उत्पादन इकाईयों में कार्यरत रेल कर्मचारियों के साथ ही उनका परिवार भी सड़क पर आ गया है और सरकार के तुगलकी फरमान का विरोध तेज हो गया है. सरकार के खिलाफ सभी रेलकर्मियों में भारी आक्रोश व्याप्त हो गया है.
उल्लेखनीय है कि रेलवे बोर्ड ने एक आदेश जारी कर कहा है कि इंट्रीगल कोच फैक्टरी, चेन्नई, रेल कोच फैक्टरी, कपूरथला, डीजल लोकोमोटिव वर्क्स, वाराणसी, माडर्न कोच फैक्टरी, रायबरेली, चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स, चितरंजन, डीजल लोको मॉडर्नाइजेशन वर्क्स, पटियाला सहित कुछ अन्य उत्पादन इकाईयां अब प्राइवेट कंपनी की तरह काम करेंगी. इस आदेश से यहां तैनात सभी रेल कर्मचारी सरकारी सेवा में न होकर निजी कंपनी के कर्मचारी बन जाएंगे. यही नहीं, अब यहां भारतीय रेल के महाप्रबंधक की जगह प्राइवेट कंपनी के सीएमडी बैठेंगे. रेलवे बोर्ड के इस आदेश के बाद यहां तैनात कर्मचारियों का गुस्सा उबाल पर है. इन उत्पादन इकाईयों में रेल कर्मचारी लगातार धरना-प्रदर्शन और विरोध में नारेबाजी कर रहे हैं. लगभग सभी जगह रेल कर्मचारियों का परिवार भी इन प्रदर्शनों में शामिल है.
इस आदेश के बाद ऑल इंडिया रेलवेमेंस फेडरेशन के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लिया है. उन्होंने इस आदेश को दोषपूर्ण और कर्मचारियों के हितों के खिलाफ बताया. उनका कहना है कि बोर्ड ने पहले ही इसे एक तरह से रोलिंग स्टाक कंपनी बनाने का फैसला कर लिया है. एआईआरएफ इससे बिल्कुल सहमत नहीं है. बोर्ड को पारदर्शी तरीके से देश को यह बताना चाहिए कि यह रिस्ट्रक्चरिंग किस तरह रेल और राष्ट्र के लिए फायदेमंद हो सकती है. उन्होंने कहा कि फेडरेशन को यह निजीकरण किसी भी स्थिति में मंजूर नहीं है, इसका हर स्तर पर पुरजोर विरोध किया जाएगा.
एआईआरएफ के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा की अगुवाई में एक प्रतिनिधि मंडल ने बुधवार, 26 जून को मेंबर रोलिंग स्टाक, रेलवे बोर्ड राजेश अग्रवाल से मुलाकात की, जिसमें एआईआरएफ के कार्यवाहक अध्यक्ष एन कन्हैया, रेल कोच फैक्टरी के जोनल महासचिव एल. एन. पाठक के अलावा एमसीएफ के कार्यवाहक महामंत्री रितुराज शुक्ला भी शामिल थे. इस मौके पर उन्होंने एमआरएस राजेश अग्रवाल को एक ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में कहा गया है कि इस पूरे मामले में विस्तार से चर्चा होनी चाहिए थी, देश को और कर्मचारियों को बताना चाहिए कि निजीकरण से रेलवे को क्या और कैसा फायदा होने वाला है. चूंकि रेल अफसरों को हकीकत मालूम है, इसलिए एकतरफा आदेश जारी किया गया है. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर रेलवे बोर्ड ने इस आदेश को वापस नहीं लिया, तो हम सीधी लड़ाई के लिए मजबूर होंगे.
मेंबर रोलिंग स्टाक राजेश अग्रवाल ने काफी समय तक प्रतिनिधि मंडल के साथ चर्चा की और कहा कि एआईआरएफ की भावनाओं से रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को अवगत कराएंगे. उनका यह भी कहना था कि कोशिश होगी कि इस अत्यंत संवेदनशील मामले में सभी पक्षों को विश्वास में लेकर उनकी शंकाओं का उचित समाधान किया जाए. ज्ञातव्य है कि गत सप्ताह एमसीएफ के दौरे पर गए डीजी/कार्मिक का रेलकर्मियों ने भारी विरोध किया और जुलूस निकालकर उनके सामने प्रदर्शन भी किया. कर्मचारियों के विरोध और आक्रोश के मद्देनजर एमसीएफ प्रशासन ने रेलवे बोर्ड को पत्र लिखकर स्थिति से अवगत कराया है.
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एनएफआईआर एवं आरकेटीए मिलकर लड़ेंगे यूनियन मान्यता चुनाव
नई दिल्ली : नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमेन (एनएफआईआर) के केंद्रीय कार्यालय, नई दिल्ली में बुधवार, 26 जून को महामंत्री डॉ. एम. राघवैया के साथ रेलवे कर्मचारी ट्रैकमेंटेनर एसोसिएशन (आरकेटीए) के महामंत्री जी. गणेश्वर राव ने मुलाकात की. उनके साथ एसोसिएशन का एक प्रतिनिधि मंडल भी था.
इस मौके पर एनएफआईआर और आरकेटीए ने संयुक्त रूप से तय किया कि अगस्त में होने वाले यूनियन मान्यता के चुनाव दोनों संगठन मिलकर लड़ेंगे तथा भारतीय रेल में एनएफआईआर को जिताने में अपना संपूर्ण योगदान करेंगे. इस बैठक में आरकेटीए की सभी मांगों पर भी चर्चा हुई, जिस पर एनएफआईआर की तरफ से डॉ. राघवैया ने उनकी सभी मांगों को रेलवे बोर्ड एवं संबंधित अधिकारियों के समक्ष रखने का आश्वासन दिया.