रेलकर्मियों की आकांक्षाओं की पूर्ति में अग्रसर सेंट्रल रेलवे स्कूल, कल्याण
सुंदर वातावरण एवं पेड़-पौधों से आच्छादित सेंट्रल रेलवे स्कूल, कल्याण की ऐतिहासिक इमारत का विहंगम दृश्य.
ऐतिहासिक रेलवे स्कूल, कल्याण को मिली दो कक्षाएं बढ़ाने की अनुमति
म. रे. एवं रे. बो. के अधिकारियों और जीएम/म.रे. की रही महती भूमिका
शताब्दी वर्ष में रेल प्रशासन द्वारा रेनोवेशन के बाद स्कूल की उम्र 100 और बढ़ी
कल्याण : सेंट्रल रेलवे स्कूल एवं जूनियर कॉलेज, कल्याण 26 अप्रैल 2019 को अपनी स्थापना के 101 साल पूरे कर चुका है. यह स्कूल पूरी भारतीय रेल का नाम रोशन कर रहा है. पिछले तीन-चार वर्षों के दौरान कल्याण एरिया में रहने वाले रेलकर्मियों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है. नए-पुराने सभी रेलकर्मी अपने बच्चों को रेलवे स्कूल में ही पढ़ाना चाहते हैं, क्योंकि स्थानीय स्तर पर इससे बेहतर अन्य कोई स्कूल उन्हें नजर नहीं आ रहा है. इसके मद्देनजर रेलवे स्कूल के प्रिंसिपल को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था कि वह किसे मना करें और किसे एडमिशन दें. सी संबंध में रेलकर्मियों की समस्याओं को लेकर रेल प्रशासन के लिए भी यह एक बड़ी समस्या थी.
प्रिंसिपल जैकब थॉमस 9वीं एवं 10वीं के लिए दो डिवीजन और बढ़ाने हेतु पिछले करीब तीन वर्षों से रेल प्रशासन के साथ लगातार पत्राचार कर रहे थे. परंतु देबरॉय कमेटी की रिपोर्ट के बाद रेल प्रशासन सेंट्रल रेलवे स्कूल को कक्षाएं बढ़ाने की अनुमति देने पर थोड़ा हिचकिचा रहा था. तथापि बच्चों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए हमेशा समर्पित रहे प्रिंसिपल श्री थॉमस ने अपने प्रयासों में कोई कमी नहीं की. उन्होंने मध्य रेलवे के महाप्रबंधक डी. के. शर्मा और प्रिंसिपल सीपीओ एस. स्वामीनाथन से लगातार संपर्क में रहकर इसके लिए अपना प्रयास जारी रखा. अंततः रेलकर्मियों के बच्चों की उचित शिक्षा को ध्यान में रखते हुए जीएम श्री शर्मा और पीसीपीओ श्री स्वामीनाथन रेलवे बोर्ड को अतिरिक्त कक्षाओं के लिए मनाने में सफल रहे और उनकी इस महती पहल के चलते रेलवे बोर्ड ने भी रिकॉर्ड समय में यह अनुमति देकर बच्चों की शिक्षा के प्रति अपनी मानवीय सदाशयता दर्शाई है.
कल्याण में बिड़ला कॉलेज के बाद सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन का प्रमाणन प्राप्त करने वाला सेंट्रल रेलवे स्कूल दूसरा स्कूल था. सीबीएसई से संबद्ध सेंट्रल रेलवे स्कूल, कल्याण में पढ़ने वाले लगभग 1700 बच्चों को चौतरफा सुरक्षा और संरक्षा प्राप्त है. पूरे स्कूल को अंदर-बाहर चारों तरफ से सीसीटीवी से कवर किया गया है, जिसकी मॉनिटरिंग सीधे प्रिंसिपल जैकब थॉमस के कक्ष से होती है. पूरा स्कूल चारों तरफ से बाउंड्रीवाल से सुरक्षित है. पूरे स्कूल में वैसे तो किसी तरफ से भी किसी असामाजिक गतिविधि की आशंका नहीं है, तथापि स्कूल में ऐसी किसी भी गतिविधि से निपटने का पर्याप्त इंतजाम प्रिंसिपल श्री थॉमस ने किया हुआ है.
उल्लेखनीय है कि सेंट्रल रेलवे स्कूल, कल्याण में तत्कालीन पीजीटी रहे जैकब थॉमस ने वर्ष 1998 में सर्वप्रथम कंप्यूटर एजुकेशन की शुरुआत की थी. कंप्यूटर एजुकेशन के लिए महाराष्ट्र और देश के पश्चिमी क्षेत्र से राष्ट्रपति अवार्ड के लिए वर्ष 2004 में प्रथम स्थान के लिए चुना गया यह एकमात्र स्कूल था. तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने 7 दिसंबर 2005 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में इस स्कूल को कंप्यूटर एजुकेशन के लिए ‘एक्सीलेंस अवार्ड’ देकर सम्मानित किया था. तब स्कूल की तरफ से वर्तमान प्रिंसिपल जैकब थॉमस ने राष्ट्रपति से यह अवार्ड ग्रहण किया था.
रेल प्रशासन ने वर्ष 2014 में जैकब थॉमस को पदोन्नति देकर स्कूल का प्रिंसिपल बना दिया था. इसके बाद रेल प्रशासन के सहयोग से श्री थॉमस ने स्कूल की उन्नति के लिए सब कुछ भूलकर खुद को सिर्फ स्कूल के लिए ही समर्पित कर दिया. आज बच्चों को इस स्कूल में अत्याधुनिक तरीकों से शिक्षा का दी जा रही है. प्रशासन के सहयोग से स्कूल में बायो-गैस प्लांट, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, 50 केवी सोलर प्लांट और सीसीटीवी इत्यादि की स्थापना की गई है. यह देश का पहला स्कूल है, जो अधिकांशतः सोलर एनर्जी से प्रकाशमान हो रहा है. बरसात के पानी को एकत्रित करके स्कूल की 60% पानी की जरूरत की पूर्ति वर्षा-जल से हो रही है.
स्कूल के प्राकृतिक वातावरण और पर्यावरण का विशेष ध्यान रखा जा रहा है. बच्चों की शिक्षा और जिज्ञासा पूर्ति के लिए यहां विभिन्न औषधियों का रोपण किया गया है. भिन्न प्रकार से जल-वायु-ऊर्जा को ध्यान में रखकर स्कूल में माइक्रो-एनवायरमेंट के प्रबंधन से पर्यावरण का रखरखाव किया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत’ अभियान के अंतर्गत स्कूल के कई मेधावी एवं प्रतिभाशाली बच्चों ने न सिर्फ स्कूल की दीवारों का रंग-रोगन करके उनमें बढ़िया जन-समाजोपयोगी संदेश लिखे हैं, बल्कि कई लोकल ट्रेनों एवं स्टेशनों पर भी यही काम करके जनचर्चा और रेल प्रशासन की शाबाशी हासिल की है.