PCCM/NER के विरुद्ध दो रेलकर्मियों ने की लिखित शिकायत
खानपान की विभिन्न वस्तुएं मंगाने, न पहुंचाने पर प्रताड़ित करने का लगाया आरोप
एनईआर के लगभग सभी वरिष्ठ वाणिज्य सुपरवाइजर पीसीसीएम की मांगों से हुए तंग
राजनीतिक संरक्षण प्राप्त पीसीसीएम पर कार्यवाही करने में अक्षम हो रहा रेल प्रशासन?
विजय शंकर, ब्यूरो प्रमुख/एनईआर
महाप्रबंधक/पूर्वोत्तर रेलवे को संबोधित पहली लिखित शिकायत 22 अप्रैल को लखनऊ जंक्शन स्टेशन पर पदस्थ मुख्य खानपान निरीक्षक (सीसीआई) लालजी प्रसाद द्वारा की गई है. उन्होंने अपनी यह शिकायत डीआरएम/लखनऊ कार्यालय में 25 अप्रैल को रिसीव कराकर उचित माध्यम से महाप्रबंधक को भेजी थी. शिकायत में कहा गया है कि ‘पीसीसीएम महोदय प्रायः प्रार्थी से कुछ न कुछ सामान की मांग करते रहते हैं तथा जब कभी प्रार्थी अपनी असमर्थता व्यक्त करता है, तो उसे जाति-सूचक शब्दों से अपमानित करने और स्थानांतरण का भय दिखाकर डराने, धमकाने एवं प्रताड़ित करने की कोशिश की जाती है, जिससे कि मैं निरंतर पीसीसीएम महोदय की मांग पूरी करता रहूं. पीसीसीएम महोदय के इस व्यवहार के कारण प्रार्थी एवं मेरा पूरा परिवार मानसिक रूप से परेशान एवं उलझन में रहता है तथा कार्य-स्थल और घर पर हमेशा तनाव बना रहता है, जिसका असर परिवार के माहौल और बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है.’
सीसीआई/एलजेएन लालजी प्रसाद ने शिकायत में आगे लिखा है कि ‘प्रार्थी बहुत दिनों से पीसीसीएम महोदय की प्रताड़ना सहते-सहते अब और अधिक बर्दास्त करने की स्थिति में अपने को असमर्थ पा रहा है. इसलिए प्रार्थी महाप्रबंधक महोदय से निवेदन करता है कि महोदय आवश्यक कार्यवाही करके पीसीसीएम महोदय की मांग पूरी न करने के कारण प्रार्थी को स्थानांतरण का भय एवं जाति-सूचक शब्दों से निरंतर अपमानित करने वाली प्रताड़ना से मुक्ति दिलाने की कृपा करें, ताकि प्रार्थी सुकून से अपनी ड्यूटी और अपने परिवार का भरण-पोषण कर सके.’
जगन्नाथ ने अपनी लिखित शिकायत में आगे लिखा है कि ‘पीसीसीएम महोदय के इस व्यवहार से प्रार्थी एवं समस्त परिवार मानसिक रूप से परेशान और उलझन में रह रहा है तथा कार्य-स्थल एवं आवास पर मानसिक तनाव रहता है, जिसका दुष्प्रभाव बच्चों की पढ़ाई और प्रार्थी के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. अतः श्रीमान से निवेदन है कि प्रार्थी को उचित न्याय दिलाने की कृपा की जाए.’
उपरोक्त दोनों शिकायतों के संबंध में इस प्रतिनिधि ने पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे महाप्रबंधक के सचिव धर्मेश खरे से संपर्क करके जब यह जानने की कोशिश की कि उक्त शिकायतों पर महाप्रबंधक ने अब तक क्या कदम उठाया है, तो श्री खरे का कहना था कि ‘महाप्रबंधक को फिलहाल लालजी प्रसाद की ही एक शिकायत प्राप्त हुई है, जिसे आवश्यक जांच के लिए संबंधित सक्षम अधिकारी को भेजा गया है. जांच के बाद आवश्यक कार्यवाही की जाएगी.’ इसके अलावा उनका यह भी कहना था कि ‘दूसरी शिकायत अब तक महाप्रबंधक के पास नहीं पहुंची है. जब उक्त शिकायत मिल जाएगी, तब उस पर भी आवश्यक जांच के बाद उचित कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी.’
उपरोक्त के अलावा पूर्वोत्तर रेलवे मुख्यालय के विश्वसनीय सूत्रों से ‘रेल समाचार’ को प्राप्त हुई अंदरूनी जानकारी के अनुसार कथित कार्यालयीन प्रक्रिया के तहत सीसीआई लालजी प्रसाद की लिखित शिकायत की एक प्रति पीसीसीएम आलोक सिंह को भी दी गई है. सूत्रों का कहना है कि उक्त शिकायत की प्रति मिलने के बाद उन्होंने लालजी प्रसाद को विशेष रूप से बुक करके गोरखपुर बुलाया और समझा-बुझाकर उससे समझौता कर लिया है. सूत्रों का यह भी कहना है कि राजनीतिक पहुंच की धौंस और प्रशासनिक दबाव की यही प्रक्रिया वह वाणिज्य अधीक्षक जगन्नाथ रविदास के साथ भी अपना सकते हैं. सूत्रों ने कहा कि अपनी-अपनी जगह बने रहने का अभयदान पाकर दोनों वाणिज्य कर्मचारी दबाव में आकर अपनी शिकायतें भी वापस ले लें, तो कोई बड़ी बात नहीं होगी, क्योंकि पूर्वोत्तर रेलवे में इस तरह की ‘ब्लैकमेलिंग’ कोई नई बात भी नहीं रह गई है.
तथापि, जानकारों का कहना है कि भ्रष्टाचार और कदाचार के विभिन्न आरोपों तथा उपरोक्त दोनों लिखित शिकायतों के बाद भी यदि रेल प्रशासन पीसीसीएम/पूर्वोत्तर रेलवे आलोक सिंह के खिलाफ मेजर पेनाल्टी चार्जशीट जारी करने के साथ ही उनके इंटर-रेलवे ट्रांसफर सहित विभाग प्रमुख से हटाकर उनकी साइड पोस्टिंग सुनिश्चित नहीं करता है, तो यह माना जाएगा कि रेल प्रशासन खुद ही इस प्रकार के कदाचार और भ्रष्टाचार का पालन-पोषण कर रहा है.
क्रमशः – ‘वीपीयू प्रकरण और कानपुर की फर्जी यात्रा !!’