‘सेफ्टी कोड ऑफ कंडक्ट’ को दरकिनार करके चलाई जा रही हैं गाड़ियां
बिना रोड लर्निंग ड्राइवर को लोड ले जाने का दिया गया लिखित आदेश
आदेश में कहा कि ‘सिग्नल ओवरशूट की जिम्मेदारी ड्राइवर की नहीं होगी’
पूर्व मध्य रेलवे को पूरी भारतीय रेल में सबसे आगे निकलने की है जल्दी?
सुरेश त्रिपाठी
पिछले करीब दो सालों में जहां पूरी भारतीय रेल में ट्रेन परिचालन का सत्यानाश हुआ पड़ा था, ट्रेनों की पंक्चुअलिटी रसातल में चली गई थी और यात्रियों में इसको लेकर हाहाकार मच गया था, तब रेलमंत्री पीयूष गोयल ने जनमानस में सरकार के प्रति बढ़ते आक्रोश और सरकार की खराब होती छवि को देखकर नवंबर 2018 में रेलवे बोर्ड को किसी भी हालत में ट्रेनों की पंक्चुअलिटी सुधारने का आदेश दिया था. वहीं अब इसकी आड़ में और मंत्री की नजर में अपने अंक बढ़वाने के लिए तमाम स्थापित संरक्षा नियमों को ताक पर रखकर गाड़ियों को दौड़ाने की आपाधापी मच गई है. इसके परिणामस्वरूप सेफ्टी नियमों का कतई अनदेखा न किया जा सकने वाला अक्षम्य उल्लंघन करके गाड़ियों का संचालन किया जा रहा है.
घटना रविवार, 17 मार्च की है. ‘रेल समाचार’ को प्राप्त हुए एक मेमो से इस घटना की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है. मेमो के अनुसार ऐसा समझा जाता है कि दानापुर मंडल के पैमार जंक्शन पर एक मालगाड़ी के ड्राइवर की ड्यूटी समाप्त हो गई. उसके आगे तिलैया जंक्शन तक उसे मालगाड़ी ले जाने का एक लिखित मेमो पैमार जंक्शन के उप स्टेशन अधीक्षक द्वारा दिया जाता है और उसमें ड्राइवर को संबोधित करते हुए कहा जाता है कि “सीनियर डीओएम के आदेशानुसार आपको उक्त मालगाड़ी (लोड) तिलैया जंक्शन तक पहुंचाना है. इस क्रम में भूलवश अगर किसी सिग्नल को ओवरशूट करते हैं, तब इसकी जिम्मेवारी ड्राइवर की नहीं होगी.” (यहां देखें उक्त मेमो)
इसके अलावा मामला सिर्फ ‘सिग्नल ओवरशूट’ होने तक ही सीमित होकर खत्म नहीं हो जाता है. थोड़ी देर के लिए यदि यह मान भी लिया जाए कि सिग्नल ओवरशूट होने पर तो सीनियर डीओएम महोदय ड्राइवर की जान बख्श देते, मगर यदि इसमें उसकी जान चली जाती, तब उसकी जान वह कैसे वापस लाते और उसके लिए किसको जिम्मेदार ठहराते? ऐसी किसी विषम परिस्थिति में यदि कोई भीषण दुर्घटना हो जाती, तब उससे हुए रेल संपत्ति के नुकसान के लिए कौन जिम्मेदार होता? आज सीनियर डीओएम ने लोड यानि मालगाड़ी के लिए इस भयंकर तरह से सेफ्टी का उल्लंघन किया है, इस बात की क्या गारंटी है कि कल यही गलती या मनमानी वह पैसेंजर ट्रेनों को लेकर नहीं करेंगे? जानकारों का कहना है कि उक्त सीनियर डीओएम को सर्वाधिक कार्यक्षम मानने वाले प्रिंसिपल सीओएम को भी जिम्मेदार मानते हुए क्यों न उन्हें भी अविलंब बर्खास्त किया जाए, जिन्होंने सिर्फ अपने निजी स्वार्थवश कुछ संदिग्ध विश्वसनीयता वाले अधिकारियों को मंडलों में पदस्थ किया है?
इस संदर्भ में ‘रेल समाचार’ ने कई जानकारों और विशेषज्ञों से चर्चा करके रेलवे सेफ्टी के इस भयंकर और अक्षम्य उल्लंघन पर सीनियर डीओएम के विरुद्ध संभावित कार्यवाही पर जब उनकी राय जानने की कोशिश की, तो उनकी पहली निराशाजनक प्रतिक्रिया यही थी कि सीनियर डीओएम को तो सब मिलकर बचा लेंगे और उसकी इस अक्षम्य लापरवाही के लिए नीचे के स्टाफ को ही बलि का बकरा बना दिया जाएगा. इस पर जब उनसे यह कहा गया कि कंट्रोलर को दिए गए मैसेज और कंट्रोलर एवं उप स्टेशन अधीक्षक के बीच हुई बातचीत का वाईस लॉगर में रिकॉर्ड क्या उचित दंडात्मक कार्यवाही के लिए पर्याप्त आधार नहीं हो सकता है? इस पर उनका कहना था कि सीनियर डीओएम ने यह आदेश कंट्रोलर को इंटरकॉम पर दिया होगा, जिसकी कोई रिकॉर्डिंग नहीं हो सकती है. परंतु यदि कंट्रोलर एवं डिप्टी एसएस के बीच हुई बातचीत की वाईस लॉगर रिकॉर्डिंग देखी जाती है, तो इससे सीनियर डीओएम यह कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लेगा कि उसने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया था, यह उन दोनों के बीच का निर्णय है.
इसके अलावा अधिकारियों का यह भी कहना था कि कुछ कमियों, जो कि सब जगह होती हैं, के बावजूद ये भी सही है कि महाप्रबंधक ललित चंद्र त्रिवेदी के नेतृत्व में पूर्व मध्य रेलवे ने कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं. उनका कहना था कि जीएम श्री त्रिवेदी के गहन अनुभव की बदौलत ही इतिहास के गर्त में समा चुकी धनबाद मंडल की चंद्रपुरा रेलवे लाइन को पुनः सुचारु रूप से शुरू किया जा सका है, जबकि इसके बारे यह कहा गया था कि यह लाइन अब भविष्य में कभी नहीं खुलेगी. उन्होंने यह भी कहा कि समग्र समयपालन में भी पूर्व मध्य रेलवे का रिकॉर्ड अन्य जोनल रेलों से काफी बेहतर है. तथापि यदि धनबाद मंडल में लोडिंग में हो रही घालमेल और प्रिसिपल सीओएम की कुछ संदिग्ध गतिविधियों सहित निर्माण संगठन के कुछ अधिकारियों के कदाचार तथा ठेकेदारों के साथ उनकी मिलीभगत पर यदि थोड़ी लगाम कसी जा सके, तो परिणाम और ज्यादा बेहतर हो सकते हैं.